Thursday, December 25, 2025

नृत्य की विशेष संध्या में अमेरिका से आयी प्राची दीक्षित एवं समूह

Emailed on 24th December 2025 at 6:56 PM Regarding Kathak Dance Event at PKK

प्राचीन कला केंद्र में कत्थक नृत्य से सजी एक और शाम बनी यादगारी 


चंडीगढ़:24 दिसंबर 2025: (कार्तिका कल्याणी सिंह/ /संगीत स्क्रीन डेस्क )::

प्राचीन कला केन्द्र द्वारा आयोजित किये जा रहे विशेष कार्यक्रम में  अमरीका से आयी प्राची दीक्षित एवं समूह ने  अपने कत्थक नृत्य से दर्शकों को खूब आनंदित किया । पंडित कन्हैया लाल जी के  सानिध्य में प्राची ने नृत्य की शिक्षा प्राप्त  की और कत्थक नृत्य की बारीकियां सीखी । प्राची  अमेरिका में नूपुर डांस अकादमी की संस्थापक भी है और केंद्र का  सम्बद्ध  सेंटर भी चला रही हैं ।  इन्होंने विभिन्न प्रस्तुतियों से दर्शकों के दिल में जगह बनाई है । प्राची विदेश में भारतीय कला को प्रफुल्लित करने का अद्भुत कार्य कर रही हैं

आज के कार्यक्रम की शुरुआत इन्होने  एक भक्तिमयी रचना शिव वंदना से की।  इसके उपरांत  कृष्ण कविताओं  पर आधारित एक भाव पक्ष की रचना पेश की गयी  जोकि इनके गुरु द्वारा रचित कविताओं पर आधारित थी।  इसके उपरांत इनके समूह द्वारा कत्थक नृत्य के तकनीकी पक्ष को प्रस्तुत किया । जिस में तीन ताल पर आधारित विलम्बित, मध्य एवं द्रुत लाया पर आधारित  परन,गत,उठान,चालें,आमद,त्रिपल्ली,प्रमिलू,तिहाई और चक्रदार परन प्रस्तुत करके तकनीकी पक्ष पर अपनी मजबूत पकड़ का बखूबी प्रदर्शन किया । इसके उपरांत इन्होने भाव पक्ष पर आधारित एक खूबसूरत रचना पेश की कृष्णा एवं काली  जिस में दो दिव्य शक्तियों - कृष्ण और काली - के बीच एक कालातीत संवाद पेश किया गया।  कृष्ण माया का प्रतिनिधित्व करते हैं - दुनिया की सुंदरता और भ्रम जो हमें खुशी, प्रेम और आनंद के माध्यम से अपनी ओर खींचता है। उनकी बांसुरी आत्मा को मंत्रमुग्ध कर देती है, हमें याद दिलाती है कि अस्तित्व सार्थक और आकर्षक क्यों लगता है। दूसरी तरफ काली, उग्र और अडिग, शक्ति का प्रतीक हैं - कच्ची शक्ति, समय और परिवर्तन। वह भ्रम को तोड़ देती हैं, जहाँ आराम नहीं रह सकता, वहाँ जागृति लाती हैं। हालांकि वे विपरीत दिखते हैं, लेकिन वे संघर्ष में नहीं हैं। वे दिव्य पूरक हैं।

जहाँ कृष्ण आनंद जगाते हैं, वहीं काली जागृति लाती हैं। जहाँ कृष्ण भ्रम बनाए रखते हैं, वहीं काली सत्य को प्रकट करती हैं।

साथ मिलकर, वे आत्मा को भ्रम से मुक्ति की ओर, आनंद से उद्देश्य की ओर मार्गदर्शन करते हैं। यह प्रस्तुति डेविड आर. किंसले की किताब 'द स्वॉर्ड एंड द फ्लूट: काली एंड कृष्णा , हिंदू पौराणिक कथाओं से प्रेरित है

कार्यक्रम के अंत में कलाकारों को पुष्प, उत्तरीया  एवं मोमेंटो  देकर सम्मानित किया गया ।

Wednesday, December 10, 2025

प्राचीन कलाकेंद्र की तरफ से एक और विशेष आयोजन गुरुवार 11 दिसंबर को

Emailed on Wednesday 10th December 2025 at 6:29 PM

प्राचीन कलाकेंद्र की तरफ से एक और विशेष आयोजन गुरुवार 11 दिसंबर को 

कथक आर्टिस्ट मुजफ्फर मुल्ला और विद्यागौरी अडकर का जादू 

चंडीगढ़:10 दिसंबर 2025: (कार्तिका कल्याणी सिंह//संगीत स्क्रीन डेस्क)::

