Wednesday, April 26, 2023

प्राचीन कला केंद्र कलाकारों की आर्थिक मज़बूती के लिए भी गंभीर

डांस और कला के  क्षेत्र  में कैरियर के रास्ते भी बहुत अच्छे हैं 


चंडीगढ़
: 26 अप्रैल 2023: (कार्तिका सिंह//रेक्टर कथूरिया//संगीत स्क्रीन)::

कला के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोग समाज और संसार उत्कृष्ट स्थिति को दर्शाने वालों में शामिल होते हैं। समाज के विकास और खिलावट का पता कला क्षेत्र से जुड़े लोग ही बताते हैं। पूरी पूरी उम्र तक चलनेवाली साधना जब कई बार विरासत में मिलती है तो अहसास होता है की यह साधना केवल एक उम्र की नहीं बल्कि जन्मों जन्मों की साधना है। इसके बावजूद जब कभी कभी समाज के विभिन्न अवसरों पर उनका आमना सामना ज़िंदगी के कड़े इम्तिहानों से होता है तो उनसे अक्सर पूछा जाता है कि कला तो हुई, डांस भी हुआ, संगीत भी हुआ लेकिन करते क्या हो? इस सवाल को पूछने का मतलब होता है पैसा कहां से कमाते हो? रोज़ी रोटी कहां से चलती है? आसमान को छूती महंगाई का ज़माना है इसलिए आजकल दाल रोटी चलना भी सहज नहीं रहा। कला के क्षेत्र में तो स्थिति और भी संवेदनशील है। कला के  कुछ अलग किस्म के अपने खर्चे भी होते हैं। वस्त्रों से ले कर साज़ों तक। 

प्राचीन कला केंद्र ने इस स्थिति को एक चुनौती की तरह लिया है और कला के क्षेत्र में जुड़े लोगों को ऐसे सवालों का सामना करते समय यह कहने के सक्षम बनाया है कि और कुछ का क्या मतलब? हम और कुछ क्यूं करें? हमें अपनी कला की साधना सम्मानजनक जीवन जीने के लिए बहुत अच्छी आमदनी भी देती है। हमें जीवनयापन के लिए कुछ और करने की ज़रूरत ही नहीं। 

आज 26 अप्रैल 2023 की दोपहर को जब प्राचीन कला केंद्र के चंडीगढ़ कार्यालय में पत्रकार वार्ता चल रही थी तो इस संस्थान की संचालन और प्रबंधन समिति से जुडी हुई डाक्टर  समीरा कौसर ने स्वयं ही इस मुद्दे को उठाया। गौरतलब है कि इस मुद्दे पर बात करने से अक्सर कलाकार लोग घबरा जाते हैं या शरमा जाते हैं क्यूंकि शराब की पार्टियों और दिखावे पर बेशुमार खर्चे करने वाले हमारे समाज में अभी भी कला और कलाकारों के लिए खुले दिल से खर्च करने का ट्रेंड नहीं बन सका। उन्हें अपनी टीम के सदस्यों को कुछ शुल्क देने और आनेजाने का खर्चा निकलने के लिए विशेष प्रयास करने पड़ते हैं। आर्थिक तंगियों तुर्शियों को दूर करके की पहल करते हुए अब प्राचीन कला केंद्र इस दिशा में विशेष योजनाएं ले कर अग्रसर है। 

दिलचस्प बात यह है कि प्रचीन कला केंद्र केवल चंडीगढ़ में ही नहीं बल्कि देश और दुनिया के बहुत से हिस्सों में सक्रिय है। इसके सर्टिफिकेट देश और दुनिया भर में मान्यता प्राप्त हैं। शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य की विद्या के साथ ही एक शुरुआत, उस अर्जित विद्या से रोज़गार की।  कला के क्षेत्र में रोज़गार के नए अवसर पैदा करके कला केंद्र एक नई पहल की है।  भारतीय शास्त्रीय कला तथा संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए केंद्र द्वारा एक नए कदम का आगाज़ किया है, जिसमें राजधानी चंडीगढ़ तथा आसपास के प्रतिष्ठित स्कूलों के साथ एक संयुक्त उधम यानि कि कोलैब्रेशन की जाएगी। जिस में स्कूली बच्चों को अपने ऐकेडेमिक कोर्स के साथ शास्त्रीय संगीत, नृत्य एवं कोमल कला के कोर्सेज करवाए जायेंगे। कथक, हिंदुस्तानी संगीत और पेंटिंग की क्लासेज स्कूल ख़त्म होने के बाद स्कूल परिसर में ही इच्छुक छात्रों के लिए करवाई जाएंगी। जिनसे छात्रों को सर्वश्रेठ शिक्षकों से सीखने के साथ ही उनके कौशल व ज्ञान को विकसित करने, तथा उनके समग्र शैक्षिक अनुभव को समृद्ध करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करेगी। हमारी सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण एवं प्रचार-प्रसार के लिए युवा पीड़ी को कलात्मिक गतिविधियों से जोड़ना अपने आप में एक सराहनीय कदम है।  

