Wednesday, June 11, 2025

संत कबीर जी की पावन जयंती पर प्राचीन कलाकेंद्र का विशेष आयोजन

From Pracheen Kala Kendra on Wenesday 11th June 2025 at 5:28 PM Regarding Musical Event on Kabir Ji

विशेष संगीत संध्या में सुरों से सजे कबीर जी के दोहों ने जगाया जादू 


चंडीगढ़
/ /मोहाली: 11 जून 2025: (मीडिया लिंक रविंदर/ /संगीत स्क्रीन डेस्क)::

प्राचीन कला केंद्र द्वारा आज यहाँ  महान संत कबीर जी की जयंती के सुअवसर पर एक विशेष संगीत संध्या कबीर वाणी का आयोजन किया गया।  जिस में  दिल्ली से आये युवा एवं प्रतिभावान कलाकारों  द्वारा  संत कबीर के शाश्वत ज्ञान और पदों को संगीतमय श्रद्धांजलि दी गयी।  इस कार्यक्रम का आयोजन  प्राचीन कला केंद्र के एम एल कौसर सभागार में सायं 6 :30  बजे से किया गया।

इस कार्यक्रम में दिल्ली से आये श्री राजेश नेगी , डॉ रवि पाल, श्री गणेश कुमार, श्री योगेश पाल , श्री दिनेश कुमार , श्री विपिन कुमार एवं श्री गुरभेज सिंह ने प्रस्तुति पेश की। 

इस कार्यक्रम की शुरुआत श्री राजेश सिंह नेगी द्वारा पंडित कुमार गंधर्व द्वारा रचित  राग 'श्री कल्याण' में छोटा ख्याल *'देखो री उत फूलन लगी'। पेश की गयी।  इसके उपरांत  सभी कलाकरों द्वारा एक अन्य रचना नैहरवा हमका न भावे प्रस्तुत की गयी।  कार्यक्रम के अगले भाग में एक भजन राम निरंजन न्यारा रे पेश किया गया। 

इस मौके पर साथ ही कबीर का अन्य भजन साधो देखो रे जग बौराना और  है  मन है इश्क मस्ताना, है  मन है होशियारी क्या प्रस्तुत किया गया।  इसके बाद कबीर जी की वाणी से एक खूबसूरत भजन बिन सतगुरु नर रहत भुलाना, खोजत फिरत राह नहीं जाना तथा उड़ जायेगा हँस अकेला, जग दर्शन का मेला पेश किये गए जिसको दर्शकों ने खूब सराहा।  इसके उपरांत अवधूता गगन घटा गहराई हो,  हिरना समझ बूझ वन चरना तथा भजो रे भैया राम गोविंद हरी प्रस्तुत किये गए।  भक्ति रास से भरे इन भजनो का दर्शकों ने खूब आनंद उठाया। और कार्यक्रम के समापन पर  कबीर जी के दोहे पेश किये गए। 

कार्यक्रम के अंत में केंद्र के सचिव  श्री सजल कौसर द्वारा कलाकारों  को उत्तरीया  एवं मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर दिल्ली से विशेष रूप से संगीतज्ञ श्री देवेंद्र वर्मा तथा तबला वादक श्री देबाशीष अधिकारी भी पधारे।

Friday, May 23, 2025

संगीतक आयोजन: जिसमें में 5 से 60 वर्ष तक के छात्रों ने भाग लिया

From Pracheen Kala Kendra on Friday 23rd May 2025 at 4:52 PM

प्राचीन कला केन्द्र के छात्रों द्वारा शास्त्रीय संगीत की मधुर प्रस्तुतियां


चंडीगढ़
: 23 मई 2025: (कार्तिका कल्याणी सिंह/ /मीडिया लिंक32/ /संगीत स्क्रीन डेस्क)::