गीत संगीत और डांस के जादू की परंपरा को यह ऐतिहासिक स्थान निरंतरता से जारी रखे हुए है। जब मैं पहली बार यहां आया था तो अपने मामा के साथ आया था। ज्ञानी राजिंदर सिंह छाबड़ा के साथ। बस स्टैंड से उतर कर यहां पहुंचने तक मां ने रिक्शा कर लिया था। इसके बावजूद दो तीन बार जब भीड़ भरे किसी रस्ते को पार करना होता तो मुझे मां की ऊँगली पकड़ना ज़रूरी लगता था। वही प्राचीन कला केंद्र मुझे तब का याद है। उस समय भी अच्छा था यहाँ का माहौल। लोगों को विधिवत संगीत की शिक्षा दी जाती थी। बचपन गुज़रा कर पत्रकारिता में पांव रखा तो फिर यहाँ एक आयोजन में आना हुआ। मोहाली के उस समय के प्रसिद्ध पत्रकार राजेंद्र सेवक अग्रवाल के साथ। उन्होंने मुझे कौसर परिवार से मिलवाया। तब से इस स्नेह का सिलसिला बना हुआ है। 

इसी सिलसिले के अंतर्गत यहां प्राचीन कला केंद्र पेश करता है 314वीं मंथली बैठक जिसमें मशहूर कथक आर्टिस्ट मुजफ्फर मुल्ला और विद्यागौरी अडकर की कथक डुएट होगी।

आयोजन का विवरण इस प्रकार होगा। कल अर्थात 11 दिसंबर 2025 को शाम 6:00 बजे हो गई औपचारिक शुरुआत। इस आयोजन का स्थान होगा-प्राचीन कला केंद्र, सेक्टर 35-B, चंडीगढ़। इंडियन क्लासिकल म्यूज़िक की एक और शानदार शाम के लिए आप भी इस आयोजन के साथ जुड़ें।

इस मौके पर इंडियन क्लासिकल डांस, इंडियन क्लासिकल म्यूज़िक, चंडीगढ़ इवेंट्स, डांस लवर, डांस इत्यादि की तरंगें आपको भी अपना जादू सा असर दिखाएंगी। 

Monday, December 1, 2025

वैश्विक एकता का असली अहसास भी करवाता रहा PKK का इवेंट

Emailed By PKK on 1st Dec 1, 2025 at 6:54 PM Regarding an event

कवालियों ने भी खूब यादगारी समय बांधा 


चंडीगढ़
: पहली दिसंबर 2025: (कार्तिका कल्याणी सिंह//संगीत स्क्रीन डेस्क)::

इस बार तो प्राचीन कला केंद्र ने एक बिलकुल ही अनूठा प्रयोग किया। सचमुच यह संगीत का एक अनूठा प्रयोग ही था। संगीत इस विश्व को एकात्मकता के सूत्र में पिरोता है। यह वैश्विक एकता का असली अहसास भी करवाता है। प्राचीन कला केंद्र ने यह सब साबित भी किया। यह एक बहुत ही यादगारी आयोजन था जिसका सन्देश भी बहुत अर्थपूर्ण रहा। 

प्राचीन कला केंद्र द्वारा आज यहाँ टैगोर थिएटर के मिनी ऑडिटोरियम में सायं 5 :50  से  एक विशेष कार्यक्रम वन  वर्ल्ड वन रिदम  आयोजित किया गया जिस में  केंद्र के मोहाली परिसर में "गुरु शिष्य परम्परा" के अंतर्गत  संगीत एवं नृत्य का गहन प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे देशी एवं विदेशी छात्रों द्वारा पेश किया गया।    इस कार्यक्रम में   इन विदेशी छात्रों द्वारा अपने अपने देश की नृत्य एवं संगीत कला का बखूबी प्रदर्शन किया गया।  अपने देश की पारम्परिक वेशभूषा में सजे इन छात्रों ने अपनी देश की कला और संगीत की सुन्दर झलकियां पेश की।  कज़ाकिस्तान , मिश्र , मैक्सिको , फिजी , स्पेन , ज़िम्बावे , उज्बेकिस्तान , तंज़ानिया , फ्रांस   और बांग्लादेश से आये इन छात्रों ने अपने देश की कला और संस्कृति का परिचय दिया ।  इस कार्यक्रम में तबला शिक्षक एवं जाने माने तबला वादक श्री आविर्भाव वर्मा के निर्देशन  में  इस संगीतमयी संध्या को विभिन्न देशों की खूबसूरत कलाओं से संजोया गया।  

सबसे पहले गोंग पेश किया गया और  गिलास और चम्मच के टकराने से उत्पन्न हुई ध्वनि से  कार्यक्रम की शुरुआत की गयी।  इसके उपरांत डेनियल, साहिल  और वैलेंटिना द्वारा गिटार वादन पेश किया गया जिस में उनका साथ  नुरू ने गाना गाकर दिया जिसे दर्शकों ने खूब सराहा।   इसके बाद  उपरोक्त देशों के छात्रों द्वारा अपने अपने देश के गाने और नृत्य का बखूबी प्रदर्शन किया गया जिस में विभिन्न अद्वितीय प्रस्तुतियों से दर्शक मंत्र मुग्ध हो गए।  इसके उपरांत तबला वादन पेश  गया जिस में सब छात्रों ने  भाग लिया।   

