Emailed By PKK on 1st Dec 1, 2025 at 6:54 PM Regarding an event
कवालियों ने भी खूब यादगारी समय बांधा
चंडीगढ़: पहली दिसंबर 2025: (कार्तिका कल्याणी सिंह//संगीत स्क्रीन डेस्क)::
इस बार तो प्राचीन कला केंद्र ने एक बिलकुल ही अनूठा प्रयोग किया। सचमुच यह संगीत का एक अनूठा प्रयोग ही था। संगीत इस विश्व को एकात्मकता के सूत्र में पिरोता है। यह वैश्विक एकता का असली अहसास भी करवाता है। प्राचीन कला केंद्र ने यह सब साबित भी किया। यह एक बहुत ही यादगारी आयोजन था जिसका सन्देश भी बहुत अर्थपूर्ण रहा।
प्राचीन कला केंद्र द्वारा आज यहाँ टैगोर थिएटर के मिनी ऑडिटोरियम में सायं 5 :50 से एक विशेष कार्यक्रम वन वर्ल्ड वन रिदम आयोजित किया गया जिस में केंद्र के मोहाली परिसर में "गुरु शिष्य परम्परा" के अंतर्गत संगीत एवं नृत्य का गहन प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे देशी एवं विदेशी छात्रों द्वारा पेश किया गया। इस कार्यक्रम में इन विदेशी छात्रों द्वारा अपने अपने देश की नृत्य एवं संगीत कला का बखूबी प्रदर्शन किया गया। अपने देश की पारम्परिक वेशभूषा में सजे इन छात्रों ने अपनी देश की कला और संगीत की सुन्दर झलकियां पेश की। कज़ाकिस्तान , मिश्र , मैक्सिको , फिजी , स्पेन , ज़िम्बावे , उज्बेकिस्तान , तंज़ानिया , फ्रांस और बांग्लादेश से आये इन छात्रों ने अपने देश की कला और संस्कृति का परिचय दिया । इस कार्यक्रम में तबला शिक्षक एवं जाने माने तबला वादक श्री आविर्भाव वर्मा के निर्देशन में इस संगीतमयी संध्या को विभिन्न देशों की खूबसूरत कलाओं से संजोया गया।
सबसे पहले गोंग पेश किया गया और गिलास और चम्मच के टकराने से उत्पन्न हुई ध्वनि से कार्यक्रम की शुरुआत की गयी। इसके उपरांत डेनियल, साहिल और वैलेंटिना द्वारा गिटार वादन पेश किया गया जिस में उनका साथ नुरू ने गाना गाकर दिया जिसे दर्शकों ने खूब सराहा। इसके बाद उपरोक्त देशों के छात्रों द्वारा अपने अपने देश के गाने और नृत्य का बखूबी प्रदर्शन किया गया जिस में विभिन्न अद्वितीय प्रस्तुतियों से दर्शक मंत्र मुग्ध हो गए। इसके उपरांत तबला वादन पेश गया जिस में सब छात्रों ने भाग लिया।
कार्यक्रम के अगले भाग में कव्वाली पेश की गयी जिस में सब विदेशी छात्रों ने सूफी संगीत पर नृत्य करके तालियां बटोरी। इसके उपरांत नेपाल के संमुद्र ने आलाप पेश किया तथा इजीपट से आयी रेवन ने पंजाबी संगीत पर पंजाब का दमदार भंगड़ा पेश किया जिस पर न केवल दर्शक झूम उठे बल्कि पूरा आनद भी उठाया।
कार्यक्रम के अंत में सभी देशी विदेशी वाद्यों की अनूठी जुगलबंदी ोपेश की गयी जो दर्शकों के दिल को छू गयी। इन वाद्यों में तबला , गोंग , कांगो , चिमटा, ढोल , ढोलक , डीजम्बे , कहोंन , वुड शेकर, एग शेकर , जेम्बे इत्यादि वाद्यों का प्रदर्शन एक साथ किया गया। ऐसी प्रस्तुतियों देशों की सीमाओं को तोड़ कर संगीत की मिठास से हर सीमा को लांघते हुए विभिन्न देशों को साथ जोड़ने का एक विनम्र प्रयत्न है।
प्राचीन कला केंद्र द्वारा देश की प्राचीन गुरु शिष्य परंपरा के अंतर्गत भारतीय शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य का प्रचार, प्रसार एवं विस्तार किया जा रहा है जो एक सराहनीय कदम है।

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