Saturday, August 30, 2025

पुराने क्लासिकल गीतों की धुनों ने बांधा जादूभरे संगीत का समय

 Received from PKK on Saturday 30th August 2025 at 6:26 PM Regarding Two Days Seminar

  प्राचीन कला केंद्र द्वारा आयोजित दो दिवसीय  सेमिनार का  यादगारी समापन  


चंडीगढ़
: 30 अगस्त 2025: (कार्तिका कल्याणी सिंह//संगीत स्क्रीन डेस्क)::
प्राचीन कला केंद्र द्वारा आयोजित दो दिवसीय सेमिनार  जोकि पंजाब कला भवन में आयोजित किया जा रहा है , का आज यहाँ भव्य समापन हो गया।  आज भी सेमिनार के दो सत्र पेश किये गए ।  दोनों सत्रों  में देश के विभिन्न शहरों से  प्रतिभागियों ने अपने शोध कार्य  को प्रस्तुत किया। 
इस सेमिनार का मुख्य विषय  संगीत नृत्य एवं ललित कलाओं की सामाजिक उत्थान में भूमिका  पर आधारित था।  इस अवसर पर प्रो   प्रेमीला गुरुमूर्ति, पूर्व कुलपति , तमिलनाडु डॉ जयललिता म्यूजिक एंड फाइन आर्ट्स यूनिवर्सिटी, चेन्नई  ने लेक्चर डेमोंस्ट्रेशन देकर अपने अमूल्य अनुभव को प्रतिभागियों के साथ साँझा किया। 

इस अवसर पर ललित नारयण  दरभंगा विश्वविद्यालय में संगीत विभाग प्रमुख प्रो लावण्या कीर्ति सिंह  काब्या , प्रो  पंकजमाला शर्मा के साथ साथ  केंद्र की रजिस्ट्रार डॉ शोभा कौसर ने भी अपने अमूल्य आशीष वचनो से केंद्र की प्रशंसा करते हुए इस सेमिनार की सफलता के लिए बधाई दी।   इसके साथ ही सेमिनार के गेस्ट स्पीकर जाने माने तबला वादक पंडित सुशील जैन (चेयरपर्सन )  एवं डॉ अरुण मिश्रा (चेयरपर्सन ) ने  चेयरपर्सन  रूप में अपने विचार रखे और साथ ही गेस्ट स्पीकर के रूप में  जाने माने तबला वादक डॉ   जगमोहन शर्मा एवं  डॉ महेंद्र प्रसाद शर्मा  ,  श्री मंगलेश शर्मा , डॉ राहुल स्वर्णकार एवं डॉ  गौरव शुक्ला ने भी अपने विस्तृत ज्ञान को दर्शकों के साथ बांटा।  

इसी यादगारी सुअवसर पर शर्मा एम एस यू विश्वविद्यालय , बड़ोदा के संगीत विभाग प्रमुख डॉ राजेश केलकर  भी इस अवसर पर उपस्थित थे।  केंद्र के सचिव श्री सजल कौसर एवं सेमिनार के सूत्रधार पंडित देवेंद्र वर्मा ने  सभी उपरोक्त माननीय  विभूतियों को उत्तरीया एवं मोमेंटो देकर सम्मानित किया।  

इसके उपरांत प्रतिभागियों ने  ऑफलाइन  एवं ऑनलाइन  माध्यम द्वारा  विभिन्न संगीत एवं कला से जुड़े विभिन्न विषयों पर शोध पत्र पेश किये गए। इस सेमिनार में संगीत एवं कला से जुड़े विभिन्न विषयों पर शोध पत्र पेश किये गए।  जिस में भारतीय संगीत में राग और ताल, रागों का समय सिद्धांत, वेद एवं पुराणों में संगीत, लाया लयकारी एवं ताल, जनजातीय लोक एवं आध्यात्मिक संगीत एवं विविध नृत्य प्रकार, संगीत एवं कला शिक्षा के विविध आयाम जैसे कई विषयों पर शोध पत्र प्रस्तुत किये गए। इन शोध पत्रों में बहुत मेहनत से तैयार की गई अमूल्य जानकारी थी। 

