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Tuesday, October 15, 2024

गुरू एम.एल.कौसर की स्मृति में 19वे अवार्ड का भव्य आयोजन

Tuesday 15th October 2024 at 7:51 PM Email and WhatsApp PKK Chandigarh

संगीत जगत के दो दिग्गज कलाकारों का को किया गया सम्मानित 

तबला वादक पंडित विनोद पाठक एवं प्रसिद्ध सितार वादक पंडित हरविंदर शर्मा को अवार्ड  


चंडीगढ़: 15 अक्टूबर 2024: (कार्तिका कल्याणी सिंह//संगीत स्क्रीन डेस्क)::

चंडीगढ़ को आम तौर पर लोग पत्थरों का शहर कहते हैं। इसकी बड़ी बड़ी इमारतें, भागदौड़ वाली ज़िन्दगी और जल्दबाज़ी में रुखसुखा सा जवाब देने वाले कुछेक लोग इस कथनी पर मोहर लगाते हुए भी महसूस  होते हैं। इसके बावजूद प्राचीन कला केंद्र, कला भवन और रोज़ गार्डन जैसे संस्थान और स्थान यह भी याद दिलाते हैं की इसी चंडीगढ़ में संवेदना भी है, शायरी भी है और संगीत भी है। हाल ही में गुरु एम एल कौसर की समृति में कराया गया 19वां अवार्ड समारोह तांडव जैसे महान नृत्य के संबंध में  यहां हुआ खोजपूर्ण काम भी बहुत कुछ बताता है। तांडव नृत्य की चर्चा हम एक अलग पोस्ट में कर रहे हैं यहां लौटते हैं प्राचीन कला केंद्र के इस विशेष आयोजन की चर्चा पर। 

गुरू एम.एल.कौसर पिछले 6 दशकों से कला के क्षेत्र में अपनी बहुमूल्य सेवाओं और योगदान द्वारा नए आयाम स्थापित करने वाले तांडव सम्राट गुरू एम.एल.कौसर को श्रेष्ठ कलाकार होने के साथ-साथ भारतीय शास्त्रीय कलाकारों के वाहक के रूप में भी जाना जाता है । इन्होंने अपने अथक प्रयासों एवं निस्वार्थ सेवाओं के बल पर संगीत जगत में विशेष स्थान बनाया । ऐसी महान शख्सियत के इसी सहयोग को मद्देनजर रखते हुए प्राचीन कला केन्द्र की कार्यकारिणी समिति द्वारा वर्ष 2004 में एक लाख रूपए के अवार्ड की घोषणा की गई । यह अवार्ड भारतीय शास्त्रीय संगीत में अहम योगदान देने वाले कलाकारों के प्रति एक सम्मान है जो एक कलाकार की नजर से दिया जाता है।

इस अवार्ड में अब तक कत्थक नृत्यांगना सितारा देवी,कत्थक सम्राट बिरजू महाराज, सितार वादक शाहिद परवेज़, पंडित शिव कुमार शर्मा,सुनयना हजारीलाल,पंडित राम नारायण,गुरू सोनलमान सिंह,पंडित विश्वमोहन भट्ट,पंडित भजन सोपोरी,गुरू शोवना नारायण,पंडित सुशील जैन तथा पंडित कालेराम जैसे दिग्गज कलाकार सम्मानित किए जा चुके है।

आज के अवार्ड समारोह का आयोजन टैगोर थियेटर में 19वें गुरू एम.एल.कौसर अवार्ड समारोह का भव्य आयोजन सायं 6:30 बजे से किया गया। 19वां गुरू एम.एल.कौसर अवार्ड समारोह संगीत जगत की दो विभूतियों जानेमाने तबला वादक पंडित विनोद पाठक एवं प्रसिद्ध सितार वादक पंडित हरविंदर शर्मा को प्रदान किया गया।

इस कार्यक्रम में अवार्ड प्रदान करने हेतु पद्मभूषण ग्रेमी अवार्ड विजेता पंडित विश्वमोहन भट्ट विशेष रूप से मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए । इनके साथ सात्विक वीणा रचयिता पंडित सलिल भट्ट भी उपस्थित थे। मंच पर चैयरमैन श्री एस.के.मोंगा,रजिस्ट्रार डॉ.शोभा कौसर एवं सचिव श्री सजल कौसर उपस्थित थे।

पारम्परिक द्वीप प्रज्वलन करने के पश्चात चैयरमैन एवं अन्य विभूतियों द्वारा मुख्य अतिथि को सम्मानित किया गया । इसके उपरांत अवार्ड समारोह की शुरूआत की गई। सबसे पहले पंडित विनोद पाठक को शाल,स्मृति चिन्ह,मोमेंटो और 50 हजार रूपए  भेंट किए गए । उपरांत पंडित हरविंदर शर्मा को शाल,स्मृति चिन्ह,मोमेंटो और 50 हजार रूपए  भेंट किए गए ।

सम्मान समारोह को यादगार बनाने के लिए अवार्डी कलाकारों द्वारा एवं विशेष संगीत संध्या का आयोजन किया गया । जिसमें सबसे पहले पंडित विनोद पाठक द्वारा तीन ताल में निबद्ध तबला वादन पेश किया गया जिस में  फारूखाबाद घराने की कुछ विशेष बंदिशें पेश की गई । और तबला में  कायदे  तोड़े , रेले, गत, टुकड़े , परं इत्यादि पेश किये गए।  पारम्परिक बंदिशों से निबद्ध इस प्रस्तुति का सबने आनंद उठाया।  

इनके साथ तबले पर इनके सुपुत्र विविश पाठक एवं हारमोनियम पर श्री दिनकर दिवेद्वी ने बखूबी संगत की।

इसके उपरांत पंडित हरविंदर शर्मा ने मंच संभाला और विलायत खान साहिब के शिष्य हरविंदर शर्मा ने सुन्दर स्वर लहरियों से सजा   सितार वादन पेश किया। इन्होंने राग मिश्र खमाज में आलाप से शुरुआत की और गायिकी अंग से सजी प्रस्तुति में  सुन्दर बंदिशें पेश करके दर्शकों का मन जीत लिया । खूबसूरत जोड़ झाला पेश करके हरविंदर शर्मा ने दर्शकों को जादू भरी शाम में खोने के लिए मजबूर कर दिया।  कार्यक्रम का समापन इन्होने भटियाली धुन से किया । इनके साथ प्रसिद्द तबला वादक पंडित राम कुमार मिश्रा ने संगत करके चार चाँद लगा दिए। 

कार्यक्रम के अंत में कलाकारों को उत्तरीय एवं मोमेंटो से सम्मानित किया गया। कलाकारों द्वारा कलाकारों को समर्पित इस सम्मान समारोह ने दर्शकों को एक खूबसूरत शाम से यादगारी बना दिया। 

Wednesday, September 11, 2024

299 वीं मासिक बैठक में श्री बंदोपाध्याय के कत्थक नृत्य से सजी शाम

Wednesday 11th September 2024 at 5:53 PM

श्री बंदोपाध्याय श्री साधना स्कूल ऑफ कत्थक की संस्थापक भी है


चंडीगढ़
: 11 सितंबर 2024: (कार्तिका कल्याणी सिंह//संगीत स्क्रीन डेस्क)::

कड़कती धुप वाली झुलसा देने वाली गर्मी अब जा चुकी है और मीठी मीठी शीत का मौसम दस्तक देने लगा है। सुबह और शाम को इसका अहसास किया जा सकता है। फुहार से लेकर मुसलाधार बरसात का रंग भी लोगों ने एक बार फिर से देख लिया। ऐसे सुहाने मौसम में देश भर में गीत संगीत के आयोजनों का सिलसिला शुरू हो चुका है। इसी का अहसास कराते हुए प्राचीन कला केंद्र ने भी चंडीगढ़ में अपना विशेष आयोजन किया। 

प्राचीन कला केन्द्र द्वारा हर माह आयोजित होने वाली मासिक बैठकों की श्रृंखला की 299वीं कड़ी में दिल्ली से आई श्री बंदोपाध्याय ने अपने कत्थक नृत्य से दर्शकों को खूब आनंदित किया । पंडित जयकिशन महाराज के सानिध्य में नृत्य की शिक्षा प्राप्त कर रही श्री ने गुरू संदीप मलिक से नृत्य की प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की । इसके उपरांत पंडित जयकिशन महाराज से नृत्य की बारीकियां सीखी । श्री ने प्राचीन कला केन्द्र से भास्कर का डिप्लोमा भी प्राप्त किया है । इसके अलावा खैरागढ़ विश्वविद्यालय से भी स्नातकोत्तर तक शिक्षा ग्रहण की है । दूरदर्शन की बी ग्रेड कलाकार श्री साधना स्कूल ऑफ कत्थक की संस्थापक भी है । इन्होंने विभिन्न प्रस्तुतियों से दर्शकों के दिल में जगह बनाई है।

आज के कार्यक्रम की शुरूआत एक खूबसूरत ध्रुपद रचना कंुजन में राचो रास जोकि चौताल पर आधारित थी,  से की । इसके उपरांत श्री ने कत्थक की तकनीकी पक्ष प्रस्तुत किया । अष्टमंगल 11 मात्रा में परन,गत, उठान, चालें, आमद, त्रिपल्ली,  प्रमिलू, तिहाई और चक्रदार परन प्रस्तुत करके तकनीकी पक्ष पर अपनी मजबूत पकड़ का बखूबी प्रदर्शन किया । इसके उपरांत तीन ताल पर आधारित ठुमरी जोकि राग मेघ मल्हार में निबद्ध थी,प्रस्तुत करके दर्शकों की खूब वाहवाही लूटी । कार्यक्रम के अंत में श्री ने तीन ताल पर आधारित रचनाएं तथा वाद्य परन,बिजली परन पेश करते हुए खूबसूरत लयकारियों से कार्यक्रम का समापन किया । इनके साथ तबले पर जानेमाने तबलावादक उस्ताद शकील अहमद खान,गायन पर अतुल देवेश,सितार पर लावण्य अबांदे तथा बोल पढंत पर जय भट्ट ने बखूबी साथ देकर कार्यक्रम को चार चांद लगा दिए।

