24th March 2022 at 5:39 PM
शौनक अभिषेकी के शास्त्रीय गायन ने जगाया संगीत का जादू
वैजयंती काशी के कुचिपुड़ी नृत्य ने तो सभी को मोह लिया
चंडीगढ़ को पत्थरों का शहर बोला जाता है। यहां दया भावना और संवेदना की उम्मीदें कम होती जा रही हैं लेकिन संगीत का जादू जगाने वाले प्रचीन कला केंद्र के आयोजन पत्थरों के इस शहर में भी जीवन की धड़कनें पैदा करते हैं। यहाँ वह गीत सत्य महसूस होने लगता है जिसके बोल हैं गीत गाया पत्थरों ने। प्राचीन कला केंद्र थोड़े थोड़े अंतराल के बाद कुछ न कुछ करता रहता है।
टैगोर थिएटर में संगीत उत्सव का आयोजन जारी है। इस सात दिवसीय 51वें अखिल भारतीय भास्कर राव सम्मेलन के चौथे दिन गायन और कुचिपुड़ी नृत्य की प्रस्तुतियों ने चंडीगढ़ कला प्रेमियों का खूब मनोरंजन किया। आज के कार्यक्रम में केन्द्र की रजिस्ट्रार डॉ.शोभा कौसर एवं सचिव श्री सजल कौसर की साथ तबला गुरु श्री सुशील जैन भी मौजूद थे। उनकी मौजूदगी से उतपन्न अदृश्य लहरें
आज की दो प्रस्तुतियों में पहले मशहूर शास्त्रीय गायक श्री शौनक अभिषेकी ने अपने मधुर शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति दी। आज की युवा पीढ़ी के संगीतकारों में एक प्रमुख नाम, पं. शौनक अभिषेकी ने भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में एक असाधारण गायक के रूप में प्रमुखता हासिल करते हुए, अपने लिए एक जगह बनाई है उस्ताद जितेंद्र अभिषेकी के शिष्य , शौनक की ख्याल प्रस्तुति हिंदुस्तानी संगीत की आगरा और जयपुर शैलियों का एक खूबसूरत मिश्रण है, उन्हें जयपुर घराने के श्रीमती कमल तांबे द्वारा प्रशिक्षित होने का सौभाग्य मिला। , बाद में अपने पिता से प्राप्त कठोर प्रशिक्षण और साधना से इन्होने बहुत से प्रसिद्द कार्यक्रमों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया
दूसरी ओर आज की दूसरी प्रस्तुति में बैंगलोर की वैजयंती काशी ने अपने समूह की साथ कुचिपुड़ी नृत्य की खूबसूरत प्रस्तुति पेश की. वैजयंती काशी भारत की प्रसिद्द कुचिपुड़ी नर्तकियों में से एक है। उनका करियर प्रदर्शन, कोरियोग्राफी, शिक्षण, अभिनय, अनुसंधान उनके व्यक्तित्व का एक प्रभावशाली पहलु है . वैजयंती की कृतियों को लगभग 30 देशों में दुनिया भर के कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समारोहों में प्रदर्शित किया गया है।
आज के कार्यक्रम की शुरुआत शौनक की गायन से हुई. उन्होंने विलक्षण राग सरस्वती को चुना . और पारम्परिक आलाप की पश्चात रूपक ताल से सजी बंदिश "रैन की बात " पेश की . उपरांत तीन ताल में निबद्ध बंदिश " साजन बिन कैसे " प्रस्तुत करके दर्शकों की वाहवाही प्राप्त की . कार्यक्रम का समापन उन्होंने राग भैरवी से सजे एक भजन से किया जिसके बोल थे " शिव की मन शरण " . इनके साथ तबले पर उस्ताद अकरम खान एवं हारमोनियम पर राजेंद्र बनर्जी ने बखूबी संगत की .
कार्यक्रम के दूसरे भाग में वैजयंती काशी ने अपने समूह की साथ कुचिपुड़ी नृत्य का खूबसूरत प्रदर्शन किया . इन्होने कार्यक्रम की शुरुआत एक भक्तिमयी प्रस्तुति अभंग से की जिस में इन्होने भगवन विष्णु की आराधना को नृत्य की माध्यम से दर्शाया . इसके उपरांत दक्षिण की प्रसिद्द स्थल तिरुमाला जोकि भगवन विष्णु की स्थली मानी जाती है, की अद्भुत सुंदरता एवं महातम का वर्णन नृत्य की माध्यम से किया , जिसे दर्शकों ने बहुत सराहा . इसके बाद कृष्ण लीला पर आधारित रचना पेश की और इस भाग में नृत्य का प्रदर्शन . ब्रास की प्लेट पर किया जाता हैं . कार्यक्रम की अंत में राग मोहना पर आधारित पूतना मोक्ष नृत्य नाटिका का सूंदर प्रदर्शन किया गया . जिस में बाल कृष्ण को मारने की इरादे से आयी पूतना राक्षसी जब सूंदर औरत की रूप में आयी तो कैसे भगवन कृष्ण ने उसका वध किया . इसी घटना का सूंदर चित्रण इस नृत्य नाटिका में किया गया है
कार्यक्रम के समापन पर केन्द्र की रजिस्ट्रार डॉ.शोभा कौसर,एवं सचिव श्री सजल कौसर ने कलाकारों को पुष्प एवं समृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।
मंच संचालक डॉ समीरा कौसर ने बताया कि कल यानि 25मार्च को पंडित संजीव अभ्यंकर अपने शास्त्रीय गायन और पंडित प्रवीण गोडखिंडी अपने बांसुरी वादन से संगीत प्रेमियों का मनोरंजन करेंगे।
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