Tuesday, October 15, 2024

गुरू एम.एल.कौसर की स्मृति में 19वे अवार्ड का भव्य आयोजन

Tuesday 15th October 2024 at 7:51 PM Email and WhatsApp PKK Chandigarh

संगीत जगत के दो दिग्गज कलाकारों का को किया गया सम्मानित 

तबला वादक पंडित विनोद पाठक एवं प्रसिद्ध सितार वादक पंडित हरविंदर शर्मा को अवार्ड  


चंडीगढ़: 15 अक्टूबर 2024: (कार्तिका कल्याणी सिंह//संगीत स्क्रीन डेस्क)::

चंडीगढ़ को आम तौर पर लोग पत्थरों का शहर कहते हैं। इसकी बड़ी बड़ी इमारतें, भागदौड़ वाली ज़िन्दगी और जल्दबाज़ी में रुखसुखा सा जवाब देने वाले कुछेक लोग इस कथनी पर मोहर लगाते हुए भी महसूस  होते हैं। इसके बावजूद प्राचीन कला केंद्र, कला भवन और रोज़ गार्डन जैसे संस्थान और स्थान यह भी याद दिलाते हैं की इसी चंडीगढ़ में संवेदना भी है, शायरी भी है और संगीत भी है। हाल ही में गुरु एम एल कौसर की समृति में कराया गया 19वां अवार्ड समारोह तांडव जैसे महान नृत्य के संबंध में  यहां हुआ खोजपूर्ण काम भी बहुत कुछ बताता है। तांडव नृत्य की चर्चा हम एक अलग पोस्ट में कर रहे हैं यहां लौटते हैं प्राचीन कला केंद्र के इस विशेष आयोजन की चर्चा पर। 

गुरू एम.एल.कौसर पिछले 6 दशकों से कला के क्षेत्र में अपनी बहुमूल्य सेवाओं और योगदान द्वारा नए आयाम स्थापित करने वाले तांडव सम्राट गुरू एम.एल.कौसर को श्रेष्ठ कलाकार होने के साथ-साथ भारतीय शास्त्रीय कलाकारों के वाहक के रूप में भी जाना जाता है । इन्होंने अपने अथक प्रयासों एवं निस्वार्थ सेवाओं के बल पर संगीत जगत में विशेष स्थान बनाया । ऐसी महान शख्सियत के इसी सहयोग को मद्देनजर रखते हुए प्राचीन कला केन्द्र की कार्यकारिणी समिति द्वारा वर्ष 2004 में एक लाख रूपए के अवार्ड की घोषणा की गई । यह अवार्ड भारतीय शास्त्रीय संगीत में अहम योगदान देने वाले कलाकारों के प्रति एक सम्मान है जो एक कलाकार की नजर से दिया जाता है।

इस अवार्ड में अब तक कत्थक नृत्यांगना सितारा देवी,कत्थक सम्राट बिरजू महाराज, सितार वादक शाहिद परवेज़, पंडित शिव कुमार शर्मा,सुनयना हजारीलाल,पंडित राम नारायण,गुरू सोनलमान सिंह,पंडित विश्वमोहन भट्ट,पंडित भजन सोपोरी,गुरू शोवना नारायण,पंडित सुशील जैन तथा पंडित कालेराम जैसे दिग्गज कलाकार सम्मानित किए जा चुके है।

आज के अवार्ड समारोह का आयोजन टैगोर थियेटर में 19वें गुरू एम.एल.कौसर अवार्ड समारोह का भव्य आयोजन सायं 6:30 बजे से किया गया। 19वां गुरू एम.एल.कौसर अवार्ड समारोह संगीत जगत की दो विभूतियों जानेमाने तबला वादक पंडित विनोद पाठक एवं प्रसिद्ध सितार वादक पंडित हरविंदर शर्मा को प्रदान किया गया।

इस कार्यक्रम में अवार्ड प्रदान करने हेतु पद्मभूषण ग्रेमी अवार्ड विजेता पंडित विश्वमोहन भट्ट विशेष रूप से मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए । इनके साथ सात्विक वीणा रचयिता पंडित सलिल भट्ट भी उपस्थित थे। मंच पर चैयरमैन श्री एस.के.मोंगा,रजिस्ट्रार डॉ.शोभा कौसर एवं सचिव श्री सजल कौसर उपस्थित थे।