कुल मिला कर सेमिनार का दूसरा दिन शास्त्रीय कलाओं एवं भारतीय परम्पराओं एवं कलाओं के विभिन्न पहलुओं को समर्पित रहा। इसके अतिरिक्त विनीता गुप्ता एवं भैरवी भट्ट के मधुर सितार वादन ने सबका मन मोह लिया और साथ ही महेंद्र प्रसाद शर्मा के तबला वादन को भी सबने खूब सराहा। हाल में मौजूद सभी श्रोता और दर्शक मंत्रमुग्ध थे। 

इस सेमिनार का मुख्य उद्देश्य कलाओं के माध्यम से समाज के उत्थान के महत्व  के बारे में गहन चर्चा करना था। इस चर्चा में संगीत की बारीकियों का ज़िक्र बहुत ही सादगी के साथ किया गया था।इसके साथ ही कलाओं के प्रसार प्रचार  के महत्व एवं समाज में इनकी भूमिका पर भी चर्चा की गयी।

कुल मिला कर सेमिनार अपने उद्देश्य में सफल रहा और ऐसे कार्यक्रम के आयोजन के लिए आयोजक प्राचीन कला केंद्र प्रशंसा एवं बधाई का पात्र है।  प्राचीन कला केंद्र के सचिव श्री सजल कौसर ने कार्यक्रम के अंत में सभी का सुंदर शब्दों में आभार व्यक्त किया

Friday, August 22, 2025

PKK संगीतमयी संध्या "संगीत उदय " में खूबसूरत प्रस्तुतियां

Received on Friday 22nd August 2025 at 6:37 PM Regarding Musical Event by PKK

  उदीयमान कलाकारों द्वारा PKK में एक विशेष आयोजन  


चंडीगढ़
: 22 अगस्त 2025: (कार्तिका कल्याणी सिंह//संगीत स्क्रीन डेस्क)::

अग्रणी सांस्कृतिक संस्था प्राचीन कला केन्द्र एवं संस्कार भर्ती के संयुक्त तत्वाधान में आज यहाँ मिनी टैगोर थिएटर  सेक्टर 18  में  एक विशेष संगीत संध्या संगीत उदय का आयोजन  सायं 6:00 बजे से किया गया । जिसमें देश भर के  युवा एवं प्रतिभाशाली कलाकारों ने शास्त्रीय गायन,वादन  की जोरदार प्रस्तुतियों से दर्शकों का दिल जीत लिया। प्राचीन कला केंद्र द्वारा एक और जादुई संगीत संध्या 

इस कार्यक्रम में राजर्षि चटर्जी (सितार),  शिवांश सोनी (तबला), उपासना डे (गायन), अंशिका कटारिया (कत्थक), संजुक्ता सरकार (कत्थक), श्रेयस दत्तात्रेय  भोयर (तबला), कन्हैया पांडेय (सिंथेसाइज़र) एवं  पूजा बसक (गायन)   ने अपनी प्रस्तुतियों से  दर्शकों को सम्मोहित कर दिया।  

आज के कार्यक्रम में अखिल भारतीय  संस्कार भारती के वाईस प्रेजिडेंट डॉ रविंद्र भारती ने मुख्य अतिथि एवं  श्री लविश चावला , जनरल सेक्रेटरी , संस्कार भारती पंजाब प्रान्त ने विशेष अतिथि के रूप में पधार कर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।  इस अवसर पर केंद्र के रजिस्ट्रार डॉ  शोभा कौसर एवं सचिव श्री सजल कौसर भी उपस्थित थे ।  साथ ही संस्कार भारती के सलाहकार प्रो सौभाग्य वर्धन भी उपस्थित थे।  मुख्य अतिथि एवं अन्य गणमान्य अतिथियों के साथ पारम्परिक द्वीप प्रज्वलन के पश्चात  केंद्र की रजिस्ट्रार डॉ शोभा कौसर द्वारा मुख्य अतिथि एवं विशेष अतिथि को शाल एवं मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया।  