कार्यक्रम के अगले भाग में कव्वाली पेश की गयी जिस में  सब विदेशी छात्रों ने सूफी संगीत पर नृत्य करके तालियां बटोरी।  इसके उपरांत नेपाल के संमुद्र ने आलाप पेश किया   तथा इजीपट से आयी रेवन ने पंजाबी संगीत पर पंजाब का दमदार भंगड़ा पेश किया जिस पर न केवल दर्शक झूम उठे बल्कि पूरा आनद भी उठाया।  

कार्यक्रम के अंत में  सभी देशी विदेशी  वाद्यों की अनूठी जुगलबंदी ोपेश की गयी जो दर्शकों के दिल को छू गयी।  इन वाद्यों में तबला , गोंग , कांगो , चिमटा, ढोल , ढोलक , डीजम्बे  , कहोंन , वुड शेकर, एग शेकर  , जेम्बे इत्यादि वाद्यों का प्रदर्शन  एक साथ किया गया।  ऐसी प्रस्तुतियों देशों की सीमाओं को तोड़ कर संगीत की  मिठास से हर सीमा को लांघते हुए  विभिन्न देशों को साथ जोड़ने का एक विनम्र प्रयत्न है।  

प्राचीन कला केंद्र द्वारा  देश की प्राचीन गुरु शिष्य परंपरा के अंतर्गत  भारतीय शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य  का प्रचार, प्रसार एवं विस्तार किया जा रहा  है जो एक सराहनीय कदम है।

Monday, November 10, 2025

पं.आशिम चौधरी और उनके साथ तबले पर पं. तबले पर देबाशीष अधिकारी

Emailed By PKK on Monday 10 th November 2025 at  5:57 PM Regarding Sitar Vadan Event सितार वादन

प्राचीन कला केंद्र द्वारा 313वां मासिक बैठक कार्यक्रम 11 को

चंडीगढ़: 10 नवंबर 2025: (कार्तिका कल्याणी सिंह//संगीत स्क्रीन डेस्क)::

पंडित असीम चौधरी के नाम का उच्चारण अगर अंग्रेज़ी में करें तो उच्चारण होता है Pt. Ashim Choudhary वाले स्पेलिंग के साथ। इस लिए कई बार  लोग अशीम भी कहते हैं। वैसे भी जब पता करो तो इस नाम के कई व्यक्ति हो सकते हैं, लेकिन इस खोज ले दौरान जल्दी ही सपष्ट हो जाता कि सितार वादन की धुनों से संगीत लहरियां छेड़ देने वाला असीम चौधरी कौन है! सितार की तारों पर स्वर लहरियों का जादू उस समय खूब बोलता है जब असीस साहिब की उंगलियां सितार पर दौड़ रही हों। पं.आशिम चौधरी और उनके साथ तबले पर पं. तबले पर देबाशीष अधिकारी

वास्तव में प्रख्यात सितार वादक पंडित असीम चौधरी एक अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रख्यात सितार वादक हैं। जिन्होंने उन्हें मंच पर देखा सुना वे इस बात से भलिभांत अवगत हैं कि वह सितार के जादूगर ही हैं। रेडियो से उनके राब्ते ने उनके इस जादू को और महान बनाया। उनकी कला में निखार का एक कारण रेडियो भी रहा। रेडियो कलाकारों को जितने भी सुअवसर देता है तो उनमें से हर सुअवसर कलाकार की कला को और भी निखारता चला जाता है।  है। शायद रेडियो का माहौल ही ऐसा होता है। अपने केंद्र से घर घर तक पहुँचता हुआ कार्यक्र ,जीवंत भी हो तो भी। समाचार भी और गीत संगीत भी। 

उसी रेडियो में असीस साहिब आकाशवाणी अर्थात All India Radio के शीर्ष ग्रेड कलाकार हैं। वह भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) से भी जुड़े हुए हैं। यह संगठन कला की दुनिया का एक बहुत महान संगठन है। सस्ब्स्कृतिक केंद्र। 

गौरतलब है कि पंडित असीम चौधरी आचार्य पंडित बिमलेंदु मुखर्जी के शिष्य हैं और गांधार पंचम शैली में वादन करते हैं। उन्होंने विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगीत समारोहों में प्रदर्शन किया है और कई वेबिनारों तथन अन्य आयोजनों में भी अपनी कला का प्रदर्शन किया है। उनके सुनने वाले उनके सितार वादन पर मंत्र मुग्ध हो जाते हैं।हैं।  वह एक जादू सा बांध देते हैं। 

चंडीगढ़ और आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले कला प्रेमियों और संगीत प्रेमियों के लिए यह एक प्रसन्नता का सुअवसर है कि वह 11 नवंबर 2025 को चंडीगढ़ के प्राचीन कला केंद्र में होंगें। आयोजन के विवरण का विवरण इसी पोस्ट में दिए गए निमंत्रण पत्र में भी आप देख सकते हैं। वैसे यह यादगारी आयोजन शाम 06:30 बजे शुरू हो जाएगा। यह संगीत आयोजन चंडीगढ़ के सेक्टर-35/बी में स्थित प्राचीन कला केंद्र परिसर के एमएल कोसर ऑडिटोरियम में होगा। कलाकारों में सितार वादन पर होंगें पं.आशिम चौधरी और उनके साथ तबले पर पं. तबले पर देबाशीष अधिकारी संगत करेंगे। कुल मिलाकर यह कार्यक्रम भी बहुत ही यादगारी रहेगा। 