पारम्परिक द्वीप प्रज्वलन करने के पश्चात चैयरमैन एवं अन्य विभूतियों द्वारा मुख्य अतिथि को सम्मानित किया गया । इसके उपरांत अवार्ड समारोह की शुरूआत की गई। सबसे पहले पंडित विनोद पाठक को शाल,स्मृति चिन्ह,मोमेंटो और 50 हजार रूपए  भेंट किए गए । उपरांत पंडित हरविंदर शर्मा को शाल,स्मृति चिन्ह,मोमेंटो और 50 हजार रूपए  भेंट किए गए ।

सम्मान समारोह को यादगार बनाने के लिए अवार्डी कलाकारों द्वारा एवं विशेष संगीत संध्या का आयोजन किया गया । जिसमें सबसे पहले पंडित विनोद पाठक द्वारा तीन ताल में निबद्ध तबला वादन पेश किया गया जिस में  फारूखाबाद घराने की कुछ विशेष बंदिशें पेश की गई । और तबला में  कायदे  तोड़े , रेले, गत, टुकड़े , परं इत्यादि पेश किये गए।  पारम्परिक बंदिशों से निबद्ध इस प्रस्तुति का सबने आनंद उठाया।  

इनके साथ तबले पर इनके सुपुत्र विविश पाठक एवं हारमोनियम पर श्री दिनकर दिवेद्वी ने बखूबी संगत की।

इसके उपरांत पंडित हरविंदर शर्मा ने मंच संभाला और विलायत खान साहिब के शिष्य हरविंदर शर्मा ने सुन्दर स्वर लहरियों से सजा   सितार वादन पेश किया। इन्होंने राग मिश्र खमाज में आलाप से शुरुआत की और गायिकी अंग से सजी प्रस्तुति में  सुन्दर बंदिशें पेश करके दर्शकों का मन जीत लिया । खूबसूरत जोड़ झाला पेश करके हरविंदर शर्मा ने दर्शकों को जादू भरी शाम में खोने के लिए मजबूर कर दिया।  कार्यक्रम का समापन इन्होने भटियाली धुन से किया । इनके साथ प्रसिद्द तबला वादक पंडित राम कुमार मिश्रा ने संगत करके चार चाँद लगा दिए। 

कार्यक्रम के अंत में कलाकारों को उत्तरीय एवं मोमेंटो से सम्मानित किया गया। कलाकारों द्वारा कलाकारों को समर्पित इस सम्मान समारोह ने दर्शकों को एक खूबसूरत शाम से यादगारी बना दिया। 

Wednesday, September 11, 2024

299 वीं मासिक बैठक में श्री बंदोपाध्याय के कत्थक नृत्य से सजी शाम

Wednesday 11th September 2024 at 5:53 PM

श्री बंदोपाध्याय श्री साधना स्कूल ऑफ कत्थक की संस्थापक भी है


चंडीगढ़
: 11 सितंबर 2024: (कार्तिका कल्याणी सिंह//संगीत स्क्रीन डेस्क)::

कड़कती धुप वाली झुलसा देने वाली गर्मी अब जा चुकी है और मीठी मीठी शीत का मौसम दस्तक देने लगा है। सुबह और शाम को इसका अहसास किया जा सकता है। फुहार से लेकर मुसलाधार बरसात का रंग भी लोगों ने एक बार फिर से देख लिया। ऐसे सुहाने मौसम में देश भर में गीत संगीत के आयोजनों का सिलसिला शुरू हो चुका है। इसी का अहसास कराते हुए प्राचीन कला केंद्र ने भी चंडीगढ़ में अपना विशेष आयोजन किया। 

प्राचीन कला केन्द्र द्वारा हर माह आयोजित होने वाली मासिक बैठकों की श्रृंखला की 299वीं कड़ी में दिल्ली से आई श्री बंदोपाध्याय ने अपने कत्थक नृत्य से दर्शकों को खूब आनंदित किया । पंडित जयकिशन महाराज के सानिध्य में नृत्य की शिक्षा प्राप्त कर रही श्री ने गुरू संदीप मलिक से नृत्य की प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की । इसके उपरांत पंडित जयकिशन महाराज से नृत्य की बारीकियां सीखी । श्री ने प्राचीन कला केन्द्र से भास्कर का डिप्लोमा भी प्राप्त किया है । इसके अलावा खैरागढ़ विश्वविद्यालय से भी स्नातकोत्तर तक शिक्षा ग्रहण की है । दूरदर्शन की बी ग्रेड कलाकार श्री साधना स्कूल ऑफ कत्थक की संस्थापक भी है । इन्होंने विभिन्न प्रस्तुतियों से दर्शकों के दिल में जगह बनाई है।