जो जो संगठन चंडीगढ़ और आसपास के क्षेत्रों में गीत संगीत के क्षेत्रों की नींव मज़बूत बना रहे हैं उनमें प्राचीन कलाकेंद्र भी एक है। इस प्राचीन कलाकेंद्र में दशकों से इस शिक्षा को बहुत ही अदब के साथ नई  पीढ़ी तक पहुँचाया जा रहा है। हर वर्ग से जुड़े संगीत प्रेमियों को गीत संगीत और डांस में जहां सिखलाई दी जाती है। इसका सबूत एक बार फिर आज मिला जब आज के आयोजन में पांच वर्ष की उम्र से लेकर ६० वर्ष तक की उम्र के संगीत साधक मंच पर आए। 

प्राचीन कला केन्द्र की विशेष संगीतक संध्या में परंपरा श्रृंखला के तहत सैक्टर 35 स्थित एम.एल.कौसर सभागार में केंद्र के छात्रों द्वारा शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुतियां पेश की गई । केंद्र में कार्यरत सधी हुई संगीत शिक्षिक श्री  सुरजीत कुमार एवं अमनदीप गुप्ता   के निर्देशन में छात्रों ने अपनी कला का बखूबी प्रदर्शन करके खूब तालियां बटोरी। इसमें 5 से 60 वर्ष तक के छात्रों ने भाग लिया। विभिन्न  प्रस्तुतियों से सजे इस कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना से की गई ।उपरांत  कलाकारों द्वारा जपुजी साहिब पर आधारित एक रचना "ऐ मेरे मन" पेश की गयी तथा राग खमाज तथा बिहग पर आधारित सुन्दर बंदिशें प्रस्तुत की गयीं।  इसके बाद कलाकारों ने सरगम गीत तथा गीतमाला पेश की जिसे दर्शकों ने खूब सराहा । इसके बाद  किशोरावस्था के बच्चों द्वारा  लोकप्रिय  भजन वैषणव जान , अच्युतम केशवम , , प्रभु आपकी कृपा से मेरा सब काम हो रहा है , शिव कैलाशों के वासी , औ पालनहारे तथा राम स्तुति पेश की गयी जिस से दर्शक भक्ति रंग में रंग  गए।  

इसके उपरांत एकल तबला वादन पेश किया गया जोकि तीन ताल पर आधारित था।   कार्यक्रम के अंतिम भाग में ग़ज़लें पेश की गयीं।  खूबसूरत ग़ज़लों के रंग में रंगी शाम से दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। डाॅ.समीरा  कौसर ने छात्रों एवं गुरू की प्रशंसा करते हुए कहा कि ये युवा कलाकार देश की संस्कृति की धरोहर को प्रफुल्लित करने का काम बखूबी कर रहे हैं। प्राचीन कला केंद्र द्वारा उभरती प्रतिभाओं को मंच देने के साथ साथ युवा छात्रों को संगीतक  अभ्यास और रियाज़ में  सधे  हुए गुरुओं के सानिध्य में  प्रफुल्लित करके कला एवं संगीत की अमूल्य सेवा कर रहा है। इससे संगीत की दुनिया और अधिक विशाल एवं सुंदर होती जा रही है। 

कुल मिलाकर आज का यह आयोजन भी बहुत यादगारी रहा। इस अवसर पर श , िल हुए श्रोताओं और दर्शकों ने इस से जुडी यादों को अपने दिल दिमाग में संजोया। 

Saturday, May 17, 2025

प्रियंका ठाकुर की प्रभावशाली एवं मधुर शास्त्रीय संगीत प्रस्तुति

From Pracheen Kala Kendra on Saturday 17th May 2025 at 7:15 PM

307वीं मासिक बैठक में प्रस्तुति से फिर जगा गीत संगीत का जादू


चंडीगढ़: 17 मई 2025: (मीडिया लिंक//संगीत स्क्रीन डेस्क)::
चंडीगढ़ को लेकर अक्सर कहा जाता रहा कि यह तो पत्थरों का शहर है। इस धारणा को जो लोग लगातार गलत साबित करते आ रहे हैं उनमें प्राचीन कला केंद्र भी शामिल है। यह संस्थान इन्हीं पत्थरों में गीत संगीत के जादू का अहसास करवाता आ रहा है। हर बार नए पुराने कलाकारों से रूबरू करवाना और संगीत लहरियों से पूरे माहौल को संगीत मई बना देना इसी संस्थान की टीम का काम रहा।