सितार और तबले का जादू आमने सामने बैठ कर देखना न भूलें। 


Friday, October 10, 2025

प्राचीन कला केंद्र द्वारा द्वारा एक और जादुई आयोजन 11 को

Received From PKK on Friday 10th  Oct 2025 at 2:10 PM Regarding Swati Tiwari Srivastava

इस बार भी होगा केंद्र की 312वीं मासिक बैठक में यादगारी गायन

आप अपनी आंखों से देख सकेंगे स्वाति तिवारी के संगीत का जादू 


चंडीगढ़: 10 अक्टूबर 2025: (कार्तिका कल्याणी सिंह/ /संगीत स्क्रीन डेस्क)::

प्राचीन कला केंद्र दशकों से संगीत की शिक्षा और मिशन को लगातार फैलाता आ रहा है। इस केंद्र के नज़दीक रहने वालों की तो किस्मत ही बहुत अच्छी है लेकिन लोग दूर दराज से भी इसमें शामिल होने  के लिए आते हैं। इस बार प्राचीन कलाकेंद्र में शनिवार, 11 अक्टूबर 2025, शाम 6:30 बजे से होगा एक और ख़ास आयोजन जिसमें संगीत का जस्सड़ू बिखेरने पहुंचेंगे ख़ास कलाकार। 

इस बार का आयोजन एमएल कोसर ऑडिटोरियम, प्राचीन कला केंद्र परिसर, सेक्टर-35/बी, चंडीगढ़ में होगा। शाम साढ़े छह बजे से शुरू हो कर समापन तक चलेगा। 

इस बार के कलाकार होंगें स्वाति तिवारी श्रीवास्तव, हारमोनियम पर डॉ. देवेंद्र वर्मा और तबले पर श्री उजित डे कुमार के साथ।  इस तरह इस बार का आयोजन भी यादगारी रहेगा। 

गौरतलब है कि स्वाति तिवारी एक शास्त्रीय गायिका हैं जिन्हें उनके गायन और संगीत के लिए जाना जाता है। वह आकाशवाणी, दिल्ली से एक ग्रेडेड कलाकार हैं और संगीत कार्यक्रमों और कक्षाओं के लिए उपलब्ध हैं। मंच पर उनकी प्रस्तुति एक जादुई माहौल बना देती है। 

आप आएं और इस संगीत उत्स्व का आनंद उठाये। केंद्र के प्रबंधक और अन्य संगीत प्रेमी भी आपके बहुत आभारी रहेंगे

आपके लिए हार्दिक शुभकामनाएँ भी व्यक्त की गई हैं इसके साथ ही इस आयोजन में आप मिल सकेंगे गुरु मां डॉ. शोभा कोसर जी से भी जो स्वयं भी हमारे इस युग की महान कलाकार हैं। वह इसी केंद्र की रजिस्ट्रार भी हैं। 

निश्चय ही यह आयोजन भी आपके दिलों में एक विशेष जगह बना कर आपकी संगीतमय मधुर यादों के खज़ाने को और भी अमीर बना देगा। 

Saturday, August 30, 2025

पुराने क्लासिकल गीतों की धुनों ने बांधा जादूभरे संगीत का समय

 Received from PKK on Saturday 30th August 2025 at 6:26 PM Regarding Two Days Seminar

  प्राचीन कला केंद्र द्वारा आयोजित दो दिवसीय  सेमिनार का  यादगारी समापन  


चंडीगढ़
: 30 अगस्त 2025: (कार्तिका कल्याणी सिंह//संगीत स्क्रीन डेस्क)::
प्राचीन कला केंद्र द्वारा आयोजित दो दिवसीय सेमिनार  जोकि पंजाब कला भवन में आयोजित किया जा रहा है , का आज यहाँ भव्य समापन हो गया।  आज भी सेमिनार के दो सत्र पेश किये गए ।  दोनों सत्रों  में देश के विभिन्न शहरों से  प्रतिभागियों ने अपने शोध कार्य  को प्रस्तुत किया। 
इस सेमिनार का मुख्य विषय  संगीत नृत्य एवं ललित कलाओं की सामाजिक उत्थान में भूमिका  पर आधारित था।  इस अवसर पर प्रो   प्रेमीला गुरुमूर्ति, पूर्व कुलपति , तमिलनाडु डॉ जयललिता म्यूजिक एंड फाइन आर्ट्स यूनिवर्सिटी, चेन्नई  ने लेक्चर डेमोंस्ट्रेशन देकर अपने अमूल्य अनुभव को प्रतिभागियों के साथ साँझा किया। 