आज के कार्यक्रम की शुरूआत एक खूबसूरत ध्रुपद रचना कंुजन में राचो रास जोकि चौताल पर आधारित थी,  से की । इसके उपरांत श्री ने कत्थक की तकनीकी पक्ष प्रस्तुत किया । अष्टमंगल 11 मात्रा में परन,गत, उठान, चालें, आमद, त्रिपल्ली,  प्रमिलू, तिहाई और चक्रदार परन प्रस्तुत करके तकनीकी पक्ष पर अपनी मजबूत पकड़ का बखूबी प्रदर्शन किया । इसके उपरांत तीन ताल पर आधारित ठुमरी जोकि राग मेघ मल्हार में निबद्ध थी,प्रस्तुत करके दर्शकों की खूब वाहवाही लूटी । कार्यक्रम के अंत में श्री ने तीन ताल पर आधारित रचनाएं तथा वाद्य परन,बिजली परन पेश करते हुए खूबसूरत लयकारियों से कार्यक्रम का समापन किया । इनके साथ तबले पर जानेमाने तबलावादक उस्ताद शकील अहमद खान,गायन पर अतुल देवेश,सितार पर लावण्य अबांदे तथा बोल पढंत पर जय भट्ट ने बखूबी साथ देकर कार्यक्रम को चार चांद लगा दिए।

कार्यक्रम के अंत में केन्द्र की रजिस्ट्रार डॉ.शोभा  कौसर,सचिव श्री सजल कौसर ने  कलाकारों को उतरिया  और मोमेंटो देकर सम्मानित किया।

Sunday, August 11, 2024

प्राचीन कला केन्द्र की 298वीं मासिक बैठक भी जगाती रही संगीत का जादू

Sunday 11th August 2024 at 4:41 PM

संगीत की स्वर लहरियों ने एक बार फिर दिखाए संगीत के कमाल 


चंडीगढ़
: 11 अगस्त 2024: (कार्तिका कल्याणी सिंह//संगीत स्क्रीन डेस्क)::

चंडीगढ़ और आसपास के क्षेत्रों में संगीत के जादू को बरकरार रखने वाली संस्थाओं में सबसे अग्रणी संस्था है प्राचीन कला केंद्र। इस संस्थान ने अब तक संगीत के अनगिनत साधकों को सफलता की उंचाईयों तक पहुंचाया है। संगीत और नृत्य साधना के क्षेत्र में यह संस्थान लगातार सक्रिय रहता है। 

इसी सिलसिले में इस अग्रणी सांस्कृतिक संस्था प्राचीन कला केन्द्र द्वारा 298वीं मासिक बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें राजस्थान के प्रतिभाशाली तबला वादक गौतम पाल ने एकल तबला वादक की प्रस्तुति से दर्शकों का दिल जीत लिया। गौतम पाल ने न केवल फरुखाबाद घराने के तबला वादन की शिक्षा प्राप्त की अपितु पंजाब घराने के पंडित सुशिल जैन के गंडा बांध शिष्यत्व में भी अपनी कला को निखारा। विभिन्न प्रस्तुतियों द्वारा अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके गौतम पाल ऑल इंडिया रेडियो के बी ग्रेड कलाकार है।

एक नया इतिहास रचने वाले आज के कार्यक्रम की दूसरी प्रस्तुति शिमला के गुंजन चन्ना द्वारा पेश की गयी। गुंजन को हाल ही में  दूरदर्शन  के ऐ ग्रेड से सम्मानित किया गया है।  गुंजन चन्ना ने अल्पायु में माता पिता से सीखने के बाद पटियाला के डॉ  जगमोहन शर्मा के शिष्यत्व में संगीत की बारीकियां सीखी। गुंजन संगीत की दुनिया का उभरता कलाकार है।