यादगारी बने आज के इस कार्यक्रम में  उपासना डे (गायन ) ने राग मुल्तानी में मध्य  एवं द्रुत लय में बंदिशें पेश की एवं पूजा बसक (गायन) ने राग मधुवंती  में तीन ताल की बंदिश पेश की।  इसके उपरांत संजुक्ता सरकार गणेश वंदना पेश की तथा अंशिका कटारिया ने ताल शिखर में, आमद, तहत परं, तिहाई एवं लड़ी इत्यादि की खूबसूरत प्रस्तुति पेश की।  इसके उपरांत  शिवांश सोनी एवं श्रेयस दत्तात्रेय भोयर ने तीन ताल में पेशकार और इसके उपरांत  पारम्परिक उठान, रेले,कायदे,पलटे, गतें  बहुत खूबसूरती से पेश करके दर्शकों  की तालियां बटोरी। इसके उपरांत इटावा घराने के सितार वादक राजर्षि चटर्जी ने राग यमन में कुछ  गतें  बंदिशें  इत्यादि पेश करके खूब प्रशंसा लूटी।

कार्यक्रम में इनके साथ केंद्र के संगीत विभाग में कार्यरत श्री प्रवेश कुमार ने  हारमोनियम पर एवं अमनदीप गुप्ता ने तबले पर  बखूबी संगत की। 

कार्यक्रम के अंत में केन्द्र के सचिव श्री सजल कौसर, संस्कार भर्ती के सलाहकार प्रो सौभाग्य वर्धन, एवं मुख्य अतिथि तथा विशेष अतिथि   ने  कलाकारों को   मोमेंटो एवं सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया। 

Thursday, July 31, 2025

प्राचीन कला केंद्र की तरफ से परंपरा का आयोजन शुक्रवार पहली अगस्त को

31st July 2025 at 7:04 PM Regarding Parampara by PKK

शाम को ठीक चार बजे हो जाएगी शरुआत 

मोहाली: 31 जुलाई 2025: (कार्तिका कल्याणी सिंह/ /संगीत स्क्रीन डेस्क)::

प्राचीन कला केंद्र उत्तर भारत के उन संगीत संस्थानों में है जो लगातार संगीत की परंपरा और सुगन्धि को फैलाते चले आ रहे हैं। इस बार भी इस संस्थान द्वारा शास्त्रीय एवं वाद्य संगीत परम्परा का विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। 

यह आयोजन शुक्रवार, 1 अगस्त  2025 को शाम 4:00 बजे से शुरू होगा और समापन तक चलेगा।  

इस बार भी यह आयोजन डा. शोभा कोसर इंडोर ऑडिटोरियम, प्राचीन कला केंद्र कॉम्प्लेक्स, सेक्टर- 71, मोहाली में होगा। अपनी शानदार विरासत को कायम रखते हुए। 

इस बार भी आयोजन के कलाकार  केंद्र के छात्र होंगें। 

दर्शकों और श्रोताओं के स्वागत में अत्यंत आभार और हार्दिक सम्मान के साथ सभी संगीत स्नेहियों की इंतज़ार करेंगे रजिस्ट्रार डॉ. शोभा कोसर और अन्य पदाधिकारी व कलाकार। 


Wednesday, June 11, 2025

संत कबीर जी की पावन जयंती पर प्राचीन कलाकेंद्र का विशेष आयोजन

From Pracheen Kala Kendra on Wenesday 11th June 2025 at 5:28 PM Regarding Musical Event on Kabir Ji

विशेष संगीत संध्या में सुरों से सजे कबीर जी के दोहों ने जगाया जादू 


चंडीगढ़
/ /मोहाली: 11 जून 2025: (मीडिया लिंक रविंदर/ /संगीत स्क्रीन डेस्क)::

प्राचीन कला केंद्र द्वारा आज यहाँ  महान संत कबीर जी की जयंती के सुअवसर पर एक विशेष संगीत संध्या कबीर वाणी का आयोजन किया गया।  जिस में  दिल्ली से आये युवा एवं प्रतिभावान कलाकारों  द्वारा  संत कबीर के शाश्वत ज्ञान और पदों को संगीतमय श्रद्धांजलि दी गयी।  इस कार्यक्रम का आयोजन  प्राचीन कला केंद्र के एम एल कौसर सभागार में सायं 6 :30  बजे से किया गया।