कार्यक्रम के अंत में केन्द्र की रजिस्ट्रार डॉ.शोभा  कौसर,सचिव श्री सजल कौसर ने  कलाकारों को उतरिया  और मोमेंटो देकर सम्मानित किया।

Sunday, August 11, 2024

प्राचीन कला केन्द्र की 298वीं मासिक बैठक भी जगाती रही संगीत का जादू

Sunday 11th August 2024 at 4:41 PM

संगीत की स्वर लहरियों ने एक बार फिर दिखाए संगीत के कमाल 


चंडीगढ़
: 11 अगस्त 2024: (कार्तिका कल्याणी सिंह//संगीत स्क्रीन डेस्क)::

चंडीगढ़ और आसपास के क्षेत्रों में संगीत के जादू को बरकरार रखने वाली संस्थाओं में सबसे अग्रणी संस्था है प्राचीन कला केंद्र। इस संस्थान ने अब तक संगीत के अनगिनत साधकों को सफलता की उंचाईयों तक पहुंचाया है। संगीत और नृत्य साधना के क्षेत्र में यह संस्थान लगातार सक्रिय रहता है। 

इसी सिलसिले में इस अग्रणी सांस्कृतिक संस्था प्राचीन कला केन्द्र द्वारा 298वीं मासिक बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें राजस्थान के प्रतिभाशाली तबला वादक गौतम पाल ने एकल तबला वादक की प्रस्तुति से दर्शकों का दिल जीत लिया। गौतम पाल ने न केवल फरुखाबाद घराने के तबला वादन की शिक्षा प्राप्त की अपितु पंजाब घराने के पंडित सुशिल जैन के गंडा बांध शिष्यत्व में भी अपनी कला को निखारा। विभिन्न प्रस्तुतियों द्वारा अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके गौतम पाल ऑल इंडिया रेडियो के बी ग्रेड कलाकार है।

एक नया इतिहास रचने वाले आज के कार्यक्रम की दूसरी प्रस्तुति शिमला के गुंजन चन्ना द्वारा पेश की गयी। गुंजन को हाल ही में  दूरदर्शन  के ऐ ग्रेड से सम्मानित किया गया है।  गुंजन चन्ना ने अल्पायु में माता पिता से सीखने के बाद पटियाला के डॉ  जगमोहन शर्मा के शिष्यत्व में संगीत की बारीकियां सीखी। गुंजन संगीत की दुनिया का उभरता कलाकार है।

संगीत के क्षेत्र में यादगारी अध्याय जोड़ने वाले आज के इस कार्यक्रम की शुरुआत श्री गौतम पाल  के तबला वादन से हुई जिस में उन्होंने ने  तीन ताल में पेशकार रेले,कायदे,पलटे,पारम्परिक उठान बहुत खूबसूरती से पेश किए। इसके उपरांत इन्होंने फरुखाबाद घराने की कुछ प्राचीन गतें,रेले इत्यादि पेश करके खूब तालियां बटोरी। इसके उपरांत फरमाइशी एवं कमाली चक्रदार , टुकड़े , रेल एवं तिहाई का सधा हुई प्रदर्शन किया।  इनके साथ युवा एवं प्रतिभावान हारमोनियम वादक गुरप्रीत सिंह मोगा ने खूबसूरत संगत करके खूब समां बांधा।  

कार्यक्रम के दूसरे भाग में युवा एवं प्रतिभाशाली गुंजन चन्ना ने मंच संभाला और राग बिहाग से कार्यक्रम की शुरुआत की। आलाप के पश्चात विलम्बित ख्याल  में एक रचना "कैसे सुख सोये " पेश की  इसके उपरांत मध्य लाया  तीन ताल  में  दो रचनाएँ बालम रे  एवं बजे रे मोरी पायल प्रस्तुत करके खूब तालिया बटोरी। द्रुत ख्याल की बंदिश बनी बनी ठनी ठनी  भी दर्शकों का मन मोह गयी।  कार्यक्रम के अंत में गुंजन ने हिमाचली फोक माये नई मेरिये  प्रस्तुत करके रंग जमाया।  इनके साथ तबले पर श्री राजेश ब्रह्मभट्ट और हारमोनियम पर श्री मदन कश्यप ने बखूबी  संगत की। 

कार्यक्रम के अंत में केन्द्र की रजिस्ट्रार डॉ.शोभा  कौसर,सचिव श्री सजल कौसर और तबला गुरू पंडित सुशील जैन  तथा डॉ जगमोहन शर्मा ने  कलाकारों को उतरिया  और मोमेंटो देकर सम्मानित किया।

Saturday, July 20, 2024

संतूर की मधुर स्वर लहरियों से सजी केन्द्र की 297वीं मासिक बैठक

 Saturday 20th July 2024 at 6:25 PM

संतूर वादक डॉ बिपुल कुमार रॉय  ने जगाया जादू 


चंडीगढ़: 20 जुलाई 2024: (कार्तिका कल्याणी सिंह//संगीत स्क्रीन डेस्क):: 

प्राचीन कला केन्द्र द्वारा हर माह आयोजित होने वाली मासिक बैठकों की श्रृंखला में आज यहां इसी की 297वीं कड़ी में मधुर एवं सधे हुए  संतूर वादन की प्रस्तुति पेश की गई । दिल्ली से आए युवा एवं प्रतिभाशाली संतूर वादक डॉ बिपुल कुमार रॉय  ने अपने प्रभावशाली  संतूर  वादन से दर्शकों की खूब सराहना प्राप्त की ।इनके साथ तबले पर जाने माने तबला वादक उस्ताद अकरम खान ने बखूबी साथ दिया।

इस कार्यक्रम का आयोजन हमेशा की भांति केन्द्र के एम.एल.कौसर सभागार में साय 6 :30 बजे से किया गया । इस अवसर पर चण्डीगढ़़ के कुछ जानेमाने कलाकारों ने अपनी उपस्थिति से चार चांद लगा दिए ।  बिपुल एक ऐसे युवा संतूर वादक हैं जिन्होंने  बहुत काम समय में  संगीत की दुनिय में अपना स्थान बनाया है।

इन्होने संतूर वादन की शिक्षा सूफियाना घराने के प्रसिद्द संतूर वादक पद्मश्री पंडित भजन सोपोरी से प्राप्त की है।  इन्होने दिल्ली विश्वविद्यालय से गायन में एमफिल  तथा पीएचडी की डिग्री प्राप्त की है।  बिपुल आकाशवाणी के ऐ ग्रेड कलाकार हैं और भारतीय संस्कृति मंत्रालय में उत्कृष्ट श्रेणी के कलाकार हैं।  रागों की शुद्धता , छंदों का मधुर प्रयोग और आकर्षक लयकारी इनके तंत्र वादन की विशेषता है।  इनको संगीत के क्षेत्र में योगदान के लिए बहुत से पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।  

कार्यक्रम की शुरुआत के लिए बिपुल  ने राग रागेश्री में आलाप से की।  तंत्रकारी अंग में सजी  विलम्बित ताल में आलाप के उपरांत झप ताल  मध्य लय में जोड़ पेश किया तथा द्रुत तीन ताल से सजा झाला पेश करके खूब तालिया बटोरी।   तंत्रकारी अंग में महारथ रखने वाले बिपुल  ने  लयकारियों से दर्शकों वाहवाही बटोरी। 

कार्यक्रम का समापन इन्होंने एक मधुर पहाड़ी धुन से किया जिसका दर्शकों के खूब आनंद उठाया । तबले पर उस्ताद अकरम खान के हमेशा की तरह  बखूबी रंग जमाया। एक ऐसा रंग जो सभी को याद रहने वाला  है। लोग समापन के बाद भी झूमते नज़र आए। 

कार्यक्रम के अंत में केन्द्र के सचिव श्री सजल कौसर ने कलाकारों को उतरीया एव मोमेंटो देकर सम्मानित किया । इस अवसर पर केंद्र की रजिस्ट्रार डॉ शोभा कौसर भी उपस्थित थे जिनकी मौजूदगी हर बार नए कलाकारों को एक नाज़ा उत्साह देती है।  

Saturday, February 17, 2024

गायका असीस कौर का पंजाबी सांस्कृतिक गीत रिलीज

Saturday 17th February 2024 at 21:42

यह गीत पंजाब के कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा द्वारा रिलीज़ किया गया 


मोहाली: 17 फरवरी 2024: (मीडिया लिंक//सुर स्क्रीन डेस्क)::

प्रसिद्ध पंजाबी गायक असीस कौर का पंजाबी सांस्कृतिक गीत 'लाहिंडा काद पंजाब' पंजाब के कैबिनेट मंत्री अमन अरोरा द्वारा जारी किया गया था। यह गीत असिस कौर द्वारा गाया गया है। गीत के लिए संगीत श्री डैप द्वारा रचा गया है और गीत के वीडियो निर्देशक बॉबी बाजवा हैं। इस गीत के निर्माता और प्रेरणा. सरजीत सिंह जी।  गीत का कैस्टियम डिजाइन प्रमुख डिजाइनर गुनित कौर द्वारा किया जाता है। इस गीत का निर्माण धैर्य राजपूत, कोरियोग्राफर मैंडीप मैंडी और राजा फिल्म के संपादन द्वारा किया गया है। यह गीत YouTube लिंक असिस रिकॉर्ड्स द्वारा जारी किया गया था।

इस अवसर पर बोलते हुए, पंजाब के कैबिनेट मंत्री, अमन अरोड़ा ने कहा कि आसिस कौर के इस गीत में, जलते और आरोही पंजाब को बहुत खूबसूरती से चित्रित किया गया है, हम सभी को अपनी कीमती संस्कृति पर गर्व होना चाहिए। 

इसी बीच, असीस कौर ने अपने संदेश में कहा कि आज वह जिस स्थान पर हैं, वह गुरुद्वारा सिंह के शहीद स्थान सोहाना के लिए धन्यवाद प्राप्त किया गया है, जो धन्य अमर शहीद जत्थेडर बाबा हनुमान सिंह जी का शहीद स्थान है। उसने कहा कि भविष्य में वह उसी तरह से पंजाबी सांस्कृतिक गीत का प्रदर्शन करके पंजाबी मातृभाषा की सेवा करती रहेगी।