संगीत के क्षेत्र में यादगारी अध्याय जोड़ने वाले आज के इस कार्यक्रम की शुरुआत श्री गौतम पाल  के तबला वादन से हुई जिस में उन्होंने ने  तीन ताल में पेशकार रेले,कायदे,पलटे,पारम्परिक उठान बहुत खूबसूरती से पेश किए। इसके उपरांत इन्होंने फरुखाबाद घराने की कुछ प्राचीन गतें,रेले इत्यादि पेश करके खूब तालियां बटोरी। इसके उपरांत फरमाइशी एवं कमाली चक्रदार , टुकड़े , रेल एवं तिहाई का सधा हुई प्रदर्शन किया।  इनके साथ युवा एवं प्रतिभावान हारमोनियम वादक गुरप्रीत सिंह मोगा ने खूबसूरत संगत करके खूब समां बांधा।  

कार्यक्रम के दूसरे भाग में युवा एवं प्रतिभाशाली गुंजन चन्ना ने मंच संभाला और राग बिहाग से कार्यक्रम की शुरुआत की। आलाप के पश्चात विलम्बित ख्याल  में एक रचना "कैसे सुख सोये " पेश की  इसके उपरांत मध्य लाया  तीन ताल  में  दो रचनाएँ बालम रे  एवं बजे रे मोरी पायल प्रस्तुत करके खूब तालिया बटोरी। द्रुत ख्याल की बंदिश बनी बनी ठनी ठनी  भी दर्शकों का मन मोह गयी।  कार्यक्रम के अंत में गुंजन ने हिमाचली फोक माये नई मेरिये  प्रस्तुत करके रंग जमाया।  इनके साथ तबले पर श्री राजेश ब्रह्मभट्ट और हारमोनियम पर श्री मदन कश्यप ने बखूबी  संगत की। 

कार्यक्रम के अंत में केन्द्र की रजिस्ट्रार डॉ.शोभा  कौसर,सचिव श्री सजल कौसर और तबला गुरू पंडित सुशील जैन  तथा डॉ जगमोहन शर्मा ने  कलाकारों को उतरिया  और मोमेंटो देकर सम्मानित किया।

Monday, July 29, 2024

पंजाब की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने की फिर से कोशिशें

Monday 29th July 2024 at 5:03 PM

सभी पंजाबियों को संयुक्त प्रयास करने होंगे-राखी गुप्ता भंडारी


लुधियाना: 29 जुलाई 2024: (संगीत स्क्रीन ब्यूरो डेस्क):: 

पंजाब सरकार में खाद्य प्रसंस्करण विभाग की प्रमुख सचिव, वरिष्ठ आईएएस अधिकारी श्रीमती राखी गुप्ता भंडारी ने कल शाम इश्मित सिंह संगीत संस्थान लुधियाना में सिरमौर सांस्कृतिक संस्थान लुधियाना द्वारा आयोजित संगीत कार्यक्रम "आफरीन" की अध्यक्षता की और कहा कि पंजाब विश्व के इतिहास की पुस्तकें इसे विश्व सभ्यता का उद्गम स्थल कहा जाता है क्योंकि पृथ्वी की पहली पुस्तक "ऋग्वेद" भी पंजाब में ही लिखी गई थी। पंजाब रामायण और महाभारत की जन्मस्थली और रचना भूमि बन गया और मानवता की भलाई का संदेश देने वाले और शबद गुरु के रूप में स्थापित श्री गुरु ग्रंथ साहिब की रचना भी यहीं हुई। पंजाब ने लंबे समय से संगीत, चित्रकला और ललित कला के विभिन्न क्षेत्रों में अपना वर्चस्व कायम रखा है।

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से पंजाबियों ने अपनी सर्वश्रेष्ठ स्थिति को नरम किया है, जिसे संयुक्त प्रयासों से फिर से शीर्ष पर लाने की जरूरत है। श्रीमती राखी गुप्ता भंडारी ने अपनी मधुर आवाज में जगजीत सिंह जी की गाई हुई ग़ज़ल सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। पंजाब के वरिष्ठ नौकरशाह और पंजाब सरकार में प्रधान सचिव के पद पर कार्यरत श्री राहुल भंडारी ने भी "आफ़रीन" द्वारा आयोजित संगीत कार्यक्रम की सराहना की। उन्होंने कहा कि लुधियाना पंजाब की आर्थिक राजधानी है और इसे संयुक्त प्रयासों से सांस्कृतिक राजधानी भी बनाया जा सकता है। अरुण शर्मा के नेतृत्व में सदस्यों ने मुख्य अतिथि राखी गुप्ता भंडारी, श्री राहुल भंडारी और विशिष्ट अतिथि प्रो. गुरभजन सिंह गिल को गुलदस्ता भेंट कर उनका स्वागत करने को कहा गया. प्रो गुरभजन सिंह गिल की संपूर्ण ग़ज़ल पुस्तक "आखर आखर" की प्रतियां भेंट की गईं।