इस कार्यक्रम में दिल्ली से आये श्री राजेश नेगी , डॉ रवि पाल, श्री गणेश कुमार, श्री योगेश पाल , श्री दिनेश कुमार , श्री विपिन कुमार एवं श्री गुरभेज सिंह ने प्रस्तुति पेश की। 

इस कार्यक्रम की शुरुआत श्री राजेश सिंह नेगी द्वारा पंडित कुमार गंधर्व द्वारा रचित  राग 'श्री कल्याण' में छोटा ख्याल *'देखो री उत फूलन लगी'। पेश की गयी।  इसके उपरांत  सभी कलाकरों द्वारा एक अन्य रचना नैहरवा हमका न भावे प्रस्तुत की गयी।  कार्यक्रम के अगले भाग में एक भजन राम निरंजन न्यारा रे पेश किया गया। 

इस मौके पर साथ ही कबीर का अन्य भजन साधो देखो रे जग बौराना और  है  मन है इश्क मस्ताना, है  मन है होशियारी क्या प्रस्तुत किया गया।  इसके बाद कबीर जी की वाणी से एक खूबसूरत भजन बिन सतगुरु नर रहत भुलाना, खोजत फिरत राह नहीं जाना तथा उड़ जायेगा हँस अकेला, जग दर्शन का मेला पेश किये गए जिसको दर्शकों ने खूब सराहा।  इसके उपरांत अवधूता गगन घटा गहराई हो,  हिरना समझ बूझ वन चरना तथा भजो रे भैया राम गोविंद हरी प्रस्तुत किये गए।  भक्ति रास से भरे इन भजनो का दर्शकों ने खूब आनंद उठाया। और कार्यक्रम के समापन पर  कबीर जी के दोहे पेश किये गए। 

कार्यक्रम के अंत में केंद्र के सचिव  श्री सजल कौसर द्वारा कलाकारों  को उत्तरीया  एवं मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर दिल्ली से विशेष रूप से संगीतज्ञ श्री देवेंद्र वर्मा तथा तबला वादक श्री देबाशीष अधिकारी भी पधारे।

Friday, May 23, 2025

संगीतक आयोजन: जिसमें में 5 से 60 वर्ष तक के छात्रों ने भाग लिया

From Pracheen Kala Kendra on Friday 23rd May 2025 at 4:52 PM

प्राचीन कला केन्द्र के छात्रों द्वारा शास्त्रीय संगीत की मधुर प्रस्तुतियां


चंडीगढ़
: 23 मई 2025: (कार्तिका कल्याणी सिंह/ /मीडिया लिंक32/ /संगीत स्क्रीन डेस्क)::

जो जो संगठन चंडीगढ़ और आसपास के क्षेत्रों में गीत संगीत के क्षेत्रों की नींव मज़बूत बना रहे हैं उनमें प्राचीन कलाकेंद्र भी एक है। इस प्राचीन कलाकेंद्र में दशकों से इस शिक्षा को बहुत ही अदब के साथ नई  पीढ़ी तक पहुँचाया जा रहा है। हर वर्ग से जुड़े संगीत प्रेमियों को गीत संगीत और डांस में जहां सिखलाई दी जाती है। इसका सबूत एक बार फिर आज मिला जब आज के आयोजन में पांच वर्ष की उम्र से लेकर ६० वर्ष तक की उम्र के संगीत साधक मंच पर आए। 

प्राचीन कला केन्द्र की विशेष संगीतक संध्या में परंपरा श्रृंखला के तहत सैक्टर 35 स्थित एम.एल.कौसर सभागार में केंद्र के छात्रों द्वारा शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुतियां पेश की गई । केंद्र में कार्यरत सधी हुई संगीत शिक्षिक श्री  सुरजीत कुमार एवं अमनदीप गुप्ता   के निर्देशन में छात्रों ने अपनी कला का बखूबी प्रदर्शन करके खूब तालियां बटोरी। इसमें 5 से 60 वर्ष तक के छात्रों ने भाग लिया। विभिन्न  प्रस्तुतियों से सजे इस कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना से की गई ।उपरांत  कलाकारों द्वारा जपुजी साहिब पर आधारित एक रचना "ऐ मेरे मन" पेश की गयी तथा राग खमाज तथा बिहग पर आधारित सुन्दर बंदिशें प्रस्तुत की गयीं।  इसके बाद कलाकारों ने सरगम गीत तथा गीतमाला पेश की जिसे दर्शकों ने खूब सराहा । इसके बाद  किशोरावस्था के बच्चों द्वारा  लोकप्रिय  भजन वैषणव जान , अच्युतम केशवम , , प्रभु आपकी कृपा से मेरा सब काम हो रहा है , शिव कैलाशों के वासी , औ पालनहारे तथा राम स्तुति पेश की गयी जिस से दर्शक भक्ति रंग में रंग  गए।  