इस अवसर पर ललित नारयण  दरभंगा विश्वविद्यालय में संगीत विभाग प्रमुख प्रो लावण्या कीर्ति सिंह  काब्या , प्रो  पंकजमाला शर्मा के साथ साथ  केंद्र की रजिस्ट्रार डॉ शोभा कौसर ने भी अपने अमूल्य आशीष वचनो से केंद्र की प्रशंसा करते हुए इस सेमिनार की सफलता के लिए बधाई दी।   इसके साथ ही सेमिनार के गेस्ट स्पीकर जाने माने तबला वादक पंडित सुशील जैन (चेयरपर्सन )  एवं डॉ अरुण मिश्रा (चेयरपर्सन ) ने  चेयरपर्सन  रूप में अपने विचार रखे और साथ ही गेस्ट स्पीकर के रूप में  जाने माने तबला वादक डॉ   जगमोहन शर्मा एवं  डॉ महेंद्र प्रसाद शर्मा  ,  श्री मंगलेश शर्मा , डॉ राहुल स्वर्णकार एवं डॉ  गौरव शुक्ला ने भी अपने विस्तृत ज्ञान को दर्शकों के साथ बांटा।  

इसी यादगारी सुअवसर पर शर्मा एम एस यू विश्वविद्यालय , बड़ोदा के संगीत विभाग प्रमुख डॉ राजेश केलकर  भी इस अवसर पर उपस्थित थे।  केंद्र के सचिव श्री सजल कौसर एवं सेमिनार के सूत्रधार पंडित देवेंद्र वर्मा ने  सभी उपरोक्त माननीय  विभूतियों को उत्तरीया एवं मोमेंटो देकर सम्मानित किया।  

इसके उपरांत प्रतिभागियों ने  ऑफलाइन  एवं ऑनलाइन  माध्यम द्वारा  विभिन्न संगीत एवं कला से जुड़े विभिन्न विषयों पर शोध पत्र पेश किये गए। इस सेमिनार में संगीत एवं कला से जुड़े विभिन्न विषयों पर शोध पत्र पेश किये गए।  जिस में भारतीय संगीत में राग और ताल, रागों का समय सिद्धांत, वेद एवं पुराणों में संगीत, लाया लयकारी एवं ताल, जनजातीय लोक एवं आध्यात्मिक संगीत एवं विविध नृत्य प्रकार, संगीत एवं कला शिक्षा के विविध आयाम जैसे कई विषयों पर शोध पत्र प्रस्तुत किये गए। इन शोध पत्रों में बहुत मेहनत से तैयार की गई अमूल्य जानकारी थी। 

कुल मिला कर सेमिनार का दूसरा दिन शास्त्रीय कलाओं एवं भारतीय परम्पराओं एवं कलाओं के विभिन्न पहलुओं को समर्पित रहा। इसके अतिरिक्त विनीता गुप्ता एवं भैरवी भट्ट के मधुर सितार वादन ने सबका मन मोह लिया और साथ ही महेंद्र प्रसाद शर्मा के तबला वादन को भी सबने खूब सराहा। हाल में मौजूद सभी श्रोता और दर्शक मंत्रमुग्ध थे। 

इस सेमिनार का मुख्य उद्देश्य कलाओं के माध्यम से समाज के उत्थान के महत्व  के बारे में गहन चर्चा करना था। इस चर्चा में संगीत की बारीकियों का ज़िक्र बहुत ही सादगी के साथ किया गया था।इसके साथ ही कलाओं के प्रसार प्रचार  के महत्व एवं समाज में इनकी भूमिका पर भी चर्चा की गयी।

कुल मिला कर सेमिनार अपने उद्देश्य में सफल रहा और ऐसे कार्यक्रम के आयोजन के लिए आयोजक प्राचीन कला केंद्र प्रशंसा एवं बधाई का पात्र है।  प्राचीन कला केंद्र के सचिव श्री सजल कौसर ने कार्यक्रम के अंत में सभी का सुंदर शब्दों में आभार व्यक्त किया

Friday, August 22, 2025

PKK संगीतमयी संध्या "संगीत उदय " में खूबसूरत प्रस्तुतियां

Received on Friday 22nd August 2025 at 6:37 PM Regarding Musical Event by PKK

  उदीयमान कलाकारों द्वारा PKK में एक विशेष आयोजन  


चंडीगढ़
: 22 अगस्त 2025: (कार्तिका कल्याणी सिंह//संगीत स्क्रीन डेस्क)::

अग्रणी सांस्कृतिक संस्था प्राचीन कला केन्द्र एवं संस्कार भर्ती के संयुक्त तत्वाधान में आज यहाँ मिनी टैगोर थिएटर  सेक्टर 18  में  एक विशेष संगीत संध्या संगीत उदय का आयोजन  सायं 6:00 बजे से किया गया । जिसमें देश भर के  युवा एवं प्रतिभाशाली कलाकारों ने शास्त्रीय गायन,वादन  की जोरदार प्रस्तुतियों से दर्शकों का दिल जीत लिया। प्राचीन कला केंद्र द्वारा एक और जादुई संगीत संध्या 

इस कार्यक्रम में राजर्षि चटर्जी (सितार),  शिवांश सोनी (तबला), उपासना डे (गायन), अंशिका कटारिया (कत्थक), संजुक्ता सरकार (कत्थक), श्रेयस दत्तात्रेय  भोयर (तबला), कन्हैया पांडेय (सिंथेसाइज़र) एवं  पूजा बसक (गायन)   ने अपनी प्रस्तुतियों से  दर्शकों को सम्मोहित कर दिया।  