पंजाबी लोक विरासत अकादमी के अध्यक्ष प्रो. गुरभजन सिंह गिल ने कहा कि लुधियाना कभी संस्कृति की दृष्टि से बहुत समृद्ध शहर था। यहां भाई साहब भाई जोध सिंह, डाॅ. एम एस रंधावा, प्रो. मोहन सिंह, कुलवंत सिंह विर्क, सोहन सिंह सीतल, अजायब चित्रकार, प्रो. एस नरूला और सुरजीत पातर जैसे लेखक वहां रहते थे. लाल चंद यमला जट्ट, नरेंद्र बीबा, जगमोहन कौर, चांदी राम और सुरिंदर शिंदा जैसे गायक और जसवंत भंवरा जैसे संगीत उस्ताद मार्तंड में रहते थे, लेकिन आज लुधियाना "फेसलेस" हो गया है।

इसमें सभी क्षेत्रों के शाह स्वार शामिल हैं। नये कलाकारों को संरक्षण देकर उस खोये हुए गौरव को पुनः प्राप्त किया जा सकता है। इस अवसर पर आफरीन के सभी कलाकार सदस्यों ने बहुत ही मधुर अंदाज में अपनी संगीत प्रस्तुति दी. मुख्य अतिथि श्रीमती राखी गुप्ता भंडारी को आयोजकों द्वारा सम्मानित किया गया। इश्मित संगीत संस्थान के निदेशक डाॅ. धन्यवाद के शब्द चरण कंवल सिंह ने कहे।

शौकीन शौकिया गायकों के एक समूह आफरीन ने 28 जुलाई को इश्मीत म्यूजिक इंस्टीट्यूट लुधियाना में 76वां संगीत समारोह मनाया। यह कार्यक्रम तीन महान गायक मोहम्मद रफ़ी की स्मृति को समर्पित था और सदस्यों ने लाइव संगीत पर गीत प्रस्तुत किए। प्रसिद्ध पंजाबी कवि, लेखक और दार्शनिक प्रोफेसर गुरभजन गिल ने संगठन और प्रतिभागियों को आशीर्वाद देने के लिए अपनी सौम्य उपस्थिति दर्ज की। श्रीमती राखी गुप्ता भंडारी आईएएस, प्रधान सचिव, पंजाब सरकार, जो स्वयं एक प्रतिभाशाली गायिका हैं, अपने पति श्री राहुल भंडारी और परिवार के सदस्यों के साथ मुख्य अतिथि थीं। दर्शकों में डॉ. राजिंदर बंसल, एडवोकेट हरप्रीत संधू, डॉ. संजीव उप्पल, डॉ. नितिन, पुरषोतम सिंगला और डॉ. चरण कंवल सिंह जैसी कई मशहूर हस्तियां शामिल थीं।

प्रोफेसर गुरभजन गिल ने भंडारी दंपति का स्वागत किया जो अपने करियर की शुरुआत से ही उनके संपर्क में थे। प्रोफेसर गिल ने आफरीन के प्रयासों की सराहना की और उपस्थित सभी लोगों को अपना आशीर्वाद दिया। राहुल भंडारी ने कहा, उनके जादुई शब्द वास्तव में हमारे लिए स्फूर्तिदायक और प्रेरणादायक थे। सभी ने पूरे समारोह के दौरान उपस्थित रहने के लिए प्रोफेसर गिल का आभार व्यक्त किया।

समारोह का आयोजन करण लांबा द्वारा बहुत अच्छे ढंग से और शालीनता से किया गया। कल मिलकर यह प्रस्तुति शानदार और जानदार रही। इस सफल आयोजन के बावजूद यह सवाल फिर भी कायम है कि उन कलाकारों तक सर्कार और समाज कैसे पहुंचेगा जिनके लिए इस तरह के आयोजन आज लाहौर के ऊंचे बुर्ज जैसे ही हैं जहां आमा गरीब इंसान की पहुंच अपने जीवन में कभी नहीं होती। 