प्राचीन कला केंद्र, चंडीगढ़ द्वारा आयोजित 307वीं मासिक बैठक कार्यक्रम का आयोजन शनिवार, 17 मई 2025 को एम. एल. कोसर इंडोर ऑडिटोरियम, सेक्टर 35-बी, चंडीगढ़ में किया गया। इस अवसर पर युवा एवं प्रतिभाशाली गायिका सुश्री प्रियंका ठाकुर ने शास्त्रीय गायन की एक मनोहारी प्रस्तुति दी।

कार्यक्रम की शुरुआत राग मालकौंस  से हुई, जिसमें उन्होंने विलंबित ख्याल "पीर ना जाने बालम" प्रस्तुत किया। भावपूर्ण गायन शैली से उन्होंने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके पश्चात, उन्होंने तीन ताल में द्रुत ख्याल "बालम नहीं आए" सुनाया, जिसने कार्यक्रम की गति और भी तीव्र कर दी। अपनी प्रस्तुति को और ऊर्जावान बनाते हुए, प्रियंका ठाकुर ने अति द्रुत में टप्प ख्याल "हर हर महादेव पति" प्रस्तुत किया, जिसे श्रोताओं ने खूब सराहा।

शास्त्रीय प्रस्तुति के उपरांत, उन्होंने हिमाचली लोकगीत "कुंजू चंचलो" की मधुर प्रस्तुति दी, जो श्रोताओं के बीच अत्यंत लोकप्रिय रही और तालियों की गड़गड़ाहट के साथ सराही गई।

गायिका का साथ दिया श्री दिव्यांश ठाकुर (तबला) एवं श्री पियूष मिश्रा (हारमोनियम) ने, जिनकी संगति ने पूरी प्रस्तुति को और अधिक प्रभावशाली बनाया।

कार्यक्रम में संगीत प्रेमियों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही, और सभी ने इस शाम को संगीत से सजी एक अविस्मरणीय अनुभूति बताया।

डॉ. शोभा कोसर (रजिस्ट्रार) व श्री सजल कोसर (सचिव) ने सभी संगीतप्रेमियों को कार्यक्रम में भाग लेने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।

कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने के लिए श्री विनोद चन्ना (शिमला) , श्री गुंजन चन्ना, पं. देवेंद्र वर्मा डॉ  जगमोहन शर्मा ,   डॉ. हरमोहन शर्मा, श्री सौरभ आदि विशेष रूप से मौजूद रहे।

कार्यक्रम के अंत में कलाकारों को सम्मानित भी किया गया। कुल मिलाकर यह भी एक याधारी कार्यक्रम रहा। इस ने चंडीगढ़ के संगीत भरे माहौल को एयर भी अमीर बनाया। 

Tuesday, October 15, 2024

गुरू एम.एल.कौसर की स्मृति में 19वे अवार्ड का भव्य आयोजन

Tuesday 15th October 2024 at 7:51 PM Email and WhatsApp PKK Chandigarh

संगीत जगत के दो दिग्गज कलाकारों का को किया गया सम्मानित 

तबला वादक पंडित विनोद पाठक एवं प्रसिद्ध सितार वादक पंडित हरविंदर शर्मा को अवार्ड  


चंडीगढ़: 15 अक्टूबर 2024: (कार्तिका कल्याणी सिंह//संगीत स्क्रीन डेस्क)::

चंडीगढ़ को आम तौर पर लोग पत्थरों का शहर कहते हैं। इसकी बड़ी बड़ी इमारतें, भागदौड़ वाली ज़िन्दगी और जल्दबाज़ी में रुखसुखा सा जवाब देने वाले कुछेक लोग इस कथनी पर मोहर लगाते हुए भी महसूस  होते हैं। इसके बावजूद प्राचीन कला केंद्र, कला भवन और रोज़ गार्डन जैसे संस्थान और स्थान यह भी याद दिलाते हैं की इसी चंडीगढ़ में संवेदना भी है, शायरी भी है और संगीत भी है। हाल ही में गुरु एम एल कौसर की समृति में कराया गया 19वां अवार्ड समारोह तांडव जैसे महान नृत्य के संबंध में  यहां हुआ खोजपूर्ण काम भी बहुत कुछ बताता है। तांडव नृत्य की चर्चा हम एक अलग पोस्ट में कर रहे हैं यहां लौटते हैं प्राचीन कला केंद्र के इस विशेष आयोजन की चर्चा पर। 