याद रखें कि असीस कौर हिंदी पंजाबी दोनों के गायन में पूरी  मुहारत रखती हैं। वास्तव में, असीस पनिपत, हरियाणा से है। उसका जन्म 26 सितंबर, 1988 को हुआ, असीस ने पांच साल की छोटी उम्र में ही गाना शुरू  कर दिया था। उनके जीवन में कई बार कठिनाइयाँ भी आईं लेकिन उनकी उपलब्धियाँ भी महान थीं। यह असीस का धार्मिक स्वभाव का पिता था जिसने उसे गुरुबाणी गाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने गुरुबाणी को बहुत लगन से सीखा और जल्द ही इसमें पूरी तरह प्रवीण भी बन गई। दिलचस्प बात यह है कि उनके पहले प्रयास में ही उनकी प्रशंसा की गई।

जैसे ही वह बड़ी हुई, उसने पेशेवर रूप से गाने का फैसला किया। उन्होंने उस्ताद पुराण शाहकोटी के तहत जालंधर से प्रशिक्षण लिया। गुरबानी का उनका संस्करण भारत में जारी किया गया था और वह इसकी बहुत सराहना करते थे। उन्होंने विभिन्न कार्यक्रमों पर गुरबानी गाना शुरू किया। उनके भाई-बहन गुरबानी पाठ में सक्रिय रूप से शामिल थे। असिस ने एक पंजाबी रियलिटी शो, "वॉयस ऑफ पंजाब" में भाग लिया, जिसके बाद वह बंबई आए और कई संगीत संगीतकारों से मिले। 

असीस कौर ने इंडियन आइडल 6 में भी भाग लिया। उसने "स्पीक" गाया और अपने भावनात्मक गीतों के साथ गिमा 2016 फैनपार्क में अपने प्रशंसकों पर जीत हासिल की। तमंचे बॉलीवुड में उनकी पहली फिल्म है, जिसमें उन्होंने "दिलदार" गीत गाया था। कपूर और संज से (1921 से) उनका गीत "बोलना" एक हिट था और चार्ट सूची में सबसे ऊपर था। 

अपने गीत संगीत  के कैरियर में, उन्हें मुंबई के संगीत उद्योग के साथ-साथ पंजाब और हरियाणा के लोगों से भी बहुत प्यार मिला। उम्मीद है कि जल्द ही उनके और गीत भी दर्शकों के।  

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Friday, June 9, 2023

प्राचीन कला केन्द्र की 285वीं मासिक बैठक

  Friday 9th June 2023 at 19:43 PM

 तबला वादन और कत्थक नृत्य की खूबसूरत प्रस्तुतियां 


चंडीगढ़
: 9 जून 2023: (कार्तिका सिंह//संगीत स्क्रीन डेस्क)::

उत्तर भारत में संगीत और कला की साधना को निरतर जीवंत रखने वालों में प्राचीन कला केंद्र भी एक है। इस क्षेत्र से जुड़े युवाओं और उम्र के लम्बा हिस्सा बिता चुके साधकों के लिए कुछ न कुछ करते रहना इसी संस्थान के हिस्से आया है। इस संतान की मासिक बैठक साधना की इस धरा को जीवंत रखने में बहियत सहयक होती है। हर महीने किसी नई किस जानेमाने कलाकार को इस बैठक में बुला कर सभी के रूबरू कराना इसी संस्थान के बस है। हर महीने कला प्रेमियों को संगीत और कला की दिव्य अनुभूतियों से परिचित करवाना एक कठिन लेकिन यादगारी कार्य है। 

इस बार भी आज अलौकिक से अनुभव हुए। प्राचीन कला केन्द्र द्वारा आज यहां एम.एल.कौसर सभागार में 285वीं मासिक बैठक का आयोजन किया गया । जिसमें जालंधर से आए सुरजीत सिंह द्वारा तबला  वादन और दिल्ली से आए रोहित पवार द्वारा कत्थक नृत्य की प्रस्तुति पेश की गई।

आज के कलाकार सुरजीत सिंह ने तबला वादन की शिक्षा अपने गुरू कुलविंदर सिंह से प्राप्त की। अल्पायु से ही संगीत में रूचि रखने वाले सुरजीत सिंह ने बहुत से कार्यक्रमों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करके प्रशंसा हासिल की है । विदेशों में भी सुरजीत अपनी प्रतिभा का तोड़ मनवा चुके है।

दूसरी ओर रोहित पवार ने गुरू वासवती मिश्रा के शिष्यत्व में अपनी कला को निखारा है । इसके अलावा इन्होंने अल्पायु से ही कत्थक की प्रस्तुतियां देकर दर्शकों का प्यार प्राप्त किया है । आजकल रोहित कत्थक केन्द्र दिल्ली में बतौर कत्थक कलाकार अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं । देश ही नहीं विदेशों में भी रोहित अपने कत्थक नृत्य की एकल प्रस्तुतियां पेश कर चुके हैं।

आज के कार्यक्रम की शुरूआत सुरजीत सिंह के तबला वादन से हुई जिसमें इन्होंने तीन ताल से कार्यक्रम की शुरूआत की और सबसे पहले पेशकार प्रस्तुत किया । इसके बाद रेले,कायदे,पल्टे पेश किए । साथ ही पंजाब घराने की कुछ खास बंदिशें भी पेश की । सुरजीत के सधे हुए तबला वादन में उनकी विशिष्ट शैली की झलक मिलती है । इन्होंने और भी कई पुरातन बंदिशें  पेश करके दर्शकों की तालियां बटोरी । इसके साथ हारमोनियम पर ईश्वर सिंह ने बखूबी संगत करके रंग जमाया।

दूसरी प्रस्तुति में दिल्ली से आए युवा कत्थक नर्तक रोहित पवार ने मंच संभाला । सबसे पहले भगवान शिव की स्तुति की । असाधारण गुणों के स्वामी शिव की स्तुति पेश की और इस प्रस्तुति द्वारा रोहित ने भगवान शिव को अपनी श्रद्धा के सुमन अर्पित किए । इसके उपरांत शुद्ध कत्थक नृत्य की प्रस्तुति तीन ताल में पेश की गई । जिसमें उपज,थाट,उठान,लड़ी इत्यादि पेश की गई । विलम्बित मध्य और द्रुत लय से सजी प्रस्तुतियों में रोहित ने कत्थक के विभिन्न रंग पेश करके खूब प्रशंसा बटोरी। 

कार्यक्रम के अंतिम भाग में रोहित ने भावपक्ष पर आधारित रचना केसरीया बालम पधारो हमारो देस जो कि राजस्थानी मांड पर आधारित थी पेश करके दर्शकों की खूब तालियां बटोरी । इनके साथ तबले पर जहीन खां,गायन पर सुहैब हसन,पखावज पर महावीर गंगानी और सारंगी पर गुलाम वारिस ने बखूबी संगत की।

कार्यक्रम के अंत में केन्द्र की रजिस्ट्रार डॉ.शोभा कौसर,सचिव श्री सजल कौसर ने कलाकारों को मोमेंटो देकर सम्मानित किया।

Wednesday, April 26, 2023

प्राचीन कला केंद्र कलाकारों की आर्थिक मज़बूती के लिए भी गंभीर

डांस और कला के  क्षेत्र  में कैरियर के रास्ते भी बहुत अच्छे हैं 


चंडीगढ़
: 26 अप्रैल 2023: (कार्तिका सिंह//रेक्टर कथूरिया//संगीत स्क्रीन)::

कला के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोग समाज और संसार उत्कृष्ट स्थिति को दर्शाने वालों में शामिल होते हैं। समाज के विकास और खिलावट का पता कला क्षेत्र से जुड़े लोग ही बताते हैं। पूरी पूरी उम्र तक चलनेवाली साधना जब कई बार विरासत में मिलती है तो अहसास होता है की यह साधना केवल एक उम्र की नहीं बल्कि जन्मों जन्मों की साधना है। इसके बावजूद जब कभी कभी समाज के विभिन्न अवसरों पर उनका आमना सामना ज़िंदगी के कड़े इम्तिहानों से होता है तो उनसे अक्सर पूछा जाता है कि कला तो हुई, डांस भी हुआ, संगीत भी हुआ लेकिन करते क्या हो? इस सवाल को पूछने का मतलब होता है पैसा कहां से कमाते हो? रोज़ी रोटी कहां से चलती है? आसमान को छूती महंगाई का ज़माना है इसलिए आजकल दाल रोटी चलना भी सहज नहीं रहा। कला के क्षेत्र में तो स्थिति और भी संवेदनशील है। कला के  कुछ अलग किस्म के अपने खर्चे भी होते हैं। वस्त्रों से ले कर साज़ों तक। 

प्राचीन कला केंद्र ने इस स्थिति को एक चुनौती की तरह लिया है और कला के क्षेत्र में जुड़े लोगों को ऐसे सवालों का सामना करते समय यह कहने के सक्षम बनाया है कि और कुछ का क्या मतलब? हम और कुछ क्यूं करें? हमें अपनी कला की साधना सम्मानजनक जीवन जीने के लिए बहुत अच्छी आमदनी भी देती है। हमें जीवनयापन के लिए कुछ और करने की ज़रूरत ही नहीं। 

आज 26 अप्रैल 2023 की दोपहर को जब प्राचीन कला केंद्र के चंडीगढ़ कार्यालय में पत्रकार वार्ता चल रही थी तो इस संस्थान की संचालन और प्रबंधन समिति से जुडी हुई डाक्टर  समीरा कौसर ने स्वयं ही इस मुद्दे को उठाया। गौरतलब है कि इस मुद्दे पर बात करने से अक्सर कलाकार लोग घबरा जाते हैं या शरमा जाते हैं क्यूंकि शराब की पार्टियों और दिखावे पर बेशुमार खर्चे करने वाले हमारे समाज में अभी भी कला और कलाकारों के लिए खुले दिल से खर्च करने का ट्रेंड नहीं बन सका। उन्हें अपनी टीम के सदस्यों को कुछ शुल्क देने और आनेजाने का खर्चा निकलने के लिए विशेष प्रयास करने पड़ते हैं। आर्थिक तंगियों तुर्शियों को दूर करके की पहल करते हुए अब प्राचीन कला केंद्र इस दिशा में विशेष योजनाएं ले कर अग्रसर है। 