Saturday, July 20, 2024

संतूर की मधुर स्वर लहरियों से सजी केन्द्र की 297वीं मासिक बैठक

 Saturday 20th July 2024 at 6:25 PM

संतूर वादक डॉ बिपुल कुमार रॉय  ने जगाया जादू 


चंडीगढ़: 20 जुलाई 2024: (कार्तिका कल्याणी सिंह//संगीत स्क्रीन डेस्क):: 

प्राचीन कला केन्द्र द्वारा हर माह आयोजित होने वाली मासिक बैठकों की श्रृंखला में आज यहां इसी की 297वीं कड़ी में मधुर एवं सधे हुए  संतूर वादन की प्रस्तुति पेश की गई । दिल्ली से आए युवा एवं प्रतिभाशाली संतूर वादक डॉ बिपुल कुमार रॉय  ने अपने प्रभावशाली  संतूर  वादन से दर्शकों की खूब सराहना प्राप्त की ।इनके साथ तबले पर जाने माने तबला वादक उस्ताद अकरम खान ने बखूबी साथ दिया।

इस कार्यक्रम का आयोजन हमेशा की भांति केन्द्र के एम.एल.कौसर सभागार में साय 6 :30 बजे से किया गया । इस अवसर पर चण्डीगढ़़ के कुछ जानेमाने कलाकारों ने अपनी उपस्थिति से चार चांद लगा दिए ।  बिपुल एक ऐसे युवा संतूर वादक हैं जिन्होंने  बहुत काम समय में  संगीत की दुनिय में अपना स्थान बनाया है।

इन्होने संतूर वादन की शिक्षा सूफियाना घराने के प्रसिद्द संतूर वादक पद्मश्री पंडित भजन सोपोरी से प्राप्त की है।  इन्होने दिल्ली विश्वविद्यालय से गायन में एमफिल  तथा पीएचडी की डिग्री प्राप्त की है।  बिपुल आकाशवाणी के ऐ ग्रेड कलाकार हैं और भारतीय संस्कृति मंत्रालय में उत्कृष्ट श्रेणी के कलाकार हैं।  रागों की शुद्धता , छंदों का मधुर प्रयोग और आकर्षक लयकारी इनके तंत्र वादन की विशेषता है।  इनको संगीत के क्षेत्र में योगदान के लिए बहुत से पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।  

कार्यक्रम की शुरुआत के लिए बिपुल  ने राग रागेश्री में आलाप से की।  तंत्रकारी अंग में सजी  विलम्बित ताल में आलाप के उपरांत झप ताल  मध्य लय में जोड़ पेश किया तथा द्रुत तीन ताल से सजा झाला पेश करके खूब तालिया बटोरी।   तंत्रकारी अंग में महारथ रखने वाले बिपुल  ने  लयकारियों से दर्शकों वाहवाही बटोरी। 

कार्यक्रम का समापन इन्होंने एक मधुर पहाड़ी धुन से किया जिसका दर्शकों के खूब आनंद उठाया । तबले पर उस्ताद अकरम खान के हमेशा की तरह  बखूबी रंग जमाया। एक ऐसा रंग जो सभी को याद रहने वाला  है। लोग समापन के बाद भी झूमते नज़र आए। 

कार्यक्रम के अंत में केन्द्र के सचिव श्री सजल कौसर ने कलाकारों को उतरीया एव मोमेंटो देकर सम्मानित किया । इस अवसर पर केंद्र की रजिस्ट्रार डॉ शोभा कौसर भी उपस्थित थे जिनकी मौजूदगी हर बार नए कलाकारों को एक नाज़ा उत्साह देती है।  

Wednesday, March 13, 2024

सीमाओं के पार संगीतमय सामंजस्य

Wednesday 13th March 2024 at 12:21 AM

अमेरिकी सेना के बहादुर सैनिक रियाद, सऊदी अरब में संगीत लहरियां भी बिखेर रहे हैं 


संगीत की दुनिया
: 13 मार्च 2024: (मीडिया लिंक// फोटो-अमेरिकी रक्षा विभाग//संगीत स्क्रीन डेस्क)::