इसके उपरांत एकल तबला वादन पेश किया गया जोकि तीन ताल पर आधारित था।   कार्यक्रम के अंतिम भाग में ग़ज़लें पेश की गयीं।  खूबसूरत ग़ज़लों के रंग में रंगी शाम से दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। डाॅ.समीरा  कौसर ने छात्रों एवं गुरू की प्रशंसा करते हुए कहा कि ये युवा कलाकार देश की संस्कृति की धरोहर को प्रफुल्लित करने का काम बखूबी कर रहे हैं। प्राचीन कला केंद्र द्वारा उभरती प्रतिभाओं को मंच देने के साथ साथ युवा छात्रों को संगीतक  अभ्यास और रियाज़ में  सधे  हुए गुरुओं के सानिध्य में  प्रफुल्लित करके कला एवं संगीत की अमूल्य सेवा कर रहा है। इससे संगीत की दुनिया और अधिक विशाल एवं सुंदर होती जा रही है। 

कुल मिलाकर आज का यह आयोजन भी बहुत यादगारी रहा। इस अवसर पर श , िल हुए श्रोताओं और दर्शकों ने इस से जुडी यादों को अपने दिल दिमाग में संजोया। 

Saturday, May 17, 2025

प्रियंका ठाकुर की प्रभावशाली एवं मधुर शास्त्रीय संगीत प्रस्तुति

From Pracheen Kala Kendra on Saturday 17th May 2025 at 7:15 PM

307वीं मासिक बैठक में प्रस्तुति से फिर जगा गीत संगीत का जादू


चंडीगढ़: 17 मई 2025: (मीडिया लिंक//संगीत स्क्रीन डेस्क)::
चंडीगढ़ को लेकर अक्सर कहा जाता रहा कि यह तो पत्थरों का शहर है। इस धारणा को जो लोग लगातार गलत साबित करते आ रहे हैं उनमें प्राचीन कला केंद्र भी शामिल है। यह संस्थान इन्हीं पत्थरों में गीत संगीत के जादू का अहसास करवाता आ रहा है। हर बार नए पुराने कलाकारों से रूबरू करवाना और संगीत लहरियों से पूरे माहौल को संगीत मई बना देना इसी संस्थान की टीम का काम रहा।

प्राचीन कला केंद्र, चंडीगढ़ द्वारा आयोजित 307वीं मासिक बैठक कार्यक्रम का आयोजन शनिवार, 17 मई 2025 को एम. एल. कोसर इंडोर ऑडिटोरियम, सेक्टर 35-बी, चंडीगढ़ में किया गया। इस अवसर पर युवा एवं प्रतिभाशाली गायिका सुश्री प्रियंका ठाकुर ने शास्त्रीय गायन की एक मनोहारी प्रस्तुति दी।

कार्यक्रम की शुरुआत राग मालकौंस  से हुई, जिसमें उन्होंने विलंबित ख्याल "पीर ना जाने बालम" प्रस्तुत किया। भावपूर्ण गायन शैली से उन्होंने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके पश्चात, उन्होंने तीन ताल में द्रुत ख्याल "बालम नहीं आए" सुनाया, जिसने कार्यक्रम की गति और भी तीव्र कर दी। अपनी प्रस्तुति को और ऊर्जावान बनाते हुए, प्रियंका ठाकुर ने अति द्रुत में टप्प ख्याल "हर हर महादेव पति" प्रस्तुत किया, जिसे श्रोताओं ने खूब सराहा।

