Friday 9th June 2023 at 19:43 PM
तबला वादन और कत्थक नृत्य की खूबसूरत प्रस्तुतियां
चंडीगढ़: 9 जून 2023: (कार्तिका सिंह//संगीत स्क्रीन डेस्क)::
उत्तर भारत में संगीत और कला की साधना को निरतर जीवंत रखने वालों में प्राचीन कला केंद्र भी एक है। इस क्षेत्र से जुड़े युवाओं और उम्र के लम्बा हिस्सा बिता चुके साधकों के लिए कुछ न कुछ करते रहना इसी संस्थान के हिस्से आया है। इस संतान की मासिक बैठक साधना की इस धरा को जीवंत रखने में बहियत सहयक होती है। हर महीने किसी नई किस जानेमाने कलाकार को इस बैठक में बुला कर सभी के रूबरू कराना इसी संस्थान के बस है। हर महीने कला प्रेमियों को संगीत और कला की दिव्य अनुभूतियों से परिचित करवाना एक कठिन लेकिन यादगारी कार्य है।
इस बार भी आज अलौकिक से अनुभव हुए। प्राचीन कला केन्द्र द्वारा आज यहां एम.एल.कौसर सभागार में 285वीं मासिक बैठक का आयोजन किया गया । जिसमें जालंधर से आए सुरजीत सिंह द्वारा तबला वादन और दिल्ली से आए रोहित पवार द्वारा कत्थक नृत्य की प्रस्तुति पेश की गई।
आज के कलाकार सुरजीत सिंह ने तबला वादन की शिक्षा अपने गुरू कुलविंदर सिंह से प्राप्त की। अल्पायु से ही संगीत में रूचि रखने वाले सुरजीत सिंह ने बहुत से कार्यक्रमों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करके प्रशंसा हासिल की है । विदेशों में भी सुरजीत अपनी प्रतिभा का तोड़ मनवा चुके है।
दूसरी ओर रोहित पवार ने गुरू वासवती मिश्रा के शिष्यत्व में अपनी कला को निखारा है । इसके अलावा इन्होंने अल्पायु से ही कत्थक की प्रस्तुतियां देकर दर्शकों का प्यार प्राप्त किया है । आजकल रोहित कत्थक केन्द्र दिल्ली में बतौर कत्थक कलाकार अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं । देश ही नहीं विदेशों में भी रोहित अपने कत्थक नृत्य की एकल प्रस्तुतियां पेश कर चुके हैं।
आज के कार्यक्रम की शुरूआत सुरजीत सिंह के तबला वादन से हुई जिसमें इन्होंने तीन ताल से कार्यक्रम की शुरूआत की और सबसे पहले पेशकार प्रस्तुत किया । इसके बाद रेले,कायदे,पल्टे पेश किए । साथ ही पंजाब घराने की कुछ खास बंदिशें भी पेश की । सुरजीत के सधे हुए तबला वादन में उनकी विशिष्ट शैली की झलक मिलती है । इन्होंने और भी कई पुरातन बंदिशें पेश करके दर्शकों की तालियां बटोरी । इसके साथ हारमोनियम पर ईश्वर सिंह ने बखूबी संगत करके रंग जमाया।
दूसरी प्रस्तुति में दिल्ली से आए युवा कत्थक नर्तक रोहित पवार ने मंच संभाला । सबसे पहले भगवान शिव की स्तुति की । असाधारण गुणों के स्वामी शिव की स्तुति पेश की और इस प्रस्तुति द्वारा रोहित ने भगवान शिव को अपनी श्रद्धा के सुमन अर्पित किए । इसके उपरांत शुद्ध कत्थक नृत्य की प्रस्तुति तीन ताल में पेश की गई । जिसमें उपज,थाट,उठान,लड़ी इत्यादि पेश की गई । विलम्बित मध्य और द्रुत लय से सजी प्रस्तुतियों में रोहित ने कत्थक के विभिन्न रंग पेश करके खूब प्रशंसा बटोरी।
कार्यक्रम के अंतिम भाग में रोहित ने भावपक्ष पर आधारित रचना केसरीया बालम पधारो हमारो देस जो कि राजस्थानी मांड पर आधारित थी पेश करके दर्शकों की खूब तालियां बटोरी । इनके साथ तबले पर जहीन खां,गायन पर सुहैब हसन,पखावज पर महावीर गंगानी और सारंगी पर गुलाम वारिस ने बखूबी संगत की।
कार्यक्रम के अंत में केन्द्र की रजिस्ट्रार डॉ.शोभा कौसर,सचिव श्री सजल कौसर ने कलाकारों को मोमेंटो देकर सम्मानित किया।
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