 बस इंसान में संवेदना और प्रेम हो तो जीवन में  संगीतमय झलक दिखाई देने लगती है। एक ऐस कल्पना साकार रूप लेने लगती है जो सबके नसीब में ही नहीं होती। अरब के रेगिस्तान के मध्य में, जहां रेत के टीले अंतहीन रूप से फैले हुए हैं और प्राचीन महल इतिहास के प्रमाण के रूप में खड़े हैं, वहां संगीतमय सद्भाव का हर  एक क्षण मौजूद है जो सीमाओं और संस्कृतियों से परे है। सऊदी अरब के रियाद शहर की हलचल के बीच, गिटार की हल्की-हल्की झनकार गूंजती है, जो ऐसी धुनें बुनती है जो सौहार्द और एकता की भावना को प्रतिध्वनित करती है। संगीत की यह लहरियां दुनिया को बता रही कि शांति और प्रेम का संदेश देने वाली शक्ति सचमुच बहुत से  जादू दिखा सकती है। 

रेत के सागर जैसे माहौल में यह अनोखा दृश्य तब सामने आता है जब अमेरिकी सेना के सदस्य, घर से दूर फिर भी संगीत की सार्वभौमिक भाषा से जुड़े हुए, गिटार के प्रति अपने जुनून को साझा करने के लिए इकट्ठा होते हैं। ऐसी सेटिंग में जो कुछ लोगों के लिए असंभव लग सकती है, इन सैनिकों को अपने वाद्ययंत्र बजाने के सरल कार्य में जहां सांत्वना और समुदायिक संतोष भी मिलता है।

जैसे ही सेना के जवानों की उंगलियां तारों पर नृत्य करती हैं, तो संगीतमय जादू हवा में तैरते हैं, जो अपने साथ दूर देशों से यात्रा करने वालों की कहानियों और अनुभवों को भी ले जाते हैं। बजाया गया प्रत्येक राग मानव आत्मा के लचीलेपन और अनुकूलन क्षमता का एक प्रमाण है, जो कमियों को पाटता है और उन जगहों पर संबंध बनाता है जहां कुछ भी संभव नहीं लगता है।

रियाद में तैनात इन संगीत प्रेमी सैनिकों के लिए, संगीत सिर्फ एक शगल से कहीं अधिक काम करता है - यह एक जीवन रेखा है जो कर्तव्य की कठोरता से राहत के क्षण प्रदान करता है और उन बंधनों की याद दिलाता है जो उन्हें अपने साथियों के साथ एकजुट करते हैं। साझा लय और सामंजस्य में, उन्हें आराम, सौहार्द और सांस्कृतिक विभाजन से परे अपनेपन की भावना मिलती है।

इसके साथ ही उनकी इन निजी किस्म की संगीत सभाओं का प्रभाव उनकी बैरक की सीमा से परे तक भी फैला हुआ है। जैसे ही उनके गीतों की धुन रियाद की सड़कों पर बहती है, वे राष्ट्रों के बीच मित्रता और सद्भावना के प्रतीक के रूप में काम करते हैं। अपने संगीत के माध्यम से, ये सैनिक शांति के दूत बन जाते हैं, अपने मेजबान देश और अपनी मातृभूमि के बीच समझ को बढ़ावा देते हैं और पुल बनाते हैं।

अक्सर विभाजन और कलह से चिह्नित दुनिया में, रियाद में यूएसए सेना के सदस्यों को गिटार बजाते हुए देखना संगीत की परिवर्तनकारी शक्ति की एक शक्तिशाली अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है। उनके हाथों में, छह तार एकता के लिए एक माध्यम बन जाते हैं, लोगों को एक साथ लाते हैं और समुदाय की भावना को बढ़ावा देते हैं जिसकी कोई सीमा नहीं है।

इसलिए, सऊदी अरब की रेत के बीच, जहां संस्कृतियां टकराती हैं और परंपराएं एक-दूसरे से जुड़ती हैं, अमेरिकी सेना के सदस्यों के गिटार बजाने के संगीत को आशा और सद्भाव की किरण बनने दें-यहां तक ​​कि सबसे अप्रत्याशित स्थानों में भी समान आधार खोजने की स्थायी मानवीय शक्ति का एक नया और अदभुत प्रमाण होगा। जंग और नफरत को प्रेम और मानवता में बदलने का जादू सिखाता हुआ संगीत आज के दौर की विशिष्ठ आशा के तौर पर भी सामने आया है। 

Saturday, February 17, 2024

गायका असीस कौर का पंजाबी सांस्कृतिक गीत रिलीज

Saturday 17th February 2024 at 21:42

यह गीत पंजाब के कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा द्वारा रिलीज़ किया गया 