आज के कार्यक्रम में अखिल भारतीय  संस्कार भारती के वाईस प्रेजिडेंट डॉ रविंद्र भारती ने मुख्य अतिथि एवं  श्री लविश चावला , जनरल सेक्रेटरी , संस्कार भारती पंजाब प्रान्त ने विशेष अतिथि के रूप में पधार कर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।  इस अवसर पर केंद्र के रजिस्ट्रार डॉ  शोभा कौसर एवं सचिव श्री सजल कौसर भी उपस्थित थे ।  साथ ही संस्कार भारती के सलाहकार प्रो सौभाग्य वर्धन भी उपस्थित थे।  मुख्य अतिथि एवं अन्य गणमान्य अतिथियों के साथ पारम्परिक द्वीप प्रज्वलन के पश्चात  केंद्र की रजिस्ट्रार डॉ शोभा कौसर द्वारा मुख्य अतिथि एवं विशेष अतिथि को शाल एवं मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया।  

यादगारी बने आज के इस कार्यक्रम में  उपासना डे (गायन ) ने राग मुल्तानी में मध्य  एवं द्रुत लय में बंदिशें पेश की एवं पूजा बसक (गायन) ने राग मधुवंती  में तीन ताल की बंदिश पेश की।  इसके उपरांत संजुक्ता सरकार गणेश वंदना पेश की तथा अंशिका कटारिया ने ताल शिखर में, आमद, तहत परं, तिहाई एवं लड़ी इत्यादि की खूबसूरत प्रस्तुति पेश की।  इसके उपरांत  शिवांश सोनी एवं श्रेयस दत्तात्रेय भोयर ने तीन ताल में पेशकार और इसके उपरांत  पारम्परिक उठान, रेले,कायदे,पलटे, गतें  बहुत खूबसूरती से पेश करके दर्शकों  की तालियां बटोरी। इसके उपरांत इटावा घराने के सितार वादक राजर्षि चटर्जी ने राग यमन में कुछ  गतें  बंदिशें  इत्यादि पेश करके खूब प्रशंसा लूटी।

कार्यक्रम में इनके साथ केंद्र के संगीत विभाग में कार्यरत श्री प्रवेश कुमार ने  हारमोनियम पर एवं अमनदीप गुप्ता ने तबले पर  बखूबी संगत की। 

कार्यक्रम के अंत में केन्द्र के सचिव श्री सजल कौसर, संस्कार भर्ती के सलाहकार प्रो सौभाग्य वर्धन, एवं मुख्य अतिथि तथा विशेष अतिथि   ने  कलाकारों को   मोमेंटो एवं सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया। 

Thursday, July 31, 2025

प्राचीन कला केंद्र की तरफ से परंपरा का आयोजन शुक्रवार पहली अगस्त को

31st July 2025 at 7:04 PM Regarding Parampara by PKK

शाम को ठीक चार बजे हो जाएगी शरुआत 

मोहाली: 31 जुलाई 2025: (कार्तिका कल्याणी सिंह/ /संगीत स्क्रीन डेस्क)::

प्राचीन कला केंद्र उत्तर भारत के उन संगीत संस्थानों में है जो लगातार संगीत की परंपरा और सुगन्धि को फैलाते चले आ रहे हैं। इस बार भी इस संस्थान द्वारा शास्त्रीय एवं वाद्य संगीत परम्परा का विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। 

यह आयोजन शुक्रवार, 1 अगस्त  2025 को शाम 4:00 बजे से शुरू होगा और समापन तक चलेगा।  

इस बार भी यह आयोजन डा. शोभा कोसर इंडोर ऑडिटोरियम, प्राचीन कला केंद्र कॉम्प्लेक्स, सेक्टर- 71, मोहाली में होगा। अपनी शानदार विरासत को कायम रखते हुए। 

इस बार भी आयोजन के कलाकार  केंद्र के छात्र होंगें। 

दर्शकों और श्रोताओं के स्वागत में अत्यंत आभार और हार्दिक सम्मान के साथ सभी संगीत स्नेहियों की इंतज़ार करेंगे रजिस्ट्रार डॉ. शोभा कोसर और अन्य पदाधिकारी व कलाकार। 


Wednesday, June 11, 2025

संत कबीर जी की पावन जयंती पर प्राचीन कलाकेंद्र का विशेष आयोजन

From Pracheen Kala Kendra on Wenesday 11th June 2025 at 5:28 PM Regarding Musical Event on Kabir Ji

विशेष संगीत संध्या में सुरों से सजे कबीर जी के दोहों ने जगाया जादू 


चंडीगढ़
/ /मोहाली: 11 जून 2025: (मीडिया लिंक रविंदर/ /संगीत स्क्रीन डेस्क)::

