05-अक्टूबर-2012 15:32 IST
राष्ट्रपति प्रदान करेंगे फैलोशिप तथा अकादमी पुरस्कार-2011
राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी 09 अक्तूबर 2012 को एक विशेष कार्यक्रम में वर्ष 2011 का प्रतिष्ठित संगीत नाटक अकादमी फैलोशिप और अकादमी पुरस्कार प्रदान करेंगे। इस वर्ष 11 प्रख्यात व्यक्तियों को अकादमी फैलोशिप और 36 कलाकारों को अकादमी पुरस्कारों से सम्मानित किया जायेगा।
अकादमी फैलोशिप (अकादमी रत्न) तथा अकादमी अवॉर्ड (अकादमी पुरस्कार) की उच्च स्तर के राष्ट्रीय सम्मान के रूप में मान्यता है, जो प्रदर्शन करने वाले कलाकारों, गुरु और कलाओं का बेहतर ज्ञान रखने वाले विद्वानों को प्रदान किया जाता है। इन पुरस्कारों के चयन का निर्णय शीर्ष संस्था अकादमी की महा परिषद द्वारा की जाती है जिसमें प्रख्यात कलाकार, विद्वान और केंद्र सरकार तथा विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के नामित सदस्य शामिल होते हैं।
उच्च् सम्मान अकादमी फैलोशिप श्री मुकुंद लथ, श्री हरिप्रसाद चौरसिया, श्री शिवकुमार शर्मा, श्री अमजद अली खान, श्री उमायलपुरम काशी विश्वनाथ शिवरामन, श्री मोहन चंद्रसेकरन, श्री राजकुमार सिंहजीत सिंह, श्री कलामंडलम गोपी, श्रीमती पदमा सुब्रहमण्यम, श्री चंद्रशेखर बसावननेप्पा काम्बरा और श्री हेसनम कन्हाई लाल को प्रदान किया जायेगा। इन्हें तीन लाख रूपये की नगद राशि के अलावा एक अंग वस्त्र और ताम्रपत्र प्रदान किया जायेगा। फैलोशिप अकादमी असाधारण कार्यों के लिए प्रदान किया जाता है और यह काफी सीमित होता है। फिलहाल अब तक यह फैलोशिप संगीत नाटक अकादमी के 40 जीवित ऐसे व्यक्तियों को दिया गया है।
संगीत, नृत्य और रंगमंच से संबंध रखने वाले विद्वानों को वर्ष 2011 का संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार दिया जायेगा। उन्हें 1 लाख रूपये की नगद राशि के साथ एक अंग वस्त्र और ताम्रपत्र भी दिया जायेगा।
संगीत के क्षेत्र में 9 प्रख्यात कलाकारों को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार दिया जायेगा। इनमें श्रुति सादोलिकर कत्कर और मराठे वेंकेटेश कुमार को हिंदुस्तानी संगीत गायन के लिए, तोता राम शर्मा (पख्वाज) और पुष्पराज रामलाल कोष्ठी (सुर बहार) को हिंदुस्तानी वाद्य यंत्र संगीत, जे. वेंकटरामन को कार्नेटिक वाद्य संगीत, ऐलापुल्ली महादेवअय्यर सुब्रहमण्यम (घातम), अय्यागरि श्यामसुंदरम (वीणा) और सेशमपत्ति टी. शिवलिंगम (नागेस्वरम) को कार्नेटिक वाद्य यंत्र संगीत और गोपाल चंद्र पांडा (ओडीसी संगीत) को अन्य प्रमुख पारंपरिक संगीतों के लिए यह पुरस्कार दिया जायेगा। नृत्य के क्षेत्र में 9 प्रख्यात कलाकारों को अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जायेगा। यह पुरस्कार नर्थकी नटराज (भरत नाट्यम), मंजूश्री चटर्जी (कथक), थोनक्कल पिथाम्बरन (कथाकली), प्रीति पटेल (मणिपुरी), अलेक्ख्य पुंजलम (कुचीपुडी), रमली इब्राहिम (ओडिसी), वी के हाइमवथी (मोहिनीअट्टम), तनुश्री शंकर (रचनात्मक एवं प्रायोगिक नृत्य) तथा करईकुदि आर कृष्णमूर्थि (नृत्य संगीत-मृदंगम) के लिए दिया जायेगा।
रंगमंच के क्षेत्र में 8 प्रख्यात कलाकारों को यह अकादमी पुरस्कार प्रदान किया जायेगा। इनमें कीर्ति जैन को निर्देशन के लिए, अमिताभ श्रीवास्तव, विक्रम चंद्रकांत गोखले, नीना तिवाना तथा ए आर श्रीनिवासन को अभिनय के लिए, आर नागेश्वर राव को आंध्रप्रदेश के प्रमुख पारंपरिक रंगमंच- कंपनी रंगमंच के लिए तथा कमल जैन को सहायक रंगमंच कला (प्रकाश) के लिए प्रदान किया जायेगा।