मोहाली: 17 फरवरी 2024: (मीडिया लिंक//सुर स्क्रीन डेस्क)::

प्रसिद्ध पंजाबी गायक असीस कौर का पंजाबी सांस्कृतिक गीत 'लाहिंडा काद पंजाब' पंजाब के कैबिनेट मंत्री अमन अरोरा द्वारा जारी किया गया था। यह गीत असिस कौर द्वारा गाया गया है। गीत के लिए संगीत श्री डैप द्वारा रचा गया है और गीत के वीडियो निर्देशक बॉबी बाजवा हैं। इस गीत के निर्माता और प्रेरणा. सरजीत सिंह जी।  गीत का कैस्टियम डिजाइन प्रमुख डिजाइनर गुनित कौर द्वारा किया जाता है। इस गीत का निर्माण धैर्य राजपूत, कोरियोग्राफर मैंडीप मैंडी और राजा फिल्म के संपादन द्वारा किया गया है। यह गीत YouTube लिंक असिस रिकॉर्ड्स द्वारा जारी किया गया था।

इस अवसर पर बोलते हुए, पंजाब के कैबिनेट मंत्री, अमन अरोड़ा ने कहा कि आसिस कौर के इस गीत में, जलते और आरोही पंजाब को बहुत खूबसूरती से चित्रित किया गया है, हम सभी को अपनी कीमती संस्कृति पर गर्व होना चाहिए। 

इसी बीच, असीस कौर ने अपने संदेश में कहा कि आज वह जिस स्थान पर हैं, वह गुरुद्वारा सिंह के शहीद स्थान सोहाना के लिए धन्यवाद प्राप्त किया गया है, जो धन्य अमर शहीद जत्थेडर बाबा हनुमान सिंह जी का शहीद स्थान है। उसने कहा कि भविष्य में वह उसी तरह से पंजाबी सांस्कृतिक गीत का प्रदर्शन करके पंजाबी मातृभाषा की सेवा करती रहेगी।

याद रखें कि असीस कौर हिंदी पंजाबी दोनों के गायन में पूरी  मुहारत रखती हैं। वास्तव में, असीस पनिपत, हरियाणा से है। उसका जन्म 26 सितंबर, 1988 को हुआ, असीस ने पांच साल की छोटी उम्र में ही गाना शुरू  कर दिया था। उनके जीवन में कई बार कठिनाइयाँ भी आईं लेकिन उनकी उपलब्धियाँ भी महान थीं। यह असीस का धार्मिक स्वभाव का पिता था जिसने उसे गुरुबाणी गाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने गुरुबाणी को बहुत लगन से सीखा और जल्द ही इसमें पूरी तरह प्रवीण भी बन गई। दिलचस्प बात यह है कि उनके पहले प्रयास में ही उनकी प्रशंसा की गई।

जैसे ही वह बड़ी हुई, उसने पेशेवर रूप से गाने का फैसला किया। उन्होंने उस्ताद पुराण शाहकोटी के तहत जालंधर से प्रशिक्षण लिया। गुरबानी का उनका संस्करण भारत में जारी किया गया था और वह इसकी बहुत सराहना करते थे। उन्होंने विभिन्न कार्यक्रमों पर गुरबानी गाना शुरू किया। उनके भाई-बहन गुरबानी पाठ में सक्रिय रूप से शामिल थे। असिस ने एक पंजाबी रियलिटी शो, "वॉयस ऑफ पंजाब" में भाग लिया, जिसके बाद वह बंबई आए और कई संगीत संगीतकारों से मिले। 

असीस कौर ने इंडियन आइडल 6 में भी भाग लिया। उसने "स्पीक" गाया और अपने भावनात्मक गीतों के साथ गिमा 2016 फैनपार्क में अपने प्रशंसकों पर जीत हासिल की। तमंचे बॉलीवुड में उनकी पहली फिल्म है, जिसमें उन्होंने "दिलदार" गीत गाया था। कपूर और संज से (1921 से) उनका गीत "बोलना" एक हिट था और चार्ट सूची में सबसे ऊपर था। 

अपने गीत संगीत  के कैरियर में, उन्हें मुंबई के संगीत उद्योग के साथ-साथ पंजाब और हरियाणा के लोगों से भी बहुत प्यार मिला। उम्मीद है कि जल्द ही उनके और गीत भी दर्शकों के।  

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