गुरू एम.एल.कौसर पिछले 6 दशकों से कला के क्षेत्र में अपनी बहुमूल्य सेवाओं और योगदान द्वारा नए आयाम स्थापित करने वाले तांडव सम्राट गुरू एम.एल.कौसर को श्रेष्ठ कलाकार होने के साथ-साथ भारतीय शास्त्रीय कलाकारों के वाहक के रूप में भी जाना जाता है । इन्होंने अपने अथक प्रयासों एवं निस्वार्थ सेवाओं के बल पर संगीत जगत में विशेष स्थान बनाया । ऐसी महान शख्सियत के इसी सहयोग को मद्देनजर रखते हुए प्राचीन कला केन्द्र की कार्यकारिणी समिति द्वारा वर्ष 2004 में एक लाख रूपए के अवार्ड की घोषणा की गई । यह अवार्ड भारतीय शास्त्रीय संगीत में अहम योगदान देने वाले कलाकारों के प्रति एक सम्मान है जो एक कलाकार की नजर से दिया जाता है।

इस अवार्ड में अब तक कत्थक नृत्यांगना सितारा देवी,कत्थक सम्राट बिरजू महाराज, सितार वादक शाहिद परवेज़, पंडित शिव कुमार शर्मा,सुनयना हजारीलाल,पंडित राम नारायण,गुरू सोनलमान सिंह,पंडित विश्वमोहन भट्ट,पंडित भजन सोपोरी,गुरू शोवना नारायण,पंडित सुशील जैन तथा पंडित कालेराम जैसे दिग्गज कलाकार सम्मानित किए जा चुके है।

आज के अवार्ड समारोह का आयोजन टैगोर थियेटर में 19वें गुरू एम.एल.कौसर अवार्ड समारोह का भव्य आयोजन सायं 6:30 बजे से किया गया। 19वां गुरू एम.एल.कौसर अवार्ड समारोह संगीत जगत की दो विभूतियों जानेमाने तबला वादक पंडित विनोद पाठक एवं प्रसिद्ध सितार वादक पंडित हरविंदर शर्मा को प्रदान किया गया।

इस कार्यक्रम में अवार्ड प्रदान करने हेतु पद्मभूषण ग्रेमी अवार्ड विजेता पंडित विश्वमोहन भट्ट विशेष रूप से मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए । इनके साथ सात्विक वीणा रचयिता पंडित सलिल भट्ट भी उपस्थित थे। मंच पर चैयरमैन श्री एस.के.मोंगा,रजिस्ट्रार डॉ.शोभा कौसर एवं सचिव श्री सजल कौसर उपस्थित थे।

पारम्परिक द्वीप प्रज्वलन करने के पश्चात चैयरमैन एवं अन्य विभूतियों द्वारा मुख्य अतिथि को सम्मानित किया गया । इसके उपरांत अवार्ड समारोह की शुरूआत की गई। सबसे पहले पंडित विनोद पाठक को शाल,स्मृति चिन्ह,मोमेंटो और 50 हजार रूपए  भेंट किए गए । उपरांत पंडित हरविंदर शर्मा को शाल,स्मृति चिन्ह,मोमेंटो और 50 हजार रूपए  भेंट किए गए ।

सम्मान समारोह को यादगार बनाने के लिए अवार्डी कलाकारों द्वारा एवं विशेष संगीत संध्या का आयोजन किया गया । जिसमें सबसे पहले पंडित विनोद पाठक द्वारा तीन ताल में निबद्ध तबला वादन पेश किया गया जिस में  फारूखाबाद घराने की कुछ विशेष बंदिशें पेश की गई । और तबला में  कायदे  तोड़े , रेले, गत, टुकड़े , परं इत्यादि पेश किये गए।  पारम्परिक बंदिशों से निबद्ध इस प्रस्तुति का सबने आनंद उठाया।  