दिलचस्प बात यह है कि प्रचीन कला केंद्र केवल चंडीगढ़ में ही नहीं बल्कि देश और दुनिया के बहुत से हिस्सों में सक्रिय है। इसके सर्टिफिकेट देश और दुनिया भर में मान्यता प्राप्त हैं। शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य की विद्या के साथ ही एक शुरुआत, उस अर्जित विद्या से रोज़गार की।  कला के क्षेत्र में रोज़गार के नए अवसर पैदा करके कला केंद्र एक नई पहल की है।  भारतीय शास्त्रीय कला तथा संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए केंद्र द्वारा एक नए कदम का आगाज़ किया है, जिसमें राजधानी चंडीगढ़ तथा आसपास के प्रतिष्ठित स्कूलों के साथ एक संयुक्त उधम यानि कि कोलैब्रेशन की जाएगी। जिस में स्कूली बच्चों को अपने ऐकेडेमिक कोर्स के साथ शास्त्रीय संगीत, नृत्य एवं कोमल कला के कोर्सेज करवाए जायेंगे। कथक, हिंदुस्तानी संगीत और पेंटिंग की क्लासेज स्कूल ख़त्म होने के बाद स्कूल परिसर में ही इच्छुक छात्रों के लिए करवाई जाएंगी। जिनसे छात्रों को सर्वश्रेठ शिक्षकों से सीखने के साथ ही उनके कौशल व ज्ञान को विकसित करने, तथा उनके समग्र शैक्षिक अनुभव को समृद्ध करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करेगी। हमारी सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण एवं प्रचार-प्रसार के लिए युवा पीड़ी को कलात्मिक गतिविधियों से जोड़ना अपने आप में एक सराहनीय कदम है।  

कला में पारंगत करने वाली शिक्षा देने के साथ कैरियर और रोज़गार के अवसर भी आवश्यक हैं। इस बात को भी गंभीतरता से पहचाना है प्राचीन कला केंद्र ने। इस के साथ शास्त्रीय कलाओं में मास्टर्स एवं पी.एच.डी  तक की डिग्री प्राप्त कर चुके टीचर्स के लिए भी ये एक अहम अवसर साबित होगा। इन कलाओं में विद्या प्राप्ति के बाद रोज़गार के अवसर बहुत कम होते हैं, ऐसे में कला केंद्र की तरफ़ से ऐसी पहल एक नया आयाम साबित करेगी।  जिस को पूर्ण करने के लिए चंडीगढ़ के बनयान ट्री स्कूल के डायरेक्टर कर्नल जी. एस. चड्डा तथा कुरुक्षेत्र के विजडम वर्ल्ड स्कूल के डायरेक्टर श्री विनोद रावल एवं श्रीमती अनीता रावल आगे आये हैं।  इन दोनों स्कूलों से इस कदम की शुरुआत होगी। इस पूरे प्रोजेक्ट के मैनेजर श्री पार्थ कौसर होंगे।  ग्रेड 1 से लेकर 12 कक्षा तक कोई भी विद्यार्थी इसमें भाग ले सकता है।  बनयान ट्री स्कूल द्वारा ये कोर्स पूरी तरह से फ्री होगा, अर्थात छात्रों को संगीत व नृत्य की शिक्षा के लिए कोई भी एक्स्ट्रा चार्ज नहीं देना होगा।  वहीँ विजडम वर्ल्ड स्कूल द्वारा छात्रों के माता-पिता को इन् कोर्सेज में अपने बच्चों के साथ भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा। 

हर सवाल का पूरी बारीकी से जवाब देने के साथ ही डॉ समीरा कौसर ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि, इंटरनेट अथवा यूट्यूब जैसे ऑनलाइन प्लेटफार्म से नृत्य एवं संगीत सीखने वाले छात्रों को भी एहसास होगा कि, पूर्ण तौर पर प्रतिष्ठित गुरु से सीखने का अनुभव कैसा होता है? गुरु माँ  डॉ शोभा कौसर के आशीर्वाद सहित उनके अधीन शिक्षा ग्रहण कर चुके केंद्र के छात्रों एक गुरु के रूप में पढ़ाने का अवसर भी मिलेगा।  इसके साथ ही ये सभी कोर्स शासकीय निकायों द्वारा मान्यता प्राप्त प्रमाणपत्रों द्वारा समर्थित है।  ये सर्टिफिकेट उनके आगामी जीवन में भी एक मूल्यवान प्रमाण पत्र की तरह एक अतिरिक्त निवेश की भांति  होगा जिस से छात्र कला के क्षेत्र में  कुछ नया सीख पाने में सक्षम होंगे।

अंत में एक बात और भी यहाँ ज़रूरी लगती है। जुर्म को कंट्रोल करने और जुर्म को मिटाने के लिए जितने खर्चे सरकारें करती हैं और जितने झंझट समाज के विभिन्न वर्ग करते हैं उन सभी प्रयासों को खर्चों का दो चार परसेंट भी युवा वर्ग को जुर्म की दुनिया का आकर्षण से हटा कर कला के ज़रिए नवनिर्माण की तरफ मोड़ सकता है। इससे पहले कि कोई समाज दुश्मन हमारे युवाओं के हाथों में बंदूक पकड़ा जाए उससे पहले ही इन युवाओं के सामने कला के क्षेत्र में अच्छी आमदनी वाले रास्ते बनाना बहुत ही फायदेमंद रहेगा। प्राचीन कला केंद्र युवा वर्ग को सपने दिखाने के साथ साथ इन सपनों को साकार करने के लिए भी बहुत कुछ करता है। अगर समाज और सत्ता भी इन प्रयसों में इस संस्थान का साथ दें तो सफलता हैरानकुन होगी। 

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Saturday, March 11, 2023

मोनिका शाह के शास्त्रीय गायन से सजी शाम

 Saturday 11th March 2023 at 7:08 PM

मंच से बिखरा राग जैजावंती का जादू 


चंडीगढ़
: 11 मार्च 2023: (कार्तिका सिंह//संगीत स्क्रीन डेस्क)::

प्राचीन कलाकेंद्र एक ऐसा संस्थान है जिस ने आज के युग में भी संगीत की शुद्धता और नियमों को ध्यान में रख कर न केवळ स्वयं साधना की है बल्कि लाखों अन्य साधकों को भी।  आज भी यहां विशेष आयोजन था। आज जानीमानी शास्त्रीय गायिका मोनिका शाह।  

गीत तो और भी बहुत से होंगें लेकिन इस समय बात करते है इतिहास और फिल्मों की। सन 1960 में आई एक ऐसी ही जानीमानी फिल्म मुगले आज़म की याद लोगों के ज़ेहन मेंअभी तक ताज़ा है। उसकी फोटोग्राफी भी बेहद महंगी थी और उसके सभी गीत भी लोकप्रिय हुए थे। इन गीतों ने कई नए रेकार्ड बनाए और एक इतिहास रचा। लोगों को फिल्म का नाम भी याद रहता है और गीतों के मुखड़े भी लेकिन इन गीतों की धुनों को किस राग के आधार पर तैयार किया गया था इसका ख्याल मन में काम ही उठता है। इस आधार की इस राग की चर्चा होती है पाचन कलाकेंद्र के आयोजनों में। 

आज भी राग का विचार शिद्द्त से उभरा प्राचीन कला केंद्र का आज का आयोजन देख कर। आज प्राचीन कला केंद्र के प्रांगण में राग जैजावंती की खूबसूरती बुलंदी के साथ एक बार फिर  सामने आई। शायद बहुत कम लोग जानते होंगें कि मुगलेआज़म फिल्म की यह प्रसिद्ध क़वाली इसी राग पर आधारित थी।  इसके बोल और अंदाज़ एक नया इतिहास रच गए। बहुत सी फिल्मों के जादूभरे गीतों का आधार रहा राग जैजावंती। जिस क़्वाली  की हम यहां चर्चा कर रहे हैं उसके बोल थे: 

यह दिल की लगी कम क्या होगी!

यह इश्क़ भला कम क्या होगा!

जब रात है ऐसी मतवाली! 

फिर सुबह का आलम क्या होगा!

गीत लिखा था शकील बदायुनी साहिब ने और इसे संगीत से सजाया था जनाब नौशाद साहिब ने। राग जैजावंती पर आधारित इस गीत की धुन ने बह श्रोताओं  में एक विशेष स्थान बनाया। ताल था दादरा। 

इस गीत को अपनी आवाज़ दे कर अमरता प्रदान की सुर सम्राज्ञी लता मंगेशकर जी ने। 

आज इस राग पर विशेष कार्यक्रम सुन पाना सचमुच किसी उपलब्धि से कम नहीं था। प्राचीन कला केन्द्र द्वारा आयोजित की जाने वाली मासिक बैठकों की श्रृंखला में आज केन्द्र की 282 वीं मासिक बैठक का आयोजन केन्द्र के एम.एल.कौसर सभागार में किया गया जिसमें अहमदाबाद से आई शास्त्रीय गायिका डा. मोनिका शाह द्वारा एक मधुर शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति पेश की गई। मोनिका शाह पद्म विभूषण ठुमरी क्वीन के नाम से विख्यात गिरिजा देवी जी की शिष्या हैं । इन्होंनें 1500 से ज्यादा कार्यक्रमों में अपनी खूबसूरत प्रस्तुतियों से संगीत प्रेमियों का दिल जीता है । इन्होंनें देश ही नहीं विदेशों में अपनी कला का बखूबी प्रदर्शन किया है। इन्होंनें आराधना संगीत अकादमी की स्थापना की जिसमें लगभग 200 विद्यार्थी संगीत की शिक्षा ले रहे हैं ।