अन्य पारंपरिक/लोक जनजातीय संगीत/नृत्य/रंगमंच और कठपुतली के क्षेत्र में 8 कलाकारों का चयन अकादमी पुरस्कार 2011 के लिए किया गया है। इनमें थ्रिपेकुलम अच्युतामरार को पारंपरिक संगीत (केरल), हेमंत राजाभाई चौहान को लोक संगीत (गुजरात), गुरमीत बावा को लोकसंगीत (पंजाब), काशी राम साहू को लोक रंगमंच (छत्तीसगढ़), मिफाम ओसतल को पारंपरिक रंगमंच (जम्मू एवं कश्मीर), बेलागल्लू विरान्ना को तोगालू गोम्बेयात्ता , कठपुतली (कर्नाटक), गोपाल चंद्र दास को पुतुलनाच (त्रिपुरा) के लिए तथा कासिम खान मियाजी को वाद्य यंत्र (दिल्ली) निर्मित करने के लिए दिया जायेगा।
संपूर्ण योगदान/कला-प्रदर्शन स्कालरशिप के लिए श्रीवास्तव गोस्वामी का चयन अकादमी अवॉर्ड के लिए किया गया है।
अलखनंदन (रंगमंच-निर्देशन) को तथा सुंदरी कृष्णलालश्रीधरानी को (संपूर्ण योगदान) के लिए अकादमी पुरस्कार 2011 के लिए चयनित किया गया है। इन दोनों का निधन हो जाने की वजह से इन्हें यह पुरस्कार मरणोपरांत प्रदान किया जायेगा।
वर्ष 2011 के संगीत नाटक अकादमी फैलोशिप और पुरस्कार सम्मान समारोह के बाद 9 से 16 अक्तूबर 2012 तक इन पुरस्कारों के विजेताओं द्वारा संगीत, नृत्य तथा नाटक मंचन का आयोजन किया जायेगा।
संगीत नाटक अकादमी केंद्र सरकार द्वारा 31 मई 1952 को स्थापित किया गया था जो संगीत, नृत्य और नाटक का राष्ट्रीय अकादमी है। इसका गठन देश में एक शीर्ष संस्था के रूप में किया गया जिसका उद्देश्य भारत के पारंपरिक कलाओं का संरक्षण और इनको बढावा देना है।
मीणा/आनंद/चंद्रकला-4805
राष्ट्रपति प्रदान करेंगे फैलोशिप तथा अकादमी पुरस्कार-2011
राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी 09 अक्तूबर 2012 को एक विशेष कार्यक्रम में वर्ष 2011 का प्रतिष्ठित संगीत नाटक अकादमी फैलोशिप और अकादमी पुरस्कार प्रदान करेंगे। इस वर्ष 11 प्रख्यात व्यक्तियों को अकादमी फैलोशिप और 36 कलाकारों को अकादमी पुरस्कारों से सम्मानित किया जायेगा।
अकादमी फैलोशिप (अकादमी रत्न) तथा अकादमी अवॉर्ड (अकादमी पुरस्कार) की उच्च स्तर के राष्ट्रीय सम्मान के रूप में मान्यता है, जो प्रदर्शन करने वाले कलाकारों, गुरु और कलाओं का बेहतर ज्ञान रखने वाले विद्वानों को प्रदान किया जाता है। इन पुरस्कारों के चयन का निर्णय शीर्ष संस्था अकादमी की महा परिषद द्वारा की जाती है जिसमें प्रख्यात कलाकार, विद्वान और केंद्र सरकार तथा विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के नामित सदस्य शामिल होते हैं।
उच्च् सम्मान अकादमी फैलोशिप श्री मुकुंद लथ, श्री हरिप्रसाद चौरसिया, श्री शिवकुमार शर्मा, श्री अमजद अली खान, श्री उमायलपुरम काशी विश्वनाथ शिवरामन, श्री मोहन चंद्रसेकरन, श्री राजकुमार सिंहजीत सिंह, श्री कलामंडलम गोपी, श्रीमती पदमा सुब्रहमण्यम, श्री चंद्रशेखर बसावननेप्पा काम्बरा और श्री हेसनम कन्हाई लाल को प्रदान किया जायेगा। इन्हें तीन लाख रूपये की नगद राशि के अलावा एक अंग वस्त्र और ताम्रपत्र प्रदान किया जायेगा। फैलोशिप अकादमी असाधारण कार्यों के लिए प्रदान किया जाता है और यह काफी सीमित होता है। फिलहाल अब तक यह फैलोशिप संगीत नाटक अकादमी के 40 जीवित ऐसे व्यक्तियों को दिया गया है।
