Wednesday, June 11, 2025

संत कबीर जी की पावन जयंती पर प्राचीन कलाकेंद्र का विशेष आयोजन

From Pracheen Kala Kendra on Wenesday 11th June 2025 at 5:28 PM Regarding Musical Event on Kabir Ji

विशेष संगीत संध्या में सुरों से सजे कबीर जी के दोहों ने जगाया जादू 


चंडीगढ़
/ /मोहाली: 11 जून 2025: (मीडिया लिंक रविंदर/ /संगीत स्क्रीन डेस्क)::

प्राचीन कला केंद्र द्वारा आज यहाँ  महान संत कबीर जी की जयंती के सुअवसर पर एक विशेष संगीत संध्या कबीर वाणी का आयोजन किया गया।  जिस में  दिल्ली से आये युवा एवं प्रतिभावान कलाकारों  द्वारा  संत कबीर के शाश्वत ज्ञान और पदों को संगीतमय श्रद्धांजलि दी गयी।  इस कार्यक्रम का आयोजन  प्राचीन कला केंद्र के एम एल कौसर सभागार में सायं 6 :30  बजे से किया गया।

इस कार्यक्रम में दिल्ली से आये श्री राजेश नेगी , डॉ रवि पाल, श्री गणेश कुमार, श्री योगेश पाल , श्री दिनेश कुमार , श्री विपिन कुमार एवं श्री गुरभेज सिंह ने प्रस्तुति पेश की। 

इस कार्यक्रम की शुरुआत श्री राजेश सिंह नेगी द्वारा पंडित कुमार गंधर्व द्वारा रचित  राग 'श्री कल्याण' में छोटा ख्याल *'देखो री उत फूलन लगी'। पेश की गयी।  इसके उपरांत  सभी कलाकरों द्वारा एक अन्य रचना नैहरवा हमका न भावे प्रस्तुत की गयी।  कार्यक्रम के अगले भाग में एक भजन राम निरंजन न्यारा रे पेश किया गया। 

इस मौके पर साथ ही कबीर का अन्य भजन साधो देखो रे जग बौराना और  है  मन है इश्क मस्ताना, है  मन है होशियारी क्या प्रस्तुत किया गया।  इसके बाद कबीर जी की वाणी से एक खूबसूरत भजन बिन सतगुरु नर रहत भुलाना, खोजत फिरत राह नहीं जाना तथा उड़ जायेगा हँस अकेला, जग दर्शन का मेला पेश किये गए जिसको दर्शकों ने खूब सराहा।  इसके उपरांत अवधूता गगन घटा गहराई हो,  हिरना समझ बूझ वन चरना तथा भजो रे भैया राम गोविंद हरी प्रस्तुत किये गए।  भक्ति रास से भरे इन भजनो का दर्शकों ने खूब आनंद उठाया। और कार्यक्रम के समापन पर  कबीर जी के दोहे पेश किये गए। 

कार्यक्रम के अंत में केंद्र के सचिव  श्री सजल कौसर द्वारा कलाकारों  को उत्तरीया  एवं मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर दिल्ली से विशेष रूप से संगीतज्ञ श्री देवेंद्र वर्मा तथा तबला वादक श्री देबाशीष अधिकारी भी पधारे।

Friday, May 23, 2025

संगीतक आयोजन: जिसमें में 5 से 60 वर्ष तक के छात्रों ने भाग लिया

From Pracheen Kala Kendra on Friday 23rd May 2025 at 4:52 PM

प्राचीन कला केन्द्र के छात्रों द्वारा शास्त्रीय संगीत की मधुर प्रस्तुतियां


चंडीगढ़
: 23 मई 2025: (कार्तिका कल्याणी सिंह/ /मीडिया लिंक32/ /संगीत स्क्रीन डेस्क)::

जो जो संगठन चंडीगढ़ और आसपास के क्षेत्रों में गीत संगीत के क्षेत्रों की नींव मज़बूत बना रहे हैं उनमें प्राचीन कलाकेंद्र भी एक है। इस प्राचीन कलाकेंद्र में दशकों से इस शिक्षा को बहुत ही अदब के साथ नई  पीढ़ी तक पहुँचाया जा रहा है। हर वर्ग से जुड़े संगीत प्रेमियों को गीत संगीत और डांस में जहां सिखलाई दी जाती है। इसका सबूत एक बार फिर आज मिला जब आज के आयोजन में पांच वर्ष की उम्र से लेकर ६० वर्ष तक की उम्र के संगीत साधक मंच पर आए। 

प्राचीन कला केन्द्र की विशेष संगीतक संध्या में परंपरा श्रृंखला के तहत सैक्टर 35 स्थित एम.एल.कौसर सभागार में केंद्र के छात्रों द्वारा शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुतियां पेश की गई । केंद्र में कार्यरत सधी हुई संगीत शिक्षिक श्री  सुरजीत कुमार एवं अमनदीप गुप्ता   के निर्देशन में छात्रों ने अपनी कला का बखूबी प्रदर्शन करके खूब तालियां बटोरी। इसमें 5 से 60 वर्ष तक के छात्रों ने भाग लिया। विभिन्न  प्रस्तुतियों से सजे इस कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना से की गई ।उपरांत  कलाकारों द्वारा जपुजी साहिब पर आधारित एक रचना "ऐ मेरे मन" पेश की गयी तथा राग खमाज तथा बिहग पर आधारित सुन्दर बंदिशें प्रस्तुत की गयीं।  इसके बाद कलाकारों ने सरगम गीत तथा गीतमाला पेश की जिसे दर्शकों ने खूब सराहा । इसके बाद  किशोरावस्था के बच्चों द्वारा  लोकप्रिय  भजन वैषणव जान , अच्युतम केशवम , , प्रभु आपकी कृपा से मेरा सब काम हो रहा है , शिव कैलाशों के वासी , औ पालनहारे तथा राम स्तुति पेश की गयी जिस से दर्शक भक्ति रंग में रंग  गए।  