 आज के कार्यक्रम की शुरूआत राग जैजैवंती से की गई जिसमें पारम्परिक आलाप के बाद इन्होंनें बड़े ख्याल की रचना ‘‘लड़ा में सजनी’’ जो कि विलम्बित एक ताल में निबद्ध थी पेश की । इसके उपरांत मोनिका ने मध्य लय तीन ताल में निबद्ध रचना ‘‘विनती की करीए बात जो’’ पेश की। इसके उपरांत राग मिश्र खमाज ताल में निबद्ध ठुमरी  जिसके बोल थे ‘‘जग पड़ी मैं तो पिया के जगाए’’ प्रस्तुत करके खूब तालियां बटोरी ।

कार्यक्रम के अंत में केन्द्र के सचिव श्री सजल कौसर ने कलाकारों को सम्मानित किया ।हुत से लोग जो केवल गीत सुनते हैं उनके लिए तो आज भी यह गीत विशेष हैं। जो लोग संगीत की गहरी समझ रखते हुए इसके राग आधारित पहलुओं को भी जानना चाहते हैं। इस दिशा में हमरे विशेषज्ञों ने जो बताया उसका सारांश इस प्रकार है:

यहाँ इस बात की चर्चा करते हुए उल्लेखनीय है कि आरोह में पंचम के साथ शुद्ध और धैवत के साथ कोमल नि प्रयोग किया जाता है, जैसे म प नि सां, ध नि रे। किन्तु अवरोह में कोमल निषाद प्रयोग किया जाता है। इस राग की प्रकृति गंभीर है तथा चलन तीनो सप्तकों में समान रूप से होती है एवं इसमें छोटा ख्याल, बडा ख्याल, ध्रुपद, धमार सभी शोभा देते है।

गौरतलब है कि इस राग में राग अल्हैया, राग छाया व राग देस का अंग दूध-पानी कि भांति मिला हुआ है। यथा - राग अल्हैया का अंग- ग प ध नि१ ; ग नि१ ; नि१ ध प ध ग म ग रे ; रे ग१ रे सा; राग छाया का अंग- रे रे ग रे; रे ग म प ; म ग ; म ग रे; ,प रे रे ग१ रे सा, राग देस का अंग- रे रे; म प नि; नि सा'; नि सा' रे' नि१ ध; प ध म ग ; म ग रे; ,नि सा ,ध ,नि१ रे।

बहुत से गुणी कलाकार इस मामले पूरी तरह से पारंगत हैं। इस तरह के गायन की कमांड  रखने वाले इस राग को राग बागेश्री के आरोह के द्वारा भी गाते हैं परंतु देस अंग का आरोह यथा रे म प नि सा' वाला रूप ही प्रचार में अधिक है। इस राग का स्वर विस्तार तीनों सप्तकों में किया जाता है।

इस तरह कुछ और गीत भी इसी राग पर आधारित रहे। इन्हीं में से एक गीत था;

ज़िंदगी आज मेरे नाम से शर्माती है: यह गीत फिल्म "सन ऑफ इंडिया" का था जो सन 1962 में आई थी। ताल दादरा रहा। इस गीत को आवाज़ दी थी मोहम्मद रफ़ी साहिब ने और  से सजाया था जनाब नौशाद साहिब ने। 

निकट भविष्य में भी हम आपके रूबरू इसी तरह की जानकारी लाते रहेंगे। आप भी संगीत स्क्रीन से जुड़िए। विवरण यहां क्लिक कर के देख सकते हैं। 

Saturday, October 1, 2022

प्राचीन कला केंद्र में हुआ नयी परंपरा का आगाज़

केंद्र में महसुस हो रहा था अंतर्राष्ट्रीय स्तर का आयोजन 

चंडीगढ़: 1 अक्टूबर 2022: (कार्तिका सिंह//संगीत स्क्रीन):: 
वो लोग जिन्होंने या तो हमेशां अपनी मातृभाषा बोली या फिर केवल अंग्रेज़ी। भारत की कोई भाषा उन्हें नहीं आती। न वे लोग समझ सकते हैं और न ही बोल सकते हैं। भाषा की इस कठिनाई के बावजूद चंडीगढ़ के प्राचीन कलाकेंद्र में ये विदेश कलाकार और भारत के कलाकार इस तरह एक दुसरे में घुलमिल गए थे जैसे जन्मों जन्मों से एक दुसरे को जानते हों। कला को और शिद्दत से सीखने की प्यास और कला के साथ अंतरंगता ने यह चमत्कार भी कर दिखाया था। माहौल अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक माहौल बना हुआ था। कोई धर्म नहीं, कोई सीमा नहीं, कोई जातिपाति नहीं, कोई धर्म नहीं....! केवल एक ही मज़हब था-कला का मज़हब। प्राचीन कला केंद्र का यह आज का रंग भी देखने वाला था। एक कलामय माहौल। गीत, संगीत और डांस के अनुभवों की ऊंचाई।  दूर दराज से आए कलाकारों से मिल कर और उनकी परफॉर्मेंस को देख कर यूं लगता था जैसे हम किसी अंतर्राष्ट्रीय आयोजन में मौजूद हों। 

प्राचीन कला केंद्र ने आज यहां अपने एम.एल. कौसर  इंडोर ऑडिटोरियम दोपहर 12:00 बजे  एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया।  केंद्र ने अपनी नयी उपलब्धि का विस्तृत परिचय देने हेतु  प्रेस से मुलाकात की।  इस नए कार्यक्रम के तहत केंद्र के मोहाली परिसर में "गुरु शिष्य परम्परा" के सानिध्य में विभिन्न शास्त्रीय शैलियों के श्रद्धेय गुरुओं के सक्षम मार्गदर्शन में "विधिवत तालीम"   देने के लिए तीन वर्षीय कोर्स की शुरुआत की गई है।   यहां उल्लेख करना प्रासंगिक है कि केंद्र में शास्त्रीय कला के क्षेत्र में तालीम प्राप्त करने वाले विदेशी और भारतीय छात्रों के लिए मेस सुविधाओं के साथ एक सुसज्जित छात्रावास है। विभिन्न देशों से ICCRऔर PKK छात्रवृत्ति के माध्यम से कुछ छात्र पहली अक्टूबर, 2022 से इस गहन शिक्षण कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं। इसी कार्यक्रम के परिचय के दौरान  इन विदेशी छात्रों द्वारा अपने अपने देश की कला का बखूबी प्रदर्शन किया गया।  अपने देश की पारम्परिक वेश भूषा में सजे इन छात्रों ने अपनी देश की कला और संगीत की सुन्दर झलकियां पेश की।  कज़ाकिस्तान और बांग्लादेश से आये इन छात्रों ने अपने देश की कला और संस्कृति का परिचय दिया  

गुरु शिष्य परंपरा का महत्व
अखण्डमंडलकरम व्याप्तम येना चरचाराम |
तत्पदं दर्शीतं ये तस्माई श्रीगुरुवे नमः ||
(उस महान गुरु को नमन, जिसने उस अवस्था को साकार करना संभव बनाया जो पूरे ब्रह्मांड में, सभी जीवित और मृत में व्याप्त है।)
इतिहास और संस्कृति से समृद्ध देश, भारत ने आदिकाल से ही यह महसूस किया है कि युवा व्यक्तित्व  के विकास में एक गुरु का क्या महत्व है। भारतीय संस्कृति में गुरु की भूमिका किसी विषय को पढ़ाने वाले से परे होती है। अपने गुरु से सीखे गए पाठ कहीं अधिक जटिल होते हैं, क्योंकि वे दुनिया के लिए छात्र की आंखें खोलते हैं और अपने विचारों को सही दिशा देते हैं जिसमें उन्हें अपनी ऊर्जा का उपयोग बढ़ाने और  समृद्ध होने और सफल होने के लिए करना चाहिए।

प्राचीन कला केंद्र के तत्वावधान में छात्र विभिन्न गुरुओं- गुरु शोभा कौसर  जी, गुरु सौभाग्य वर्धन, गुरु बृजमोहन गंगानी, डॉ समीरा कौसर , श्री परवेश और योगी आशु प्रताप से सीखेंगे। कार्यक्रम के लिए छात्रों का पहला बैच पहले ही देश के विभिन्न हिस्सों से और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारे साथ जुड़ चुका है।  

ये छात्र जल्द ही अपनी कक्षाएं शुरू करेंगे और अपनी कला-रूपों की बारीकियों को सीखने के साथ-साथ अपने गुरुओं के अनुभवों जो अपने क्षेत्र में उस्ताद हैं और युवा कलाकारों के लिए ज्ञान की सोने की खान से सीखेंगे! 60 से अधिक वर्षों से, प्राचीन कला केंद्र ने कला और संस्कृति के बारे में ज्ञान को बढ़ाने और फैलाने का प्रयास किया है और यह कार्यक्रम उस दिशा में अगला कदम होगा!