संगीत, नृत्य और रंगमंच से संबंध रखने वाले विद्वानों को वर्ष 2011 का संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार दिया जायेगा। उन्हें 1 लाख रूपये की नगद राशि के साथ एक अंग वस्त्र और ताम्रपत्र भी दिया जायेगा।
संगीत के क्षेत्र में 9 प्रख्यात कलाकारों को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार दिया जायेगा। इनमें श्रुति सादोलिकर कत्कर और मराठे वेंकेटेश कुमार को हिंदुस्तानी संगीत गायन के लिए, तोता राम शर्मा (पख्वाज) और पुष्पराज रामलाल कोष्ठी (सुर बहार) को हिंदुस्तानी वाद्य यंत्र संगीत, जे. वेंकटरामन को कार्नेटिक वाद्य संगीत, ऐलापुल्ली महादेवअय्यर सुब्रहमण्यम (घातम), अय्यागरि श्यामसुंदरम (वीणा) और सेशमपत्ति टी. शिवलिंगम (नागेस्वरम) को कार्नेटिक वाद्य यंत्र संगीत और गोपाल चंद्र पांडा (ओडीसी संगीत) को अन्य प्रमुख पारंपरिक संगीतों के लिए यह पुरस्कार दिया जायेगा। नृत्य के क्षेत्र में 9 प्रख्यात कलाकारों को अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जायेगा। यह पुरस्कार नर्थकी नटराज (भरत नाट्यम), मंजूश्री चटर्जी (कथक), थोनक्कल पिथाम्बरन (कथाकली), प्रीति पटेल (मणिपुरी), अलेक्ख्य पुंजलम (कुचीपुडी), रमली इब्राहिम (ओडिसी), वी के हाइमवथी (मोहिनीअट्टम), तनुश्री शंकर (रचनात्मक एवं प्रायोगिक नृत्य) तथा करईकुदि आर कृष्णमूर्थि (नृत्य संगीत-मृदंगम) के लिए दिया जायेगा।
रंगमंच के क्षेत्र में 8 प्रख्यात कलाकारों को यह अकादमी पुरस्कार प्रदान किया जायेगा। इनमें कीर्ति जैन को निर्देशन के लिए, अमिताभ श्रीवास्तव, विक्रम चंद्रकांत गोखले, नीना तिवाना तथा ए आर श्रीनिवासन को अभिनय के लिए, आर नागेश्वर राव को आंध्रप्रदेश के प्रमुख पारंपरिक रंगमंच- कंपनी रंगमंच के लिए तथा कमल जैन को सहायक रंगमंच कला (प्रकाश) के लिए प्रदान किया जायेगा।
अन्य पारंपरिक/लोक जनजातीय संगीत/नृत्य/रंगमंच और कठपुतली के क्षेत्र में 8 कलाकारों का चयन अकादमी पुरस्कार 2011 के लिए किया गया है। इनमें थ्रिपेकुलम अच्युतामरार को पारंपरिक संगीत (केरल), हेमंत राजाभाई चौहान को लोक संगीत (गुजरात), गुरमीत बावा को लोकसंगीत (पंजाब), काशी राम साहू को लोक रंगमंच (छत्तीसगढ़), मिफाम ओसतल को पारंपरिक रंगमंच (जम्मू एवं कश्मीर), बेलागल्लू विरान्ना को तोगालू गोम्बेयात्ता , कठपुतली (कर्नाटक), गोपाल चंद्र दास को पुतुलनाच (त्रिपुरा) के लिए तथा कासिम खान मियाजी को वाद्य यंत्र (दिल्ली) निर्मित करने के लिए दिया जायेगा।
संपूर्ण योगदान/कला-प्रदर्शन स्कालरशिप के लिए श्रीवास्तव गोस्वामी का चयन अकादमी अवॉर्ड के लिए किया गया है।
अलखनंदन (रंगमंच-निर्देशन) को तथा सुंदरी कृष्णलालश्रीधरानी को (संपूर्ण योगदान) के लिए अकादमी पुरस्कार 2011 के लिए चयनित किया गया है। इन दोनों का निधन हो जाने की वजह से इन्हें यह पुरस्कार मरणोपरांत प्रदान किया जायेगा।
वर्ष 2011 के संगीत नाटक अकादमी फैलोशिप और पुरस्कार सम्मान समारोह के बाद 9 से 16 अक्तूबर 2012 तक इन पुरस्कारों के विजेताओं द्वारा संगीत, नृत्य तथा नाटक मंचन का आयोजन किया जायेगा।
संगीत नाटक अकादमी केंद्र सरकार द्वारा 31 मई 1952 को स्थापित किया गया था जो संगीत, नृत्य और नाटक का राष्ट्रीय अकादमी है। इसका गठन देश में एक शीर्ष संस्था के रूप में किया गया जिसका उद्देश्य भारत के पारंपरिक कलाओं का संरक्षण और इनको बढावा देना है।
मीणा/आनंद/चंद्रकला-4805
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