शास्त्रीय प्रस्तुति के उपरांत, उन्होंने हिमाचली लोकगीत "कुंजू चंचलो" की मधुर प्रस्तुति दी, जो श्रोताओं के बीच अत्यंत लोकप्रिय रही और तालियों की गड़गड़ाहट के साथ सराही गई।

गायिका का साथ दिया श्री दिव्यांश ठाकुर (तबला) एवं श्री पियूष मिश्रा (हारमोनियम) ने, जिनकी संगति ने पूरी प्रस्तुति को और अधिक प्रभावशाली बनाया।

कार्यक्रम में संगीत प्रेमियों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही, और सभी ने इस शाम को संगीत से सजी एक अविस्मरणीय अनुभूति बताया।

डॉ. शोभा कोसर (रजिस्ट्रार) व श्री सजल कोसर (सचिव) ने सभी संगीतप्रेमियों को कार्यक्रम में भाग लेने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।

कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने के लिए श्री विनोद चन्ना (शिमला) , श्री गुंजन चन्ना, पं. देवेंद्र वर्मा डॉ  जगमोहन शर्मा ,   डॉ. हरमोहन शर्मा, श्री सौरभ आदि विशेष रूप से मौजूद रहे।

कार्यक्रम के अंत में कलाकारों को सम्मानित भी किया गया। कुल मिलाकर यह भी एक याधारी कार्यक्रम रहा। इस ने चंडीगढ़ के संगीत भरे माहौल को एयर भी अमीर बनाया। 

Tuesday, October 15, 2024

गुरू एम.एल.कौसर की स्मृति में 19वे अवार्ड का भव्य आयोजन

Tuesday 15th October 2024 at 7:51 PM Email and WhatsApp PKK Chandigarh

संगीत जगत के दो दिग्गज कलाकारों का को किया गया सम्मानित 

तबला वादक पंडित विनोद पाठक एवं प्रसिद्ध सितार वादक पंडित हरविंदर शर्मा को अवार्ड  


चंडीगढ़: 15 अक्टूबर 2024: (कार्तिका कल्याणी सिंह//संगीत स्क्रीन डेस्क)::

चंडीगढ़ को आम तौर पर लोग पत्थरों का शहर कहते हैं। इसकी बड़ी बड़ी इमारतें, भागदौड़ वाली ज़िन्दगी और जल्दबाज़ी में रुखसुखा सा जवाब देने वाले कुछेक लोग इस कथनी पर मोहर लगाते हुए भी महसूस  होते हैं। इसके बावजूद प्राचीन कला केंद्र, कला भवन और रोज़ गार्डन जैसे संस्थान और स्थान यह भी याद दिलाते हैं की इसी चंडीगढ़ में संवेदना भी है, शायरी भी है और संगीत भी है। हाल ही में गुरु एम एल कौसर की समृति में कराया गया 19वां अवार्ड समारोह तांडव जैसे महान नृत्य के संबंध में  यहां हुआ खोजपूर्ण काम भी बहुत कुछ बताता है। तांडव नृत्य की चर्चा हम एक अलग पोस्ट में कर रहे हैं यहां लौटते हैं प्राचीन कला केंद्र के इस विशेष आयोजन की चर्चा पर। 

गुरू एम.एल.कौसर पिछले 6 दशकों से कला के क्षेत्र में अपनी बहुमूल्य सेवाओं और योगदान द्वारा नए आयाम स्थापित करने वाले तांडव सम्राट गुरू एम.एल.कौसर को श्रेष्ठ कलाकार होने के साथ-साथ भारतीय शास्त्रीय कलाकारों के वाहक के रूप में भी जाना जाता है । इन्होंने अपने अथक प्रयासों एवं निस्वार्थ सेवाओं के बल पर संगीत जगत में विशेष स्थान बनाया । ऐसी महान शख्सियत के इसी सहयोग को मद्देनजर रखते हुए प्राचीन कला केन्द्र की कार्यकारिणी समिति द्वारा वर्ष 2004 में एक लाख रूपए के अवार्ड की घोषणा की गई । यह अवार्ड भारतीय शास्त्रीय संगीत में अहम योगदान देने वाले कलाकारों के प्रति एक सम्मान है जो एक कलाकार की नजर से दिया जाता है।