कुल मिला कर आज का आयोजन एक नई भव्य शुरुआत का शुभारम्भ था--एक  उदघोषणा जैसा-- जैसा था। प्राचीन कला केंद्र के भव्य सभागार के शांत माहौल में संगीत और नृत्य की लहरियां निमंत्रण दे रही थीं कि आओ और  डुबकी लगाओ। कला के इस आसमान में उड़ान भरो। 

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Thursday, August 11, 2022

केंद्र की 275 वी मासिक बैठक में अंजलि के कत्थक नृत्य से सजी शाम

 Thursday 12th Aug 2022 at 5:55 PM

आज भी दर्शक कार्यक्रम के समापन तक मंत्रमुगध हो कर बैठे रहे 


चंडीगढ़
: 12 अगस्त 2022: (गुरजीत बिल्ला//इनपुट-कार्तिका सिंह//संगीत स्क्रीन)::

पत्थरों का शहर  कहे जाने वाले चंडीगढ़ को जो लोग और जो संगठन जीवंत और संवेनदशील बनाए रखते हैं उनमें प्राचीन कला केंद्र भी एक है। इस संस्थान की ओर से नियमित तौर पर आयोजन किए जाते हैं जो संगीत को समर्पित होते हैं। इन आयोजनों में शामिल होने का मतलब होता है दुनिया की भागदौड़ और तनाव से अलग हो कर स्वतः ही स्वयं से जुड़ा, प्रकृति से जुड़ना, संगीत से जुड़ना और भगवान से जुड़ना। बिना कोई मेडिसिन और नशा लिए एक खुमारी में डूब जाना। आज भी यहाँ एक विशेष आयोजन थे। 

चंडीगढ़ ही नहीं बल्कि देश की जानी मानी सांगीतिक संस्था प्राचीन कला केन्द्र पिछले 23  वर्षों से लगातार मासिक बैठकों का निरंतर आयोजन करता आ रहा है  जिसमें देशभर से ही नहीं बल्कि विदेशों में बसे  विभिन्न शास्त्रीय कलाओं में पारंगत कलाकार भाग ले चुके हैं ।  इन बैठकों में वरिष्ठ कलाकारों से लेकर उभरते कलाकारों ने अपनी खूबसूरत प्रस्तुतियों से संगीत प्रेमियों का मनोरंजन किया है   और ये सिलसिला आज भी  जारी है।

आज की बैठक में दिल्ली की युवा एवं प्रतिभावान कत्थक नृत्यांगना अंजलि मुंजाल ने खूबसूरत  कत्थक नृत्य की प्रस्तुति पेश की  । अंजलि अल्पायु से ही कत्थक नृत्य सीख रही है । उन्होंने कत्थक की विधिवत शिक्षा अपने गुरु विधा लाल से प्राप्त की है  । अंजलि के नृत्य में उनका कठिन परिश्रम,रियाज़ और अभिनय अंग पर खास पकड़ उन्हें संगीत जगत में नई पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण पहलू रहा है ।

अंजलि ने  कार्यक्रम की शुरूआत श्री गणेश वंदना  से की जिस में अंजलि ने नृत्य के माध्यम से भगवन गणेश को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किये  उपरांत अंजलि  ने  शुद्ध पारम्परिक कत्थक नृत्य प्रस्तुत किया  जिस में तीन ताल में निबद्ध आमद , परन, तिहाई,तोड़े,टुकड़े,गत निकास,चक्र लड़ी आदि प्रस्तुत किया ।

कार्यक्रम का समापन अंजलि ने एक खूबसूरत रचना "बिजुरी चमके "  से किया जोकि मौसम के अनुसार राग मिया मल्हार में निबद्ध थी । इसके उपरांत  अंजलि ने कुछ पारम्परिक बंदिशें भी पेश की।   अंजलि ने अभिनय अंग,पैरों की चालों एवं नृत्य की खूबसूरत मुद्राओं से कार्यक्रम को चार चांद लगा दिए ।

अंजलि के साथ अमान अली  ने तबले  पर , आमिर अली ने सारंगी पर  और सुहेब हसन ने गायन  पर और सोनम यादव ने पडंत पर बखूबी  संगत की कार्यक्रम के अंत में केंद्र की रजिस्ट्रार डॉ शोभा कौसर एवं सचिव श्री सजल कौसर ने कलाकारों को सम्मानित किया। 

Saturday, June 18, 2022

सुरोताल सुसज्जित संध्या में उभरते कलाकारों ने जमाया रंग

18th June 2022 at 5:28 PM

‘‘सुरोताल सुसज्जित संध्या’’ प्राचीन कला केन्द्र की एक और उपलब्धि 


चंडीगढ़
: 18 जून 2022: (कार्तिका सिंह//संगीत स्क्रीन)::

प्राचीन कला केन्द्र पिछले 70 दशकों से निरंतर संगीत कला की स्वार्थहीन सेवा अपने अनथक प्रयासों से करता आ रहा है । प्राचीन कला केन्द्र न सिर्फ जाने माने कलाकारों की कला को कला प्रेमियों तक पहुंचाता है बल्कि आने वाले कल के युवा एवं उभरते कलाकारों को मंच देने का विलक्षण कार्य भी केन्द्र निरंतर करता आ रहा है । इसी कड़ी में आज एक विशेष सांगीतिक कार्यक्रम ‘‘सुरोताल सुसज्जित संध्या’’ का आयोजन प्राचीन कला केन्द्र द्वारा किया गया जिसमें चंडीगढ़ के कई उभरते कलाकारों द्वारा खूबसूरत प्रस्तुतियां पेश की गई और इन कलाकारों ने न सिर्फ केन्द्र से बल्कि गुरू शिष्य परम्परा के तहत अपने माननीय गुरूओं से भी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं ।

आज के कार्यक्रम का आयोजन केन्द्र के एम.एल.कौसर सभागार में किया गया और इस कार्यक्रम में नन्हें पदमाकार कश्यप,उज्जवला मुरूगन,रिया चक्रवर्ती,श्रद्धा मुरलीधरन एवं सुहानी शर्मा ने अपनी कला प्रतिभा से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया ।

आज के कलाकारों में सब अपने आप में विलक्षण है । नन्हें पदमाकर कश्यप जो कि मात्र आठवीं के छात्र है और अपने पिता एवं गुरू प्रभाकर कश्यप और चाचा दिवाकर कश्यप से संगीत की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं । संगीत इनके खून में बसा है ।

दूसरी कलाकार उज्जवला मुरुगन एक उच्च स्तरीय आईएएस माता-पिता की संतान है । 11 वीं की  प्रतिभावान छात्रा उज्जवला न सिर्फ संगीत में रूचि रखती है बल्कि खेलकूद और पढ़ाई में भी उनकी गहरी रूचि है । इन्होंने संगीत की शिक्षा अपने पहले गुरू यशपाल शर्मा के अलावा उज्जवला  प्रो.हरविंदर सिंह से संगीत की बारीकियां सीख रही है ।

आज की तीसरी कलाकार सुहानी शर्मा भी आईएएस माता-पिता की संतान है जो दसवीं की छात्रा है और अपने गुरू अमित गंगानी से पिछले पांच वर्षो से तबला की शिक्षा ग्रहण कर रही है । सुहानी ने प्राचीन कला केन्द्र से भी संगीत भूषण डिप्लोमा प्राप्त किया है ।

आज की चौथी कलाकार श्रद्धा मुरलीधरन डाक्टर दंपति की विलक्षण संतान है । 22 वर्षीय युवा श्रद्धा स्वयं एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है लेकिन संगीत में भी उनकी गहरी रूचि है । इन्होंने अपने गुरू प्रो.सौभाग्य वर्धन जी से संगीत की शिक्षा प्राप्त की है । बाबा हरिवल्लभ सम्मेलन में जूनियर कंपीटिशन में प्रथम स्थान प्राप्त कर चुकी श्रद्धा अब तक बहुत से कार्यक्रम में अपनी प्रस्तुतियांे से संगीत प्रेमियों को अवगत करवा चुकी है ।

आज के कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति उपरोक्त सभी कलाकारों से थोड़ी अलग है क्यों कि हमारी पांचवी कलाकार रिया अग्रवाल विशेष रूप से सक्षम हैं क्योंकि न तो रिया ठीक से बोल पाती है न सुन पाती है, लेकिन इस कठिन परिस्थिति में भी हौसलों से भरी रिया को जब गुरू डॉ.शोभा कौसर के शिष्यत्व की छांव मिली तो उसकी तपती जिंदगी को एक नया आयाम मिला । रिया गुरू डॉ.शोभा कौसर के शिष्यत्व में कथक सीख रही है और बखूबी अपनी कला को निखार रही है ।

आज के कार्यक्रम की शुरूआत पदमाकर कश्यप के गायन से हुई । राग मालकौंस में पदमाकार ने झपताल में निबद्ध रचना ‘‘प्रथम कर ओम’’ पेश की और इसके बाद छोटे ख्याल की रचना ‘‘सियापति राम कृष्णा राधा’’ । इसके पश्चात द्रुत लय में निबद्ध ‘‘आवें नहीं देत मोहे कन्हाई’’ पेश की । कार्यक्रम के अंत में एक भजन ‘‘ऐसे ही गुुरू भावे’’ पेश करके खूब सराहना प्राप्त की।

इसके पश्चात उज्जवला मुरूगन ने मंच संभाला और राग बागेश्री में आलाप के बाद विलम्बित ख्याल की रचना ‘‘कौन गत भई’’ पेश की । उपरांत द्रुत रचना ‘‘कौन करत तोरी विनती पिहरवा’’ पेश करके खूब तालियां बटोरी । उज्जवला ने कार्यक्रम के अंत में तराना पेश किया ।

इसके पश्चात सुहानी शर्मा ने तबला वादन प्रस्तुत किया जिसमें उन्होंने तीन ताल में तबले की प्रस्तुति पेश की । पेशकार,कायदे,रेले,गतें इत्यादि पेश करके खूब प्रशंसा हासिल की ।

कार्यक्रम की अगली पेशकश में श्रद्धा मुरलीधरन ने राग बिहाग से सजी बड़े ख्याल की बंदिश ‘‘का से कहंू मन की व्यथा’’ जो कि चतुश ताल में निबद्ध थी पेश की इसके उपरांत छोटे ख्याल की रचना ‘‘गुण गाऊँगी वीरन पथिकवा’’ प्रस्तुत की । कार्यक्रम के अंत में उन्होंने एक भजन ‘‘मन लगो मेरा यार फकीरी में’’ प्रस्तुत की जिसे दर्शकों ने खूब सराहा ।

कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति में रिया अग्रवाल की कथक प्रस्तुति पेश की गई । इसमेें सबसे पहले रिया ने आलाप से शुरूआत करके गुरू वंदना पेश की । उपरांत धमार ताल 14 मात्रा में निबद्ध पर कथक नृत्य पेश किया । कार्यक्रम के अंत में तीन ताल से सजी कथक के कुछ पारम्परिक अंग जैसे कवित्त,तोड़े,टुकड़े,चालें इत्यादि बेहद खूबसूरती से पेश की । रिया ने अपने खूबसूरत नृत्य से इस बात की पुष्टि की कि इंसान चाहे तो दुनिया के हर असंभव काम को संभव किया जा सकता है बेशर्त हमारे पास इच्छा शक्ति हो । 

