Thursday, September 7, 2023

राग आधारित फ़िल्मी गीतों का भी एक अलग ही ज़माना था

आज भी असली जादू राग आधारित संगीत ही जगा सकता है 


मोहाली
//चंडीगढ़: 7 सितम्बर 2023: (कार्तिका सिंह//संगीत स्क्रीन डेस्क)::

कुछ गीत सुनते ही दिल में उतरते जाते हैं। उनके बोल, उनकी धुन सब कुछ तुरंत ज़ेहन में बैठता है और याद हो जाता है। उठते बैठे वही गीत इंसान कब गुनगुनाने लगता है इसका पता उसे स्वयं भी नहीं लगता। वास्तव में यह सब रागों पर आधारित संगीत की वजह से होता है। 

लाखों करोड़ों गीत फिल्मों के ज़रिए लोगों के दिलों तक पहुँच चुके हैं। जहाँ तक शदों की बात है वे तो कमाल के होते ही हैं लेकिन उनकी धुन उनके अर्थों को हज़ारों गुना बढ़ा देती है। हर गीत के लिए एक अलग धुन तैयार करना ही संगीतकार की डयूटी होती है। कई बार कई गीतों की धुन मिलती जुलती भी लगने लगती है लेकिन फिर कुछ अंतर् होता ही है। रागों पर आधारित फिल्मी गीत ध्यान से सुने जाने पर इस बात का अहसास देने लगते हैं। उन गीतों के बोल उनकी धुन के सहारे दिल में उतरने लगते हैं। गौरतलब है कि हिंदी सिनेमा में रागों पर आधारित कई बेहतरीन गीत हैं। यहां कुछ प्रमुख रागों के उदाहरण दिए गए हैं जिन पर आधारित फिल्मी गाने बने हैं। केवल बने ही नहीं बल्कि बेहद लोकप्रिय भी हुए।

राग यमन एक बहुत ही मनभावन राग है। जैसे आप अपने ही दिल से अपनी ही बात पहली बार कह रहे हों-ऐसा आभास होने लगता है। इस राग को राग कल्याण के नाम से भी जाना जाता है। सत्ता और सियासत में आने वाली तबदीलियों का असर संस्कृति, संगीत और साहित्य पर भी पड़ता है। विशेषज्ञों के मुताबिक इस राग की उत्पत्ति कल्याण थाट से होती है अत: इसे आश्रय राग भी कहा जाता है (जब किसी राग की उत्पत्ति उसी नाम के थाट से हो)। मुगल शासन काल के दौरान, मुसलमानों ने इस राग को राग यमन अथवा राग इमन कहना शुरु किया। लुधियाना के प्रोफेसर चमन लाल भल्ला इसका गायन भी बहुत सुंदरता से करते हैं। 

गौरतलब है कि यमन और कल्याण भले ही एक राग हों मगर यमन और कल्याण दोनों के नाम को मिला देने से एक और राग की उत्पत्ति होती है जिसे राग यमन-कल्याण कहते हैं जिसमें दोनों मध्यम का प्रयोग होता है। ख़ास बात यह कि इस राग को गंभीर प्रकृति का राग माना गया है। इस राग पर आधारित सुने जाएं तो वे गीत गंभीरता का माहौल में ले जाते हैं। इस राग में कई प्रसिद्ध फ़िल्मी गीत भी गाये गये हैं। इनमें से एक है- अपने वक्तों की प्रसिद्ध फिल्म सरस्वती चंद्र से बेहद सुरीला सा गीत-चंदन सा बदन, चंचल चितवन। इसी तरह एक और फिल्म आई थी भीगी रात-इस फिल्म का गीत था-"दिल जो न कह सका वो ही राज़े दिल...." एक और फिल्म बहुत प्रसिद्ध हुई थी-चितचोर-इसका एक गीत बेहद लोकप्रिय हुआ था "जब दीप जले आना..." एक और फिल्म आई थी- अनपढ़-  गीत भी लोगों की ज़ुबान पर काफी चढ़ा था-जिया ले गयो जी मोरा सांवरिया ....इसी तरह एक और फिल्म थी राम लखन-इसका गीत भी प्रसिद्ध हुआ था-"बड़ा दुख दीन्हा मेरे लखन ने..."उल्लेखनीय है कि राग यमन में और भी बहुत से बहुत से गीत हैं। एक गीत आपने सुना होगा-"तेरे मेरे सपने अब एक रंग हैं" .इसे गाया था जानेमाने  गायक किशोर कुमार साहिब ने।  फिल्म थी "गाईड"। 

इसी तरह एक और गीत राग यमन में है। "ज़िन्दगी के सफर में गुज़र जाते हैं जो मकाम, वो फिर नहीं आते..! इसके गायक थे जनाब मोहम्मद रफी साहिब।।यह गीत अपने साथ ही वक्त की धरा में बहा ले जाता है। इसकी फिल्म थी "आप की कसम"।

यहां एक बार फिर याद दिलाना ज़रूरी लगता है कि जब सत्ता बदलती है तो बहुत सी चीज़ों, स्थानों और जगहों के नाम भी बदल जाते हैं। कुछ इसी तरह राग यमन के मामले में भी हुआ था। इस राग का प्राचीन नाम तो  कल्याण है। वक्त बदला, सत्ता बदली, राजनीति भी बदली तो कालांतर में मुगल शासन के समय से इसे यमन कहा जाने लगा। इस राग के अवरोह में जब शुद्ध मध्यम का अल्प प्रयोग गंधार को वक्र करके किया जाता है, तब इस प्रकार दोनों मध्यम प्रयोग करने पर इसे यमन कल्याण कहते हैं।