कला में पारंगत करने वाली शिक्षा देने के साथ कैरियर और रोज़गार के अवसर भी आवश्यक हैं। इस बात को भी गंभीतरता से पहचाना है प्राचीन कला केंद्र ने। इस के साथ शास्त्रीय कलाओं में मास्टर्स एवं पी.एच.डी  तक की डिग्री प्राप्त कर चुके टीचर्स के लिए भी ये एक अहम अवसर साबित होगा। इन कलाओं में विद्या प्राप्ति के बाद रोज़गार के अवसर बहुत कम होते हैं, ऐसे में कला केंद्र की तरफ़ से ऐसी पहल एक नया आयाम साबित करेगी।  जिस को पूर्ण करने के लिए चंडीगढ़ के बनयान ट्री स्कूल के डायरेक्टर कर्नल जी. एस. चड्डा तथा कुरुक्षेत्र के विजडम वर्ल्ड स्कूल के डायरेक्टर श्री विनोद रावल एवं श्रीमती अनीता रावल आगे आये हैं।  इन दोनों स्कूलों से इस कदम की शुरुआत होगी। इस पूरे प्रोजेक्ट के मैनेजर श्री पार्थ कौसर होंगे।  ग्रेड 1 से लेकर 12 कक्षा तक कोई भी विद्यार्थी इसमें भाग ले सकता है।  बनयान ट्री स्कूल द्वारा ये कोर्स पूरी तरह से फ्री होगा, अर्थात छात्रों को संगीत व नृत्य की शिक्षा के लिए कोई भी एक्स्ट्रा चार्ज नहीं देना होगा।  वहीँ विजडम वर्ल्ड स्कूल द्वारा छात्रों के माता-पिता को इन् कोर्सेज में अपने बच्चों के साथ भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा। 

हर सवाल का पूरी बारीकी से जवाब देने के साथ ही डॉ समीरा कौसर ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि, इंटरनेट अथवा यूट्यूब जैसे ऑनलाइन प्लेटफार्म से नृत्य एवं संगीत सीखने वाले छात्रों को भी एहसास होगा कि, पूर्ण तौर पर प्रतिष्ठित गुरु से सीखने का अनुभव कैसा होता है? गुरु माँ  डॉ शोभा कौसर के आशीर्वाद सहित उनके अधीन शिक्षा ग्रहण कर चुके केंद्र के छात्रों एक गुरु के रूप में पढ़ाने का अवसर भी मिलेगा।  इसके साथ ही ये सभी कोर्स शासकीय निकायों द्वारा मान्यता प्राप्त प्रमाणपत्रों द्वारा समर्थित है।  ये सर्टिफिकेट उनके आगामी जीवन में भी एक मूल्यवान प्रमाण पत्र की तरह एक अतिरिक्त निवेश की भांति  होगा जिस से छात्र कला के क्षेत्र में  कुछ नया सीख पाने में सक्षम होंगे।

अंत में एक बात और भी यहाँ ज़रूरी लगती है। जुर्म को कंट्रोल करने और जुर्म को मिटाने के लिए जितने खर्चे सरकारें करती हैं और जितने झंझट समाज के विभिन्न वर्ग करते हैं उन सभी प्रयासों को खर्चों का दो चार परसेंट भी युवा वर्ग को जुर्म की दुनिया का आकर्षण से हटा कर कला के ज़रिए नवनिर्माण की तरफ मोड़ सकता है। इससे पहले कि कोई समाज दुश्मन हमारे युवाओं के हाथों में बंदूक पकड़ा जाए उससे पहले ही इन युवाओं के सामने कला के क्षेत्र में अच्छी आमदनी वाले रास्ते बनाना बहुत ही फायदेमंद रहेगा। प्राचीन कला केंद्र युवा वर्ग को सपने दिखाने के साथ साथ इन सपनों को साकार करने के लिए भी बहुत कुछ करता है। अगर समाज और सत्ता भी इन प्रयसों में इस संस्थान का साथ दें तो सफलता हैरानकुन होगी। 

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