कार्यक्रम के अंत में केन्द्र की रजिस्ट्रार डॉ.शोभा कौसर,सचिव श्री सजल कौसर ने कलाकारों को मोमेंटो और सर्टिफिकेट  देकर सम्मानित किया गया ।


Thursday, June 16, 2022

डाॅ.रागेश्री दास द्वारा खूबसूरत गज़लों की शाम ने मोहा दर्शकों का मन

16th June 2022 at 5:59 PM

प्राचीन कला केन्द्र द्वारा विशेष कार्यक्रम का आयोजन

   श्रीमती गंधर्व वर्मा की पहली पुण्यतिथि पर इस अंदाज़ मेंर ही संगीतमय शाम     


चंडीगढ़
: 16 जून 2022: (संगीत स्क्रीन ब्यूरो)::
श्रीमती गंधर्व वर्मा की पहली पुण्यतिथि पर इस विशेष कार्यक्रम का आयोजन प्राचीन कला केन्द्र द्वारा यहां केन्द्र के एम.एल.कौसर सभागार में खूबसूरत गजलों से सजी शाम का आयोजन किया गया । जिसमें कोलकाता की प्रसिद्ध गायिका रागेश्री दास द्वारा गजल,ठुमरी,दादरा इत्यादि की खूबसूरत एवं मनमोहक प्रस्तुति पेश की गई । इस कार्यक्रम का आयोजन केन्द्र की कार्यकारिणी समिति की पूर्व मेंबर एवं एक विलक्षण कलाकार स्वर्गीय श्रीमती गंधर्व वर्मा की प्रथम पुण्यतिथि के अवसर पर किया गया ।

आज के कार्यक्रम की कलाकार डाॅ.रागेश्री दास युवा पीढ़ी की बेहद प्रतिभावान एवं आकर्षक कलाकार है । इन्होंने अपने पिता पुरनेनंदू दास के अलावा गुरू पंडित मोहन लाल मिश्रा एवं विदुषी रीता गांगुली से शिक्षा प्राप्त की । इन्होंने देशभर मे अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों के दिल में खास जगह बनाई ।

आज के कार्यक्रम की शुरूआत इन्होंने खूबसूरत गज़ल  फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया से की। इसके उपरांत इन्होंने एक और खूबसूरत गीत अपने चेहरे से जो जाहिर है और दिल-ए-नादां  तुझे हुआ क्या है पेश करके खूब तालियां बटोरी। 

इसके पश्चात कुछ और खूबसूरत गज़ल फासले ऐसे भी होंगे ,रस्में उल्फत सिखा गया,  कोई वो दिल नवाज है जैसी ग़ज़लें पेश करके दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके बाद इन्होंने एक मधुर दादरा साजन मेरा छोड़ गया पेश किया और अंत में राग भैरवी पर आधारित रचना मृगनयनी तोरी आंख पेश की ।

कार्यक्रम में इनके साथ तबले पर शहर के प्रसिद्ध तबला वादक आविर्भाव वर्मा,हारमोनियम पर तरूण जोशी एवं सारंगी पर कोलकाता के अल्ला रक्खां कलावंत ने बखूबी साथ दिया। केन्द्र के सचिव श्री सजल कौसर ने बखूबी मंच संचालन किया और डाॅ.शोभा कौसर ने कलाकारों को सम्मानित किया ।


Saturday, April 30, 2022

रमनीक सिंह की रमणीय प्रस्तुति से दर्शक मंत्रमुग्ध

30th April 2022 at 06:43 PM

 तीन ताल से सजी द्रुत ख्याल की बंदिश बहुत ही यादगारी रही 

चंडीगढ़: 29 अप्रैल 2022: (गुरजीत बिल्ला//संगीत स्क्रीन//पंजाब स्क्रीन)::

प्राचीन कला केन्द्र द्वारा एक विशेष सांगीतिक संध्या का आयोजन केन्द्र के एम.एल.कौसर सभागार में सायं 6:30 बजे से किया गया। इस कार्यक्रम में कनाडा निवासी रमनीक सिंह ने अपने शास्त्रीय गायन की मधुर प्रस्तुति से दर्शकों का मन मोह लिया । इस प्रस्तुति के दौरान कोविड नियमों जैसे मास्क एवं सामाजिक दूरी का पालन किया गया । इस अवसर पर केन्द्र के सचिव श्री सजल कौसर एवं केन्द्र की रजिस्ट्रार डॉ. शोभा कौसर भी उपस्थित थे।  

कनाडा में जन्मी रमनीक सिंह इंदौर घराने की युवा शास्त्रीय गायिका है। इन्होंने इंदौर घराने के महान उस्ताद अमीर खां साहिब से संगीत की शिक्षा प्राप्त की । इन्होंने ठुमरी, ख्याल, तराना, शब्द इत्यादि में महारत हासिल की । देश-विदेश के विभिन्न स्थानों पर अपनी प्रस्तुतियों से प्रसिद्धि हासिल की ।

आज के कार्यक्रम की शुरुआत राग मुल्तानी से की । पारम्परिक आलाप के पश्चात विलम्बित ख्याल में निबद्ध एक ताल की रचना गोकुल गांव के छोरा रे प्रस्तुत की । इसके पश्चात तीन ताल से सजी द्रुत ख्याल की बंदिश सुंदर सुरजनवा
सईंया रे प्रस्तुत करके दर्शकों की तालियां बटोरी । इसक उपरांत स्वरचित तराना पेश करके रमनीक ने दर्शको को मंत्रमुग्ध कर दिया । इसके पश्चात राग धानी में आड़ा तीन ताल से सजी रचना चतुर बलमा सईंया मोरा पेश की । उपरांत राग देश से सजी शब्द जिसके सिर उपर तू स्वामी पेश किया और साथ ही राग खमाज में एक सुंदर ठुमरी कौन गली गयो श्याम पेश की। 

कार्यक्रम के अंत में रमनीक ने राग भैरवी से सजी पंजाबी लोक गीत हीर से समां बांध दिया। रमनीक ने संगीत के हर रंग पेश करके दर्शकों की प्रशंसा अर्जित की । इनके साथ मंच पर तबले पर महमूद खां एवं हारमोनियम पर राकेश कुमार ने संगत की ।

कार्यक्रम के अंत में श्री सजल कौसर एवं    डॉ. शोभा कौसर ने कलाकारों को पुष्प देकर सम्मानित किया।

Tuesday, December 21, 2021

21 से 25 दिसंबर युवा कलाकार अंकिता गुप्ता द्वारा कलाकृतियों की सुन्दर प्रदर्शनी

 Tuesday 21st December 2021 at 5:04 PM

दो दिवसीय संगीतमयी संध्या हेमंतोत्सव 27 एवं 28 दिसंबर को 

प्राचीन कला केंद्र द्वारा प्रेस कांफ्रेंस में कीजै गया विशेष आयोजनों का एलान 


चंडीगढ़
: 21 दिसंबर 2021: (गुरजीत सिंह बिल्ला//कार्तिका सिंह//संगीत स्क्रीन)::

अगर जालंधर में हरवलभ संगीत सम्मेलन ने उत्तर भारत का नाम रौशनकिया है तो उसी भावना को चंडीगढ़ में विकसित कर रहा है प्राचीन कलाकेंद्र। चंडीगढ़ जिसे पत्थरों का शहर कहा जाता है इसमें कला और भावनाएं जगाने वालों में प्राचीन कलाकेंद्र बहुत ही सक्रिय रहा है। पंजाब स्क्रीन के विशेष सहयोगी संस्थान संगीत स्क्रीन के बहुत से शुभचिंतक और इस परिवार के सदस्य ऐसे रहे हैं जिनका प्राचीन कलाकेंद्र के साथ नज़दीक का राब्ता रहा है। चंडीगढ़ से दूर दराज पड़ते क्षेत्रों में भी प्राचीन कलाकेंद्र का नाम है। इस संस्थान की शिक्षा पा कर बहुत से कलाकारों ने दो न सिर्फ संगीत के जादू को फैलाया बल्कि खुद की रोज़ी रोटी भी इसी साधना से अर्जित की। इस बार भी दो दिवसीय संगीतमयी संध्या हेमंतोत्सव प्राचीन कला केंद्र द्वारा एक यादगारी कार्यक्रम रहेगा। 

इस गौरवपूर्ण संस्थान प्राचीन कला केंद्र द्वारा आज यहाँ प्राचीन कला केंद्र के 35 स्थित काम्प्लेक्स में  एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया।इस कांफ्रेंस का प्रयोजन केंद्र द्वारा आयोजित किये जा रहे दो कार्यक्रमों के बारे में  विस्तृत जानकारी देना था।इस  अवसर पर  केंद्र की रजिस्ट्रार एवं कत्थक गुरु डॉ शोभा कौसर,  प्रोजेक्ट प्लानिंग विभाग के निदेशक श्री आशुतोश   महाजन, युवा कलाकार अंकिता गुप्ता , प्रख्यात कलाकार श्री सिद्धार्थ भी उपस्थित थे। इस अवसर पर  केंद्र  के नए सदस्य  और  कौसर परिवार की तीसरी पीढी पार्थ  कौसर भी उपस्थित थे 

प्राचीन कला केंद्र इस वर्ष की विदाई न केवल  दृश्य कला के खूबसूरत नमूने के साथ साथ  संगीतमई संध्या से करना चाहता है  और साथ ही नव वर्ष के आगमन से पहले कला एवं संगीत प्रेमियों को संगीत से सजी शाम की मधुर यादों से सराबोर करना चाहता है।  इसी सुरमई सोच से उपरोक्त दोनों कार्यक्रमों का आयोजन किया जा  रहा है।  

21 से 25  दिसंबर तक शहर की युवा कलाकार अंकिता गुप्ता द्वारा रचित  खूबसूरत कलाकृतियों  की सुन्दर प्रदर्शनी के आयोजन का एलान भी इसी प्रेस कांफ्रेंस में किया गया। 

कला और संस्कृति को समर्पित प्राचीन कला केंद्र संगठन शहर की एक युवा और बहुत ही प्रतिभाशाली कलाकार अंकिता गुप्ता द्वारा नवीन कला कृतियों को प्रदर्शित करते हुए एक अनूठी कला कृतियों का आयोजन करने जा रहा है।

