Wednesday, January 4, 2023

शीत लहर के बावजूद आईसीसीआर और प्राचीन कला केंद्र की एक नई पहल

Wednesday 4th January 2023 at  08:01 PM

पंजाबी लोक गीतों और लोक नृत्यों की एक रंगीन शाम का आयोजन

आईसीसीआर की हॉरिजोन  सीरीज के तहत इस संगीत संध्या का आयोजन किया


चंडीगढ़
//मोहाली: 4 जनवरी 2022: (कार्तिका सिंह//संगीत स्क्रीन डेस्क)::

कलियुग के इस दौर में जब शीत लहर के मुकाबले का बहाना बना कर नशे के दौर चलते हैं और इस तरह के बहुत से दुसरे आयोजन भी होते हैं उस समय भारतीय संगीत कला को समर्पित दो प्रतिष्ठित संस्कृतिक संस्थाएं अभी भी स्वस्थ मनोरंजन और सच्ची कला की साधना के पथ पर अग्रसर हैं। आईसीसीआर और प्राचीन  कला केंद्र के संयुक्त तत्वाधान में  आज इसी बात को साबित करता एक और आयोजन हुआ। यह आयोजन पंजाबी लोकगीतों और लोक नृत्य पर आधारित था। इस रंगारंग संध्या का आयोजन प्राचीन कला केंद्र के डॉ शोभा कौसर सभागार, सेक्टर-71, मोहाली में शाम पांच बजे से किया गया। देखते ही देखते माहौल पूरी तरह से कला के रंग में रंग गया। पंजाब के गीत और पंजाबी भगंडा के बार फिर छाए रहे। 

इस कार्यक्रम में पंजाब के प्रसिद्ध कलाकार आत्मजीत सिंह की टीम ने उनके मार्गदर्शन में पंजाबी लोक संगीत के सभी रंग जैसे गिद्दा भांगड़ा, झूमर, गीत आदि प्रस्तुत किए। हर आइटम कमाल की रही। दर्शकों और श्रोताओं को लुभाते हुए, झूमने के मूड में लाती हुई हुए पाँव को थिरकन का अहसास दिलाते हुए यह सही आइटमें बहुत ही सफलता से मंच पर मंचित हुईं। 

एस ए एस नगर के डिप्टी कमिश्नर श्री अमित तलवार आईएएस ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की और सीनियर सिटीजन एसोसिएशन चैप्टर 3 मोहाली के अध्यक्ष श्री प्रिंसिपल चौधरी विशेष अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस मौके पर केंद्र की रजिस्ट्रार डॉ. शोभा कौसर, सचिव सजल कौसर और आईसीसीआर के क्षेत्रीय सलाहकार प्रो. हरविंदर सिंह भी मौजूद थे। 


कार्यक्रम की शुरुआत एक भक्ति गीत 'शुकर दाता तेरा शुक्र दाता'
से हुई, इसके बाद एक लोक आर्केस्ट्रा का प्रदर्शन किया गया, जिसमें सभी लोक वाद्यों की भूमिका और जीवन से दर्शकों को परिचित कराया गया, इसके बाद लुड्डी  नामक एक पंजाबी लोक नृत्य का मंचन किया गया जिसका  दर्शकों ने खूब आनंद लिया। इसके उपरांत लोक गीत लम्बी धौन कसीदा कड़दी पेश किया गया।  इसके बाद 50 प्लस युवकों द्वारा  झूमर प्रस्तुत किया गया , जिसे दर्शकों की खूब वाहवाही भी मिली। यह शानदार आइटम सचमुच जानदार भी थी। दमदार ज़िंदगी जीने की प्रेरणा देती हुई आइटम पंजाब के जज़्बे और जोश को भी ब्यान करती थी। 

कार्यक्रम के अगले भाग में हमेशा से पंजाबियों का पसंदीदा लोकगीत मिर्ज़ा प्रस्तुत किया गया, जिसके बाद इस कार्यक्रम में लड़कियों के गिद्धों ने अलग-अलग रंग बिखेरे जिस से दर्शक भी झूम उठे। 

इसके बाद लोकप्रिय पंजाबी गीत तूड़ी तंद  सौन हाड़ी  वेच वटके की प्रस्तुति दी गई और  इस गीत ने दर्शकों  को भी झूमने पर मजबूर कर दिया। कार्यक्रम का अंत भांगड़ा के बिना अधूरा है इसलिएज़ोरदार भांगड़ा के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। दर्शकों ने इस रंग बिरंगी शाम का खूब लुत्फ उठाया।