इनके साथ तबले पर इनके सुपुत्र विविश पाठक एवं हारमोनियम पर श्री दिनकर दिवेद्वी ने बखूबी संगत की।

इसके उपरांत पंडित हरविंदर शर्मा ने मंच संभाला और विलायत खान साहिब के शिष्य हरविंदर शर्मा ने सुन्दर स्वर लहरियों से सजा   सितार वादन पेश किया। इन्होंने राग मिश्र खमाज में आलाप से शुरुआत की और गायिकी अंग से सजी प्रस्तुति में  सुन्दर बंदिशें पेश करके दर्शकों का मन जीत लिया । खूबसूरत जोड़ झाला पेश करके हरविंदर शर्मा ने दर्शकों को जादू भरी शाम में खोने के लिए मजबूर कर दिया।  कार्यक्रम का समापन इन्होने भटियाली धुन से किया । इनके साथ प्रसिद्द तबला वादक पंडित राम कुमार मिश्रा ने संगत करके चार चाँद लगा दिए। 

कार्यक्रम के अंत में कलाकारों को उत्तरीय एवं मोमेंटो से सम्मानित किया गया। कलाकारों द्वारा कलाकारों को समर्पित इस सम्मान समारोह ने दर्शकों को एक खूबसूरत शाम से यादगारी बना दिया। 

Wednesday, September 11, 2024

299 वीं मासिक बैठक में श्री बंदोपाध्याय के कत्थक नृत्य से सजी शाम

Wednesday 11th September 2024 at 5:53 PM

श्री बंदोपाध्याय श्री साधना स्कूल ऑफ कत्थक की संस्थापक भी है


चंडीगढ़
: 11 सितंबर 2024: (कार्तिका कल्याणी सिंह//संगीत स्क्रीन डेस्क)::

कड़कती धुप वाली झुलसा देने वाली गर्मी अब जा चुकी है और मीठी मीठी शीत का मौसम दस्तक देने लगा है। सुबह और शाम को इसका अहसास किया जा सकता है। फुहार से लेकर मुसलाधार बरसात का रंग भी लोगों ने एक बार फिर से देख लिया। ऐसे सुहाने मौसम में देश भर में गीत संगीत के आयोजनों का सिलसिला शुरू हो चुका है। इसी का अहसास कराते हुए प्राचीन कला केंद्र ने भी चंडीगढ़ में अपना विशेष आयोजन किया। 

प्राचीन कला केन्द्र द्वारा हर माह आयोजित होने वाली मासिक बैठकों की श्रृंखला की 299वीं कड़ी में दिल्ली से आई श्री बंदोपाध्याय ने अपने कत्थक नृत्य से दर्शकों को खूब आनंदित किया । पंडित जयकिशन महाराज के सानिध्य में नृत्य की शिक्षा प्राप्त कर रही श्री ने गुरू संदीप मलिक से नृत्य की प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की । इसके उपरांत पंडित जयकिशन महाराज से नृत्य की बारीकियां सीखी । श्री ने प्राचीन कला केन्द्र से भास्कर का डिप्लोमा भी प्राप्त किया है । इसके अलावा खैरागढ़ विश्वविद्यालय से भी स्नातकोत्तर तक शिक्षा ग्रहण की है । दूरदर्शन की बी ग्रेड कलाकार श्री साधना स्कूल ऑफ कत्थक की संस्थापक भी है । इन्होंने विभिन्न प्रस्तुतियों से दर्शकों के दिल में जगह बनाई है।