प्राचीन कला केंद्र द्वारा आज यहाँ  महान संत कबीर जी की जयंती के सुअवसर पर एक विशेष संगीत संध्या कबीर वाणी का आयोजन किया गया।  जिस में  दिल्ली से आये युवा एवं प्रतिभावान कलाकारों  द्वारा  संत कबीर के शाश्वत ज्ञान और पदों को संगीतमय श्रद्धांजलि दी गयी।  इस कार्यक्रम का आयोजन  प्राचीन कला केंद्र के एम एल कौसर सभागार में सायं 6 :30  बजे से किया गया।

इस कार्यक्रम में दिल्ली से आये श्री राजेश नेगी , डॉ रवि पाल, श्री गणेश कुमार, श्री योगेश पाल , श्री दिनेश कुमार , श्री विपिन कुमार एवं श्री गुरभेज सिंह ने प्रस्तुति पेश की। 

इस कार्यक्रम की शुरुआत श्री राजेश सिंह नेगी द्वारा पंडित कुमार गंधर्व द्वारा रचित  राग 'श्री कल्याण' में छोटा ख्याल *'देखो री उत फूलन लगी'। पेश की गयी।  इसके उपरांत  सभी कलाकरों द्वारा एक अन्य रचना नैहरवा हमका न भावे प्रस्तुत की गयी।  कार्यक्रम के अगले भाग में एक भजन राम निरंजन न्यारा रे पेश किया गया। 

इस मौके पर साथ ही कबीर का अन्य भजन साधो देखो रे जग बौराना और  है  मन है इश्क मस्ताना, है  मन है होशियारी क्या प्रस्तुत किया गया।  इसके बाद कबीर जी की वाणी से एक खूबसूरत भजन बिन सतगुरु नर रहत भुलाना, खोजत फिरत राह नहीं जाना तथा उड़ जायेगा हँस अकेला, जग दर्शन का मेला पेश किये गए जिसको दर्शकों ने खूब सराहा।  इसके उपरांत अवधूता गगन घटा गहराई हो,  हिरना समझ बूझ वन चरना तथा भजो रे भैया राम गोविंद हरी प्रस्तुत किये गए।  भक्ति रास से भरे इन भजनो का दर्शकों ने खूब आनंद उठाया। और कार्यक्रम के समापन पर  कबीर जी के दोहे पेश किये गए। 

कार्यक्रम के अंत में केंद्र के सचिव  श्री सजल कौसर द्वारा कलाकारों  को उत्तरीया  एवं मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर दिल्ली से विशेष रूप से संगीतज्ञ श्री देवेंद्र वर्मा तथा तबला वादक श्री देबाशीष अधिकारी भी पधारे।

Friday, May 23, 2025

संगीतक आयोजन: जिसमें में 5 से 60 वर्ष तक के छात्रों ने भाग लिया

From Pracheen Kala Kendra on Friday 23rd May 2025 at 4:52 PM

प्राचीन कला केन्द्र के छात्रों द्वारा शास्त्रीय संगीत की मधुर प्रस्तुतियां


चंडीगढ़
: 23 मई 2025: (कार्तिका कल्याणी सिंह/ /मीडिया लिंक32/ /संगीत स्क्रीन डेस्क)::

जो जो संगठन चंडीगढ़ और आसपास के क्षेत्रों में गीत संगीत के क्षेत्रों की नींव मज़बूत बना रहे हैं उनमें प्राचीन कलाकेंद्र भी एक है। इस प्राचीन कलाकेंद्र में दशकों से इस शिक्षा को बहुत ही अदब के साथ नई  पीढ़ी तक पहुँचाया जा रहा है। हर वर्ग से जुड़े संगीत प्रेमियों को गीत संगीत और डांस में जहां सिखलाई दी जाती है। इसका सबूत एक बार फिर आज मिला जब आज के आयोजन में पांच वर्ष की उम्र से लेकर ६० वर्ष तक की उम्र के संगीत साधक मंच पर आए। 

प्राचीन कला केन्द्र की विशेष संगीतक संध्या में परंपरा श्रृंखला के तहत सैक्टर 35 स्थित एम.एल.कौसर सभागार में केंद्र के छात्रों द्वारा शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुतियां पेश की गई । केंद्र में कार्यरत सधी हुई संगीत शिक्षिक श्री  सुरजीत कुमार एवं अमनदीप गुप्ता   के निर्देशन में छात्रों ने अपनी कला का बखूबी प्रदर्शन करके खूब तालियां बटोरी। इसमें 5 से 60 वर्ष तक के छात्रों ने भाग लिया। विभिन्न  प्रस्तुतियों से सजे इस कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना से की गई ।उपरांत  कलाकारों द्वारा जपुजी साहिब पर आधारित एक रचना "ऐ मेरे मन" पेश की गयी तथा राग खमाज तथा बिहग पर आधारित सुन्दर बंदिशें प्रस्तुत की गयीं।  इसके बाद कलाकारों ने सरगम गीत तथा गीतमाला पेश की जिसे दर्शकों ने खूब सराहा । इसके बाद  किशोरावस्था के बच्चों द्वारा  लोकप्रिय  भजन वैषणव जान , अच्युतम केशवम , , प्रभु आपकी कृपा से मेरा सब काम हो रहा है , शिव कैलाशों के वासी , औ पालनहारे तथा राम स्तुति पेश की गयी जिस से दर्शक भक्ति रंग में रंग  गए।  