इसके उपरांत एकल तबला वादन पेश किया गया जोकि तीन ताल पर आधारित था।   कार्यक्रम के अंतिम भाग में ग़ज़लें पेश की गयीं।  खूबसूरत ग़ज़लों के रंग में रंगी शाम से दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। डाॅ.समीरा  कौसर ने छात्रों एवं गुरू की प्रशंसा करते हुए कहा कि ये युवा कलाकार देश की संस्कृति की धरोहर को प्रफुल्लित करने का काम बखूबी कर रहे हैं। प्राचीन कला केंद्र द्वारा उभरती प्रतिभाओं को मंच देने के साथ साथ युवा छात्रों को संगीतक  अभ्यास और रियाज़ में  सधे  हुए गुरुओं के सानिध्य में  प्रफुल्लित करके कला एवं संगीत की अमूल्य सेवा कर रहा है। इससे संगीत की दुनिया और अधिक विशाल एवं सुंदर होती जा रही है। 

कुल मिलाकर आज का यह आयोजन भी बहुत यादगारी रहा। इस अवसर पर श , िल हुए श्रोताओं और दर्शकों ने इस से जुडी यादों को अपने दिल दिमाग में संजोया। 

Saturday, May 17, 2025

प्रियंका ठाकुर की प्रभावशाली एवं मधुर शास्त्रीय संगीत प्रस्तुति

From Pracheen Kala Kendra on Saturday 17th May 2025 at 7:15 PM

307वीं मासिक बैठक में प्रस्तुति से फिर जगा गीत संगीत का जादू


चंडीगढ़: 17 मई 2025: (मीडिया लिंक//संगीत स्क्रीन डेस्क)::
चंडीगढ़ को लेकर अक्सर कहा जाता रहा कि यह तो पत्थरों का शहर है। इस धारणा को जो लोग लगातार गलत साबित करते आ रहे हैं उनमें प्राचीन कला केंद्र भी शामिल है। यह संस्थान इन्हीं पत्थरों में गीत संगीत के जादू का अहसास करवाता आ रहा है। हर बार नए पुराने कलाकारों से रूबरू करवाना और संगीत लहरियों से पूरे माहौल को संगीत मई बना देना इसी संस्थान की टीम का काम रहा।

प्राचीन कला केंद्र, चंडीगढ़ द्वारा आयोजित 307वीं मासिक बैठक कार्यक्रम का आयोजन शनिवार, 17 मई 2025 को एम. एल. कोसर इंडोर ऑडिटोरियम, सेक्टर 35-बी, चंडीगढ़ में किया गया। इस अवसर पर युवा एवं प्रतिभाशाली गायिका सुश्री प्रियंका ठाकुर ने शास्त्रीय गायन की एक मनोहारी प्रस्तुति दी।

कार्यक्रम की शुरुआत राग मालकौंस  से हुई, जिसमें उन्होंने विलंबित ख्याल "पीर ना जाने बालम" प्रस्तुत किया। भावपूर्ण गायन शैली से उन्होंने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके पश्चात, उन्होंने तीन ताल में द्रुत ख्याल "बालम नहीं आए" सुनाया, जिसने कार्यक्रम की गति और भी तीव्र कर दी। अपनी प्रस्तुति को और ऊर्जावान बनाते हुए, प्रियंका ठाकुर ने अति द्रुत में टप्प ख्याल "हर हर महादेव पति" प्रस्तुत किया, जिसे श्रोताओं ने खूब सराहा।

शास्त्रीय प्रस्तुति के उपरांत, उन्होंने हिमाचली लोकगीत "कुंजू चंचलो" की मधुर प्रस्तुति दी, जो श्रोताओं के बीच अत्यंत लोकप्रिय रही और तालियों की गड़गड़ाहट के साथ सराही गई।

गायिका का साथ दिया श्री दिव्यांश ठाकुर (तबला) एवं श्री पियूष मिश्रा (हारमोनियम) ने, जिनकी संगति ने पूरी प्रस्तुति को और अधिक प्रभावशाली बनाया।

कार्यक्रम में संगीत प्रेमियों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही, और सभी ने इस शाम को संगीत से सजी एक अविस्मरणीय अनुभूति बताया।

डॉ. शोभा कोसर (रजिस्ट्रार) व श्री सजल कोसर (सचिव) ने सभी संगीतप्रेमियों को कार्यक्रम में भाग लेने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।

कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने के लिए श्री विनोद चन्ना (शिमला) , श्री गुंजन चन्ना, पं. देवेंद्र वर्मा डॉ  जगमोहन शर्मा ,   डॉ. हरमोहन शर्मा, श्री सौरभ आदि विशेष रूप से मौजूद रहे।

कार्यक्रम के अंत में कलाकारों को सम्मानित भी किया गया। कुल मिलाकर यह भी एक याधारी कार्यक्रम रहा। इस ने चंडीगढ़ के संगीत भरे माहौल को एयर भी अमीर बनाया।