आज के कार्यक्रम की शुरूआत एक खूबसूरत ध्रुपद रचना कंुजन में राचो रास जोकि चौताल पर आधारित थी,  से की । इसके उपरांत श्री ने कत्थक की तकनीकी पक्ष प्रस्तुत किया । अष्टमंगल 11 मात्रा में परन,गत, उठान, चालें, आमद, त्रिपल्ली,  प्रमिलू, तिहाई और चक्रदार परन प्रस्तुत करके तकनीकी पक्ष पर अपनी मजबूत पकड़ का बखूबी प्रदर्शन किया । इसके उपरांत तीन ताल पर आधारित ठुमरी जोकि राग मेघ मल्हार में निबद्ध थी,प्रस्तुत करके दर्शकों की खूब वाहवाही लूटी । कार्यक्रम के अंत में श्री ने तीन ताल पर आधारित रचनाएं तथा वाद्य परन,बिजली परन पेश करते हुए खूबसूरत लयकारियों से कार्यक्रम का समापन किया । इनके साथ तबले पर जानेमाने तबलावादक उस्ताद शकील अहमद खान,गायन पर अतुल देवेश,सितार पर लावण्य अबांदे तथा बोल पढंत पर जय भट्ट ने बखूबी साथ देकर कार्यक्रम को चार चांद लगा दिए।

कार्यक्रम के अंत में केन्द्र की रजिस्ट्रार डॉ.शोभा  कौसर,सचिव श्री सजल कौसर ने  कलाकारों को उतरिया  और मोमेंटो देकर सम्मानित किया।

Sunday, August 11, 2024

प्राचीन कला केन्द्र की 298वीं मासिक बैठक भी जगाती रही संगीत का जादू

Sunday 11th August 2024 at 4:41 PM

संगीत की स्वर लहरियों ने एक बार फिर दिखाए संगीत के कमाल 


चंडीगढ़
: 11 अगस्त 2024: (कार्तिका कल्याणी सिंह//संगीत स्क्रीन डेस्क)::

चंडीगढ़ और आसपास के क्षेत्रों में संगीत के जादू को बरकरार रखने वाली संस्थाओं में सबसे अग्रणी संस्था है प्राचीन कला केंद्र। इस संस्थान ने अब तक संगीत के अनगिनत साधकों को सफलता की उंचाईयों तक पहुंचाया है। संगीत और नृत्य साधना के क्षेत्र में यह संस्थान लगातार सक्रिय रहता है। 

इसी सिलसिले में इस अग्रणी सांस्कृतिक संस्था प्राचीन कला केन्द्र द्वारा 298वीं मासिक बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें राजस्थान के प्रतिभाशाली तबला वादक गौतम पाल ने एकल तबला वादक की प्रस्तुति से दर्शकों का दिल जीत लिया। गौतम पाल ने न केवल फरुखाबाद घराने के तबला वादन की शिक्षा प्राप्त की अपितु पंजाब घराने के पंडित सुशिल जैन के गंडा बांध शिष्यत्व में भी अपनी कला को निखारा। विभिन्न प्रस्तुतियों द्वारा अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके गौतम पाल ऑल इंडिया रेडियो के बी ग्रेड कलाकार है।

एक नया इतिहास रचने वाले आज के कार्यक्रम की दूसरी प्रस्तुति शिमला के गुंजन चन्ना द्वारा पेश की गयी। गुंजन को हाल ही में  दूरदर्शन  के ऐ ग्रेड से सम्मानित किया गया है।  गुंजन चन्ना ने अल्पायु में माता पिता से सीखने के बाद पटियाला के डॉ  जगमोहन शर्मा के शिष्यत्व में संगीत की बारीकियां सीखी। गुंजन संगीत की दुनिया का उभरता कलाकार है।

संगीत के क्षेत्र में यादगारी अध्याय जोड़ने वाले आज के इस कार्यक्रम की शुरुआत श्री गौतम पाल  के तबला वादन से हुई जिस में उन्होंने ने  तीन ताल में पेशकार रेले,कायदे,पलटे,पारम्परिक उठान बहुत खूबसूरती से पेश किए। इसके उपरांत इन्होंने फरुखाबाद घराने की कुछ प्राचीन गतें,रेले इत्यादि पेश करके खूब तालियां बटोरी। इसके उपरांत फरमाइशी एवं कमाली चक्रदार , टुकड़े , रेल एवं तिहाई का सधा हुई प्रदर्शन किया।  इनके साथ युवा एवं प्रतिभावान हारमोनियम वादक गुरप्रीत सिंह मोगा ने खूबसूरत संगत करके खूब समां बांधा।  