इसके उपरांत एकल तबला वादन पेश किया गया जोकि तीन ताल पर आधारित था।   कार्यक्रम के अंतिम भाग में ग़ज़लें पेश की गयीं।  खूबसूरत ग़ज़लों के रंग में रंगी शाम से दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। डाॅ.समीरा  कौसर ने छात्रों एवं गुरू की प्रशंसा करते हुए कहा कि ये युवा कलाकार देश की संस्कृति की धरोहर को प्रफुल्लित करने का काम बखूबी कर रहे हैं। प्राचीन कला केंद्र द्वारा उभरती प्रतिभाओं को मंच देने के साथ साथ युवा छात्रों को संगीतक  अभ्यास और रियाज़ में  सधे  हुए गुरुओं के सानिध्य में  प्रफुल्लित करके कला एवं संगीत की अमूल्य सेवा कर रहा है। इससे संगीत की दुनिया और अधिक विशाल एवं सुंदर होती जा रही है। 

कुल मिलाकर आज का यह आयोजन भी बहुत यादगारी रहा। इस अवसर पर श , िल हुए श्रोताओं और दर्शकों ने इस से जुडी यादों को अपने दिल दिमाग में संजोया। 

Saturday, May 17, 2025

प्रियंका ठाकुर की प्रभावशाली एवं मधुर शास्त्रीय संगीत प्रस्तुति

From Pracheen Kala Kendra on Saturday 17th May 2025 at 7:15 PM

307वीं मासिक बैठक में प्रस्तुति से फिर जगा गीत संगीत का जादू


चंडीगढ़: 17 मई 2025: (मीडिया लिंक//संगीत स्क्रीन डेस्क)::
चंडीगढ़ को लेकर अक्सर कहा जाता रहा कि यह तो पत्थरों का शहर है। इस धारणा को जो लोग लगातार गलत साबित करते आ रहे हैं उनमें प्राचीन कला केंद्र भी शामिल है। यह संस्थान इन्हीं पत्थरों में गीत संगीत के जादू का अहसास करवाता आ रहा है। हर बार नए पुराने कलाकारों से रूबरू करवाना और संगीत लहरियों से पूरे माहौल को संगीत मई बना देना इसी संस्थान की टीम का काम रहा।

प्राचीन कला केंद्र, चंडीगढ़ द्वारा आयोजित 307वीं मासिक बैठक कार्यक्रम का आयोजन शनिवार, 17 मई 2025 को एम. एल. कोसर इंडोर ऑडिटोरियम, सेक्टर 35-बी, चंडीगढ़ में किया गया। इस अवसर पर युवा एवं प्रतिभाशाली गायिका सुश्री प्रियंका ठाकुर ने शास्त्रीय गायन की एक मनोहारी प्रस्तुति दी।

कार्यक्रम की शुरुआत राग मालकौंस  से हुई, जिसमें उन्होंने विलंबित ख्याल "पीर ना जाने बालम" प्रस्तुत किया। भावपूर्ण गायन शैली से उन्होंने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके पश्चात, उन्होंने तीन ताल में द्रुत ख्याल "बालम नहीं आए" सुनाया, जिसने कार्यक्रम की गति और भी तीव्र कर दी। अपनी प्रस्तुति को और ऊर्जावान बनाते हुए, प्रियंका ठाकुर ने अति द्रुत में टप्प ख्याल "हर हर महादेव पति" प्रस्तुत किया, जिसे श्रोताओं ने खूब सराहा।

शास्त्रीय प्रस्तुति के उपरांत, उन्होंने हिमाचली लोकगीत "कुंजू चंचलो" की मधुर प्रस्तुति दी, जो श्रोताओं के बीच अत्यंत लोकप्रिय रही और तालियों की गड़गड़ाहट के साथ सराही गई।

गायिका का साथ दिया श्री दिव्यांश ठाकुर (तबला) एवं श्री पियूष मिश्रा (हारमोनियम) ने, जिनकी संगति ने पूरी प्रस्तुति को और अधिक प्रभावशाली बनाया।

कार्यक्रम में संगीत प्रेमियों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही, और सभी ने इस शाम को संगीत से सजी एक अविस्मरणीय अनुभूति बताया।

डॉ. शोभा कोसर (रजिस्ट्रार) व श्री सजल कोसर (सचिव) ने सभी संगीतप्रेमियों को कार्यक्रम में भाग लेने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।

कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने के लिए श्री विनोद चन्ना (शिमला) , श्री गुंजन चन्ना, पं. देवेंद्र वर्मा डॉ  जगमोहन शर्मा ,   डॉ. हरमोहन शर्मा, श्री सौरभ आदि विशेष रूप से मौजूद रहे।

कार्यक्रम के अंत में कलाकारों को सम्मानित भी किया गया। कुल मिलाकर यह भी एक याधारी कार्यक्रम रहा। इस ने चंडीगढ़ के संगीत भरे माहौल को एयर भी अमीर बनाया।