Saturday, August 30, 2025

पुराने क्लासिकल गीतों की धुनों ने बांधा जादूभरे संगीत का समय

 Received from PKK on Saturday 30th August 2025 at 6:26 PM Regarding Two Days Seminar

  प्राचीन कला केंद्र द्वारा आयोजित दो दिवसीय  सेमिनार का  यादगारी समापन  


चंडीगढ़
: 30 अगस्त 2025: (कार्तिका कल्याणी सिंह//संगीत स्क्रीन डेस्क)::
प्राचीन कला केंद्र द्वारा आयोजित दो दिवसीय सेमिनार  जोकि पंजाब कला भवन में आयोजित किया जा रहा है , का आज यहाँ भव्य समापन हो गया।  आज भी सेमिनार के दो सत्र पेश किये गए ।  दोनों सत्रों  में देश के विभिन्न शहरों से  प्रतिभागियों ने अपने शोध कार्य  को प्रस्तुत किया। 
इस सेमिनार का मुख्य विषय  संगीत नृत्य एवं ललित कलाओं की सामाजिक उत्थान में भूमिका  पर आधारित था।  इस अवसर पर प्रो   प्रेमीला गुरुमूर्ति, पूर्व कुलपति , तमिलनाडु डॉ जयललिता म्यूजिक एंड फाइन आर्ट्स यूनिवर्सिटी, चेन्नई  ने लेक्चर डेमोंस्ट्रेशन देकर अपने अमूल्य अनुभव को प्रतिभागियों के साथ साँझा किया। 

इस अवसर पर ललित नारयण  दरभंगा विश्वविद्यालय में संगीत विभाग प्रमुख प्रो लावण्या कीर्ति सिंह  काब्या , प्रो  पंकजमाला शर्मा के साथ साथ  केंद्र की रजिस्ट्रार डॉ शोभा कौसर ने भी अपने अमूल्य आशीष वचनो से केंद्र की प्रशंसा करते हुए इस सेमिनार की सफलता के लिए बधाई दी।   इसके साथ ही सेमिनार के गेस्ट स्पीकर जाने माने तबला वादक पंडित सुशील जैन (चेयरपर्सन )  एवं डॉ अरुण मिश्रा (चेयरपर्सन ) ने  चेयरपर्सन  रूप में अपने विचार रखे और साथ ही गेस्ट स्पीकर के रूप में  जाने माने तबला वादक डॉ   जगमोहन शर्मा एवं  डॉ महेंद्र प्रसाद शर्मा  ,  श्री मंगलेश शर्मा , डॉ राहुल स्वर्णकार एवं डॉ  गौरव शुक्ला ने भी अपने विस्तृत ज्ञान को दर्शकों के साथ बांटा।  

इसी यादगारी सुअवसर पर शर्मा एम एस यू विश्वविद्यालय , बड़ोदा के संगीत विभाग प्रमुख डॉ राजेश केलकर  भी इस अवसर पर उपस्थित थे।  केंद्र के सचिव श्री सजल कौसर एवं सेमिनार के सूत्रधार पंडित देवेंद्र वर्मा ने  सभी उपरोक्त माननीय  विभूतियों को उत्तरीया एवं मोमेंटो देकर सम्मानित किया।  

इसके उपरांत प्रतिभागियों ने  ऑफलाइन  एवं ऑनलाइन  माध्यम द्वारा  विभिन्न संगीत एवं कला से जुड़े विभिन्न विषयों पर शोध पत्र पेश किये गए। इस सेमिनार में संगीत एवं कला से जुड़े विभिन्न विषयों पर शोध पत्र पेश किये गए।  जिस में भारतीय संगीत में राग और ताल, रागों का समय सिद्धांत, वेद एवं पुराणों में संगीत, लाया लयकारी एवं ताल, जनजातीय लोक एवं आध्यात्मिक संगीत एवं विविध नृत्य प्रकार, संगीत एवं कला शिक्षा के विविध आयाम जैसे कई विषयों पर शोध पत्र प्रस्तुत किये गए। इन शोध पत्रों में बहुत मेहनत से तैयार की गई अमूल्य जानकारी थी। 

कुल मिला कर सेमिनार का दूसरा दिन शास्त्रीय कलाओं एवं भारतीय परम्पराओं एवं कलाओं के विभिन्न पहलुओं को समर्पित रहा। इसके अतिरिक्त विनीता गुप्ता एवं भैरवी भट्ट के मधुर सितार वादन ने सबका मन मोह लिया और साथ ही महेंद्र प्रसाद शर्मा के तबला वादन को भी सबने खूब सराहा। हाल में मौजूद सभी श्रोता और दर्शक मंत्रमुग्ध थे। 

इस सेमिनार का मुख्य उद्देश्य कलाओं के माध्यम से समाज के उत्थान के महत्व  के बारे में गहन चर्चा करना था। इस चर्चा में संगीत की बारीकियों का ज़िक्र बहुत ही सादगी के साथ किया गया था।इसके साथ ही कलाओं के प्रसार प्रचार  के महत्व एवं समाज में इनकी भूमिका पर भी चर्चा की गयी।

कुल मिला कर सेमिनार अपने उद्देश्य में सफल रहा और ऐसे कार्यक्रम के आयोजन के लिए आयोजक प्राचीन कला केंद्र प्रशंसा एवं बधाई का पात्र है।  प्राचीन कला केंद्र के सचिव श्री सजल कौसर ने कार्यक्रम के अंत में सभी का सुंदर शब्दों में आभार व्यक्त किया

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