कार्यक्रम के दूसरे भाग में युवा एवं प्रतिभाशाली गुंजन चन्ना ने मंच संभाला और राग बिहाग से कार्यक्रम की शुरुआत की। आलाप के पश्चात विलम्बित ख्याल  में एक रचना "कैसे सुख सोये " पेश की  इसके उपरांत मध्य लाया  तीन ताल  में  दो रचनाएँ बालम रे  एवं बजे रे मोरी पायल प्रस्तुत करके खूब तालिया बटोरी। द्रुत ख्याल की बंदिश बनी बनी ठनी ठनी  भी दर्शकों का मन मोह गयी।  कार्यक्रम के अंत में गुंजन ने हिमाचली फोक माये नई मेरिये  प्रस्तुत करके रंग जमाया।  इनके साथ तबले पर श्री राजेश ब्रह्मभट्ट और हारमोनियम पर श्री मदन कश्यप ने बखूबी  संगत की। 

कार्यक्रम के अंत में केन्द्र की रजिस्ट्रार डॉ.शोभा  कौसर,सचिव श्री सजल कौसर और तबला गुरू पंडित सुशील जैन  तथा डॉ जगमोहन शर्मा ने  कलाकारों को उतरिया  और मोमेंटो देकर सम्मानित किया।

Monday, July 29, 2024

पंजाब की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने की फिर से कोशिशें

Monday 29th July 2024 at 5:03 PM

सभी पंजाबियों को संयुक्त प्रयास करने होंगे-राखी गुप्ता भंडारी


लुधियाना: 29 जुलाई 2024: (संगीत स्क्रीन ब्यूरो डेस्क):: 

पंजाब सरकार में खाद्य प्रसंस्करण विभाग की प्रमुख सचिव, वरिष्ठ आईएएस अधिकारी श्रीमती राखी गुप्ता भंडारी ने कल शाम इश्मित सिंह संगीत संस्थान लुधियाना में सिरमौर सांस्कृतिक संस्थान लुधियाना द्वारा आयोजित संगीत कार्यक्रम "आफरीन" की अध्यक्षता की और कहा कि पंजाब विश्व के इतिहास की पुस्तकें इसे विश्व सभ्यता का उद्गम स्थल कहा जाता है क्योंकि पृथ्वी की पहली पुस्तक "ऋग्वेद" भी पंजाब में ही लिखी गई थी। पंजाब रामायण और महाभारत की जन्मस्थली और रचना भूमि बन गया और मानवता की भलाई का संदेश देने वाले और शबद गुरु के रूप में स्थापित श्री गुरु ग्रंथ साहिब की रचना भी यहीं हुई। पंजाब ने लंबे समय से संगीत, चित्रकला और ललित कला के विभिन्न क्षेत्रों में अपना वर्चस्व कायम रखा है।

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से पंजाबियों ने अपनी सर्वश्रेष्ठ स्थिति को नरम किया है, जिसे संयुक्त प्रयासों से फिर से शीर्ष पर लाने की जरूरत है। श्रीमती राखी गुप्ता भंडारी ने अपनी मधुर आवाज में जगजीत सिंह जी की गाई हुई ग़ज़ल सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। पंजाब के वरिष्ठ नौकरशाह और पंजाब सरकार में प्रधान सचिव के पद पर कार्यरत श्री राहुल भंडारी ने भी "आफ़रीन" द्वारा आयोजित संगीत कार्यक्रम की सराहना की। उन्होंने कहा कि लुधियाना पंजाब की आर्थिक राजधानी है और इसे संयुक्त प्रयासों से सांस्कृतिक राजधानी भी बनाया जा सकता है। अरुण शर्मा के नेतृत्व में सदस्यों ने मुख्य अतिथि राखी गुप्ता भंडारी, श्री राहुल भंडारी और विशिष्ट अतिथि प्रो. गुरभजन सिंह गिल को गुलदस्ता भेंट कर उनका स्वागत करने को कहा गया. प्रो गुरभजन सिंह गिल की संपूर्ण ग़ज़ल पुस्तक "आखर आखर" की प्रतियां भेंट की गईं।