इस अवार्ड में अब तक कत्थक नृत्यांगना सितारा देवी,कत्थक सम्राट बिरजू महाराज, सितार वादक शाहिद परवेज़, पंडित शिव कुमार शर्मा,सुनयना हजारीलाल,पंडित राम नारायण,गुरू सोनलमान सिंह,पंडित विश्वमोहन भट्ट,पंडित भजन सोपोरी,गुरू शोवना नारायण,पंडित सुशील जैन तथा पंडित कालेराम जैसे दिग्गज कलाकार सम्मानित किए जा चुके है।

आज के अवार्ड समारोह का आयोजन टैगोर थियेटर में 19वें गुरू एम.एल.कौसर अवार्ड समारोह का भव्य आयोजन सायं 6:30 बजे से किया गया। 19वां गुरू एम.एल.कौसर अवार्ड समारोह संगीत जगत की दो विभूतियों जानेमाने तबला वादक पंडित विनोद पाठक एवं प्रसिद्ध सितार वादक पंडित हरविंदर शर्मा को प्रदान किया गया।

इस कार्यक्रम में अवार्ड प्रदान करने हेतु पद्मभूषण ग्रेमी अवार्ड विजेता पंडित विश्वमोहन भट्ट विशेष रूप से मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए । इनके साथ सात्विक वीणा रचयिता पंडित सलिल भट्ट भी उपस्थित थे। मंच पर चैयरमैन श्री एस.के.मोंगा,रजिस्ट्रार डॉ.शोभा कौसर एवं सचिव श्री सजल कौसर उपस्थित थे।

पारम्परिक द्वीप प्रज्वलन करने के पश्चात चैयरमैन एवं अन्य विभूतियों द्वारा मुख्य अतिथि को सम्मानित किया गया । इसके उपरांत अवार्ड समारोह की शुरूआत की गई। सबसे पहले पंडित विनोद पाठक को शाल,स्मृति चिन्ह,मोमेंटो और 50 हजार रूपए  भेंट किए गए । उपरांत पंडित हरविंदर शर्मा को शाल,स्मृति चिन्ह,मोमेंटो और 50 हजार रूपए  भेंट किए गए ।

सम्मान समारोह को यादगार बनाने के लिए अवार्डी कलाकारों द्वारा एवं विशेष संगीत संध्या का आयोजन किया गया । जिसमें सबसे पहले पंडित विनोद पाठक द्वारा तीन ताल में निबद्ध तबला वादन पेश किया गया जिस में  फारूखाबाद घराने की कुछ विशेष बंदिशें पेश की गई । और तबला में  कायदे  तोड़े , रेले, गत, टुकड़े , परं इत्यादि पेश किये गए।  पारम्परिक बंदिशों से निबद्ध इस प्रस्तुति का सबने आनंद उठाया।  

इनके साथ तबले पर इनके सुपुत्र विविश पाठक एवं हारमोनियम पर श्री दिनकर दिवेद्वी ने बखूबी संगत की।

इसके उपरांत पंडित हरविंदर शर्मा ने मंच संभाला और विलायत खान साहिब के शिष्य हरविंदर शर्मा ने सुन्दर स्वर लहरियों से सजा   सितार वादन पेश किया। इन्होंने राग मिश्र खमाज में आलाप से शुरुआत की और गायिकी अंग से सजी प्रस्तुति में  सुन्दर बंदिशें पेश करके दर्शकों का मन जीत लिया । खूबसूरत जोड़ झाला पेश करके हरविंदर शर्मा ने दर्शकों को जादू भरी शाम में खोने के लिए मजबूर कर दिया।  कार्यक्रम का समापन इन्होने भटियाली धुन से किया । इनके साथ प्रसिद्द तबला वादक पंडित राम कुमार मिश्रा ने संगत करके चार चाँद लगा दिए। 

कार्यक्रम के अंत में कलाकारों को उत्तरीय एवं मोमेंटो से सम्मानित किया गया। कलाकारों द्वारा कलाकारों को समर्पित इस सम्मान समारोह ने दर्शकों को एक खूबसूरत शाम से यादगारी बना दिया।