प्रख्यात कलाकार श्री सिद्धार्थ इस प्रदर्शनी में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करेंगे और 21 दिसंबर को शाम 5:00 बजे  इसका उद्घाटन करेंगे। श्री मदन लाल, मानद सचिव, पंजाब ललित कला अकादमी भी इस अवसर पर शिरकत करेंगे। यह प्रदर्शनी 22 से 25 दिसंबर तक रोजाना सुबह 10:00 बजे से रात 8:00 बजे तक देखी जा सकेगी। प्रदर्शनी केंद्र के 35 सेक्टर परिसर में पीकेके आर्ट गैलरी में आयोजित की जाएगी।

अंकिता गुप्ता श्री राज कुमार, एस. सिद्धार्थ और उनके पिता आर.के. गुप्ता जो स्वयं शहर के जाने माने कलाकार हैं, जैसे कलाकारों के संरक्षण में पली-बढ़ी। । एक कलाकार के घर जन्मी और खुद रचनात्मकता में निपुण अंकिता गुप्ता सिक्किम मणिपाल विश्वविद्यालय से विज़ुअलाइज़ेशन में स्नातकोत्तर हैं। उन्होंने  सृष्टि आर्ट कॉलेज से विज़ुअलाइज़ेशन में पोस्ट-ग्रेजुएशन पूरा किया।

मास्टरपीस बनाने के लिए अपने पिता के साथ साझेदारी करने से पहले, उन्होंने 7 साल तक डिजिटल चित्रकार  के रूप में काम किया। अपने पिता की कार्यशाला के आस-पास पड़ी खूबसूरत कला के साथ  और नई चीजें सीखने की उनकी बच्चों जैसी जिज्ञासा ने उन्हें गोंड, वारली, आदिवासी और अफ्रीकी जनजातीय कला जैसे विभिन्न कला रूपों की समझने का अवसर दिया ।उनके विचार में “कला का कोई उद्देश्य नहीं होता। यह बस प्रवाहित होती रहती है और फिर भी पीढ़ियों को प्रेरित करने के लिए जीवंत रूप में उपस्थित रहती है । इसकी सुंदरता इसकी अनिश्चितता में है।"

आध्या का जन्म अनिश्चितताओं से हुआ था।आध्या का लक्ष्य विलुप्त कला रूपों के लिए कला प्रेमियों को उत्साहित करना  को फिर से प्रज्वलित करना और दुनिया के सभी कोनों में उनकी विशिष्टता को जीवित रखना है।

अंकिता जैसे शिक्षार्थी के लिए सांस्कृतिक कलात्मकता की विभिन्न बारीकियों पर काम करना  स्वाभाविक है, जो आध्या द्वारा बनाये गए कला के खूबसूरत रचनाओं  को काफी अद्वितीय और विशिष्ट बनाता है।

 दो दिवसीय संगीतमयी संध्या हेमंतोत्सव

प्राचीन कला केंद्र  27  एवं 28 दिसंबर को संगीत , सुर और ताल से सजे हेमंतोत्सव का आयोजन करने जा रहा है।  जाते हुए वर्ष की विदाई और आने वाले वर्ष का स्वागत  करने हेतु इस दो दिवसीय संगीत संध्या का आयोजन किया जा रहा है।  इस कार्यक्रम में जानी मानी शास्त्रीय गायिका सान्या पाटनकर एवं प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक एवं संगीत रचयता डॉ  गन्धर्व वर्मा अपनी  मधुर प्रस्तुतियों से दर्शकों का मनोरंजन करेंगे।  इस कार्यक्रम का आयोजन केंद्र के ऍम एल कौसर सभागार में सायं 6 बजे से किया जायेगा।

Saturday, November 13, 2021

प्राचीन कला केंद्र और गुरमत संगीत सोसाइटी चंडीगढ़ का विशेष प्रयास

 Saturday 13th November 2021 at 7:05 PM

10वीं अखिल भारतीय शब्द गायन प्रतियोगिता का सफलआयोजन


चंडीगढ़: 13 नवंबर 2021: (गुरजीत बिल्ला//संगीत स्क्रीन)::

प्राचीन कला केंद्र और गुरमत संगीत सोसाइटी चंडीगढ़ ने केंद्र की 7वीं गुरमत संगीत बैठक के रूप में रागमाई कीर्तन दरबार का आयोजन किया और 10वीं अखिल भारतीय शबद गायन प्रतियोगिता का सफलतापूर्वक आयोजन किया।

प्राचीन कला केंद्र की ओर से आज प्राचीन कला केंद्र के 7वें गुरमत बैठक में गुरु तेग बहादुर गुरुद्वारा सेक्टर 34 में रचमाई कीर्तन दरबार का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का संचालन गुरमत संगीत विभाग, पुराण कला केंद्र के प्रमुख मलकीत सिंह जंडियाला ने किया। इस अवसर पर श्री सजल कौसर, सचिव, केंद्र, गुरमत संगीत विभाग और श्री आशुतोष महाजन, मानद निदेशक, परियोजना, योजना एवं विकास, प्राचीन कला केंद्र उपस्थित थे। श्री सजल कौसर, सचिव, प्राचीन कला केंद्र ने इस अवसर पर घोषणा की कि गुरमत संगीत में रुचि रखने वाले सभी छात्रों को मुफ्त गुरमत संगीत शिक्षा प्रदान की जाएगी।

कार्यक्रम की शुरुआत रोपड़ की कीर्तनकार कमलजीत कौर ने की, जिसमें उन्होंने राग कल्याण में 'प्रभ मेरा अंतरजामी जान' शब्दों का प्रदर्शन किया। तत्पश्चात उन्होंने राग धनश्री में शब्दों को प्रस्तुत कर संगत का मनोरंजन किया। तब भाई राजवीर सिंह ने सुंदर शब्द 'शोभा मेरे ललन की' पेश किए।

इसके बाद होशियारपुर के सतविंदर सिंह ने राग सोरठ से 'रे मन राम सियों कर प्रीत' वाक्यांश का पाठ किया और राग कन्हारा में सुंदर शब्दों का प्रदर्शन भी किया। बाद में, भाई भगत सिंह, जो कीर्तन करने के लिए अमृतसर से आए थे, ने राग कन्हारा में "मेरा मन साध जान मिल हरिया" के साथ प्राचीन संस्कारों से गुरमत संगीत के बोलों का पाठ किया। इसके बाद पटियाला के डॉ. गुरनाम सिंह ने पुराना जत्था गाकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया

इसके बाद दिल्ली के अमृतपाल सिंह जी ने राग श्री में 'रंग रात मेरा साहिब' शब्द का परिचय दिया। फिर उन्होंने राग नट नारायण में शब्द की शुरुआत की और कई प्राचीन गुरमत बंधों की शुरुआत की। बाद में श्री मलकीत सिंह जंडियाला जी ने राग श्री और केदार में कुछ प्राचीन गुरमत गीत प्रस्तुत कर संगत का मनोरंजन किया।

कार्यक्रम के अंत में जालंधर के प्रसिद्ध कीर्तनकार भाई दविंदर सिंह बोदल ने राग गौरी पूर्वी में 'काम क्रोध नगर भो भारिया' और प्राचीन परंपरा में 'पीर देखना दा आस' का पाठ कर संगत का मनोरंजन किया। कार्यक्रम के अंत में कलाकारों को सम्मानित किया गया।

दूसरे दिन 10वीं अखिल भारतीय शबद गायन का आयोजन किया गया, जिसमें परमदीप सिंह, होशियारपुर, अमनजोत सिंह राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, सेक्टर 38, चंडीगढ़ दूसरे और वैभव शर्मा, शिवालिक पब्लिक स्कूल, मोहाली तीसरे स्थान पर रहे।

इसके अलावा हरमन कौर और हरशरण सिंह, जिला उधमपुर, जम्मू-कश्मीर, एवलिन कौर सिद्धू, टेंडर हार्ट स्कूल, चंडीगढ़, जफमीत सिंह, जीरकपुर को सांत्वना पुरस्कार दिए गए।

सीनियर सिंगल्स में अमृतपाल कौर, खालसा कॉलेज, अमृतसर ने पहला, सागर, गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल, सेक्टर 38 वेस्ट दूसरे , और अमृतपाल सिंह गुरु गोबिंद सिंह खालसा कॉलेज, सेक्टर 26, चंडीगढ़ ने तीसरा स्थान हासिल किया। इसके अलावा रमनदीप सिंह, गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल, सेक्टर-35, चंडीगढ़ और जेवी सिंह, चंडीगढ़ को सांत्वना पुरस्कार दिए गए।

जूनियर ग्रुप प्रतियोगिता में गवर्नमेंट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल सेक्टर 38 (वेस्ट) ने पहला, गवर्नमेंट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल, सेक्टर 16 (वेस्ट) ने दूसरा और सीनियर सेकेंडरी स्कूल सेक्टर 23 को सांत्वना पुरस्कार दिया। सीनियर ग्रुप प्रतियोगिता में खालसा कॉलेज अमृतसर ने पहला, टीपीडी मालवा कॉलेज बठिंडा ने दूसरा और अंजलि, पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ ने तीसरा स्थान हासिल किया।

इसके अलावा विदेश से भाग लेने वाले बच्चों को कुछ विशेष पुरस्कार भी दिए गए, जिनमें फ्लोरिडा यूएसए की गुरलीन सभरवाल, डबलिन की एकनूर कौर और फ्लोरिडा की जान्हवी सुब्रमण्यम शामिल हैं।

उत्कृष्ट श्रेणी में परमदेव, होशियारपुर को स्वर्ण पदक, हरमन कौर हर्षरन सिंह, जम्मू-कश्मीर को रजत और अमृतपाल कौर, अमृतसर को रजत से सम्मानित किया गया।

सहायक प्रो. वनिता, पंजाबी विश्वविद्यालय, श्रीमती त्रिपत कौर, चंडीगढ़ और मोहाली की डॉ. सोनिया शर्मा ने निर्णायक के रूप में भाग लिया।