पंजाबी लोक विरासत अकादमी के अध्यक्ष प्रो. गुरभजन सिंह गिल ने कहा कि लुधियाना कभी संस्कृति की दृष्टि से बहुत समृद्ध शहर था। यहां भाई साहब भाई जोध सिंह, डाॅ. एम एस रंधावा, प्रो. मोहन सिंह, कुलवंत सिंह विर्क, सोहन सिंह सीतल, अजायब चित्रकार, प्रो. एस नरूला और सुरजीत पातर जैसे लेखक वहां रहते थे. लाल चंद यमला जट्ट, नरेंद्र बीबा, जगमोहन कौर, चांदी राम और सुरिंदर शिंदा जैसे गायक और जसवंत भंवरा जैसे संगीत उस्ताद मार्तंड में रहते थे, लेकिन आज लुधियाना "फेसलेस" हो गया है।

इसमें सभी क्षेत्रों के शाह स्वार शामिल हैं। नये कलाकारों को संरक्षण देकर उस खोये हुए गौरव को पुनः प्राप्त किया जा सकता है। इस अवसर पर आफरीन के सभी कलाकार सदस्यों ने बहुत ही मधुर अंदाज में अपनी संगीत प्रस्तुति दी. मुख्य अतिथि श्रीमती राखी गुप्ता भंडारी को आयोजकों द्वारा सम्मानित किया गया। इश्मित संगीत संस्थान के निदेशक डाॅ. धन्यवाद के शब्द चरण कंवल सिंह ने कहे।

शौकीन शौकिया गायकों के एक समूह आफरीन ने 28 जुलाई को इश्मीत म्यूजिक इंस्टीट्यूट लुधियाना में 76वां संगीत समारोह मनाया। यह कार्यक्रम तीन महान गायक मोहम्मद रफ़ी की स्मृति को समर्पित था और सदस्यों ने लाइव संगीत पर गीत प्रस्तुत किए। प्रसिद्ध पंजाबी कवि, लेखक और दार्शनिक प्रोफेसर गुरभजन गिल ने संगठन और प्रतिभागियों को आशीर्वाद देने के लिए अपनी सौम्य उपस्थिति दर्ज की। श्रीमती राखी गुप्ता भंडारी आईएएस, प्रधान सचिव, पंजाब सरकार, जो स्वयं एक प्रतिभाशाली गायिका हैं, अपने पति श्री राहुल भंडारी और परिवार के सदस्यों के साथ मुख्य अतिथि थीं। दर्शकों में डॉ. राजिंदर बंसल, एडवोकेट हरप्रीत संधू, डॉ. संजीव उप्पल, डॉ. नितिन, पुरषोतम सिंगला और डॉ. चरण कंवल सिंह जैसी कई मशहूर हस्तियां शामिल थीं।

प्रोफेसर गुरभजन गिल ने भंडारी दंपति का स्वागत किया जो अपने करियर की शुरुआत से ही उनके संपर्क में थे। प्रोफेसर गिल ने आफरीन के प्रयासों की सराहना की और उपस्थित सभी लोगों को अपना आशीर्वाद दिया। राहुल भंडारी ने कहा, उनके जादुई शब्द वास्तव में हमारे लिए स्फूर्तिदायक और प्रेरणादायक थे। सभी ने पूरे समारोह के दौरान उपस्थित रहने के लिए प्रोफेसर गिल का आभार व्यक्त किया।

समारोह का आयोजन करण लांबा द्वारा बहुत अच्छे ढंग से और शालीनता से किया गया। कल मिलकर यह प्रस्तुति शानदार और जानदार रही। इस सफल आयोजन के बावजूद यह सवाल फिर भी कायम है कि उन कलाकारों तक सर्कार और समाज कैसे पहुंचेगा जिनके लिए इस तरह के आयोजन आज लाहौर के ऊंचे बुर्ज जैसे ही हैं जहां आमा गरीब इंसान की पहुंच अपने जीवन में कभी नहीं होती।